देवेश चन्द्र ठाकुर : इतना गुस्सा क्यों?
मदनमोहन ठाकुर
02 अगस्त 2024
Sitamarhi : लाख दिमाग खपाने के बाद भी राजनीति (Politics) समझ नहीं पा रही है कि सीतामढ़ी के नवनिर्वाचित जदयू (JDU) सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर (Devesh Chandra Thakur) इन दिनों बात-बात पर बमक क्यों जा रहे हैं? औरों की बात छोड़िये, अपने ही संसदीय क्षेत्र के लोगों पर बरस जा रहे हैं, खरी खोटी सुना दे रहे हैं. आखिर, क्यों? बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए चुनाव के. अच्छी तरह याद होगा कि जातीय समीकरण (caste equations) के लिहाज से बिल्कुल प्रतिकूल सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने पहली खीझ किस पर उतारी थी और क्यों उतारी थी. यादव (Yadav) और मुसलमान (Muslim) मतदाता तो मुख्य निशाने पर थे ही, कुशवाहा और तेली- सूरी समाज के मतदाताओं के भी बड़ी बेरूखी से मुंह फेर लेने से जो गुस्सा उफना रहा था, उस दिन एक साथ फूट पड़ा.
बयान पर बने रहे
गौर कीजिये, दूसरा कोई भी सांसद (Member of parliament) ऐसा कहने से पहले बीस बार सोचता, देवेश चन्द्र ठाकुर ने खुले तौर पर कह दिया कि उक्त जातियों के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया इसलिए अब उनका कोई भी व्यक्तिगत काम वह नहीं करेंगे. उनकी इस बेबाकी की बड़ी आलोचना हुई, खुला विरोध हुआ. देवेश चन्द्र ठाकुर अपने बयान पर बने रहे. दूसरे राजनीतिज्ञों की तरह बयान से मुकरे नहीं, बदले नहीं. जो कह दिया सो कह दिया. यही उनके व्यक्तित्व की खासियत है जो अन्य किसी राजनीतिज्ञ (Politician) में नहीं दिखता है.
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ऐसी झल्लाहट क्यों?
यह था गुस्से का पहला हिस्सा, दूसरा हिस्सा कुछ अधिक गंभीर है. इसकी चपेट में जो वोट नहीं दिया वह नहीं, वोट देने वाला आ गया. किसी काम के लिए देर रात में फोन किया, देवेश चन्द्र ठाकुर बिफर पड़े. आवेश में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगली बार वोट नहीं देना, विपक्ष को दे देना लेकिन रात में फोन मत करना. यह ठीक है कि जनप्रतिनिधियों की भी अपनी निजी जिन्दगी होती है. उसमें खलल डालना उचित नहीं.पर, किसी जनप्रतिनिधि का क्षेत्र के लोगों पर इस कदर बिफर पड़ना मानवीय दृष्टिकोण से सही है क्या? खैर, यह सब तो है. लेकिन, यहां सवाल उठता है कि देवेश चन्द्र ठाकुर के शांत स्वभाव में ऐसी झल्लाहट क्यों भर गयी है?
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