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रूपौली का दंगल : असली पहलवान तो ये हैं…!

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अशोक कुमार

26 जून 2024

Purnia : पूर्व मंत्री बीमा भारती (Bima Bharti) के राजद (RJD) में घुस जाने के बाद जदयू (JDU) में उनके टक्कर का कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं देख लोजपा-आर सुप्रीमो चिराग पासवान (Chirag Paswan) चाहते थे कि रूपौली उपचुनाव (Rupauli by-election) में उम्मीदवार उतारने का अवसर उन्हें मिले. एनडीए (NDA) में इस सीट के जदयू के हिस्से में रहने के बावजूद इसे हासिल करने के लिए उन्होंने खूब जोर लगाया. 2020 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे अपनी पार्टी के उम्मीदवार शंकर सिंह (Shankar Singh) को साथ लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)  से मुलाकात की. पांच चुनावों के आंकड़ों को सामने रख शंकर सिंह को ‘आशीर्वाद’ देने का आग्रह किया. नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर मना कर दिया.

निर्दलीय कूद गये

जदयू ने अपना उम्मीदवार उतार दिया. चिराग पासवान इसके अलावा और कुछ नहीं कर पाये. शंकर सिंह को उपचुनाव लड़ना था, चिराग पासवान की पार्टी से नाता तोड़ निर्दलीय मैदान में कूद गये. 2015 में भी उन्होंने ऐसा किया था. एनडीए में रूपौली की सीट भाजपा के हिस्से में गयी थी. निर्दलीय चुनाव लड़ शंकर सिंह एनडीए की राह का रोड़ा बन गये थे. बीमा भारती जदयू की उम्मीदवार थीं. मुकाबला भाजपा के प्रेमप्रकाश मंडल (Premprakash Mandal) से हुआ था. जीत 09 हजार 738 मतों से हुई थी.

दमदार उम्मीदवार नहीं

शंकर सिंह की झोली में 34 हजार 783 मत पड़े थे. प्रेमप्रकाश मंडल चारो खाने चित हो गये थे. आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ 2015 में ही नहीं, जाने-अनजाने प्रायः हर चुनाव में वह बीमा भारती की जीत का कारक बन जा रहे हैं. खैर, यह उनकी अपनी राजनीति और चुनावी रणनीति है.बात अब जदयू की. उपचुनाव में बीमा भारती के चौबीस वर्षीय सियासी खूंटे को उखाड़ फेंकने लायक जदयू में वाकई कोई सक्षम- समर्थ उम्मीदवार नहीं था. कलाधर प्रसाद मंडल (Kaladhar Prasad Mandal) को उम्मीदवार बनाये जाने से इस धारणा को बल मिला.

हैरान रह गयी राजनीति

रूपौली के बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच से कलाधर प्रसाद मंडल की जीत निकल आये तो वह अलग बात होगी, जदयू की उनकी उम्मीदवारी से राजनीति हैरान रह गयी. इसकी वजह संभवतः यह कि कलाधर प्रसाद मंडल की अपनी कोई चमकदार राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. वर्षों पूर्व शिक्षक की नौकरी छोड़ वह पंचायत चुनाव की राजनीति में सक्रिय हुए थे. दो बार रूपौली प्रखंड की बसंतपुर चिंतामणि ग्राम पंचायत का मुखिया निर्वाचित हुए. उसके बाद के तीन चुनावों में लगातार हार हुई. क्यों, यह बताने की जरूरत नहीं. अपनी ही ग्राम पंचायत के लोगों का साथ नहीं मिलने के बावजूद 2020 में कलाधर प्रसाद मंडल रूपौली से विधानसभा का चुनाव लड़ गये. उपलब्धि 06 हजार 132 मतों की रही.


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कमजोर राजनीतिक पृष्ठभूमि

इन सबको दृष्टिगत रख जदयू की उम्मीदवारी मिल जाने से राजनीति का हैरान हो जाना स्वाभाविक था. यहां सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसी कमजोर राजनीतिक पृष्ठभूमि पर जदयू नेतृत्व का भरोसा कैसे जम गया? विश्लेषकों की मानें तो भरोसा कलाधर प्रसाद मंडल पर नहीं, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेशी सिंह (Leshi Singh) पर जमा है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कलाधर प्रसाद मंडल मंत्री लेशी सिंह और पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा (Santosh Kushwaha) के अतिविश्वसनीय हैं. इन्हीं दोनों की पहल पर उम्मीदवारी मिली है.

मुश्किलें बढ़ेंगी बीमा भारती की

कहते हैं कि पूर्णिया जिला जदयू के अध्यक्ष राकेश कुमार (Rakesh Kumar) भी इनके पक्ष में थे. जदयू नेतृत्व को जीत का भरोसा भी इन्हीं तीनों ने दे रखा है. बहरहाल, सामान्य समझ में रूपौली में चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से लेशी सिंह ही लड़ रही हैं. ऐसे में चुनावी मुकाबले में जदयू को किसी भी दृष्टि से कमजोर नहीं आंका जा सकता है. बल्कि, लेशी सिंह की इस रूप में सक्रियता से बीमा भारती की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही, निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह का हित भी प्रभावित हो जा सकता है.

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