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कमाल के हैं… इनके मानस पुत्र !

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विशेष प्रतिनिधि

27 जून 2024

Patna : पुत्र (Son) और मानस पुत्र (Manas putra) में अंतर होता है. मानस पुत्र जैविक (organic) नहीं होते हैं. एक बात और कि इसके लिए मानस पिता (manas father) की सहमति नहीं लेनी होती है. मतलब कोई आदमी अपने से बड़े किसी आदमी का मानस पुत्र हो सकता है. हो क्या सकता है, स्वयं को मानस पुत्र घोषित कर सकता है. कुछ लोग स्वयं को किसी का मानस पुत्र नहीं घोषित करते हैं. उनके आचरण और व्यक्ति के प्रति समर्पण को देखते हुए आम लोग कहने लगते हैं कि देखो, यह आदमी अमुक नेता का मानस पुत्र है.

हैं बड़े किस्मत वाले

सामान्य समझ में सुशासन बाबू (Sushasan Baboo) इस मोर्चे पर बड़े किस्मत वाले हैं. उनके पास हरेक तरह के मानस पुत्र और मानस भाई हैं. कुछ ऐसे जिन्होंने स्वयं को मानस पुत्र घोषित कर दिया है. दूसरे ऐसे, जिन्हें आसपास के लोगों ने यह दर्जा दे दिया है. समानता यह है कि उनके पूर्व और वर्तमान मानस पुत्रों का हश्र एक जैसा होने का अनुमान लगया जा रहा है. सुशासन बाबू के एक चर्चित मानस भाई का हाल सबको मालूम है. हर किसी ने देखा और सुना कि जिस दिन पार्टी से वह बेदखल हुए, उसी दिन से सुशासन बाबू की राजनीति (Politics) की जड़ खोदने लगे.


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पूरी तरह बर्बाद हो गये

हटने के बाद पता चला कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने राज्य को बर्बाद कर दिया है. राज्य बर्बाद हुआ कि नहीं, यह बाद में पता चलेगा, मानस भाई पूरी तरह बर्बाद हो गये हैं. बेचारे गांव में बैठ कर जमाने की बेवफाई को कोस रहे हैं. सुन रहे हैं कि इन दिनों कबीर के दोहे गुनगुना रहे हैं…..मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे. एक पूर्व मानस पुत्र ने संकल्प लिया कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सुशासन बाबू का वह हाल कर देंगे कि वह विधानसभा चुनाव (assembly elections) की पीड़ा पूरी तरह भूल जायेंगे.

झुक गये उनके लिए

सो इसके लिए उन्होंने एक दर्जन से अधिक लोकसभा क्षेत्रों की पहचान कर अभियान चलाया. लक्ष्य अपनी जीत का नहीं, सुशासन बाबू के उम्मीदवार की हार का तय किया. परिणाम क्या निकला यह सबके सामने है. एक वर्तमान मानस पुत्र ने अपनी पुत्री की उम्मीदवारी के लिए उस आदमी से बात की, जिसके चलते मानस पिता यानी सुशासन बाबू आज तक पीड़ित हैं. वश चले तो वह उस आदमी की शक्ल भी न देखें.‌ लेकिन, इस मानस पुत्र के लिए वह स्वभाव के विपरीत झुक गये. मानस पुत्र की पुत्री बड़े इत्मीनान से सदन में पहुंच गयी. एक अन्य मानस पुत्र इस समय निर्माण की प्रक्रिया में

गर्त में जाना तय

करीबी लोग बता रहे हैं कि निर्माणाधीन मानस पुत्र पहले वाले मानस पुत्र और मानस भाई से भी अधिक शक्ति संपन्न हैं. इधर शक्ति में कुछ बढ़ोतरी भी हुई‌ है. समय बतायेगा कि वह कितने दिनों बाद उनकी नजरों से ओझल होते हैं. इतिहास तो यही है कि सुशासन बाबू जिस पर जरूरत से अधिक मेहरबान होते हैं, उसका गर्त में जाना फाइनल हो जाता है.

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