बाबा सिद्दिकी: बस लगाव भर था गोपालगंज के पैतृक गांव से
विष्णुकांत मिश्र
06 नवम्बर 2024
Mumbai : जिस बाबा सिद्दिकी की हत्या से राजनीति और फिल्म जगत में सिहरन समा गयी है, वह आखिर थे कौन? मुंबई में उनकी इतनी बड़ी हैसियत कैसे बन गयी? उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार बाबा सिद्दिकी (Baba Siddiki) मूल रूप से बिहार (Bihar) के गोपालगंज (Gopalganj) जिले के मांझा प्रखंड क्षेत्र के शेख टोली गांव के रहनेवाले थे. पर, बड़ी हैसियत हासिल करने के बाद गांव में उनकी प्रत्यक्ष मौजूदगी यदा-कदा ही होती थी. 66 वर्षीय जीवन में कुल जमा तीन बार ही शेख टोली वासियों को उनका दीदार हुआ था. परंतु, पैतृक गांव और वहां के लोगों की बेहतरी की चिंता उन्हें जरूर रहती थी.
अब्दुल रहीम मेमोरेरियल ट्रस्ट
मोहम्मद गुफरान दिवंगत राकांपा (NCP) नेता बाबा सिद्दिकी के भतीजा हैं. गांव के प्रति उनके गहरे लगाव को वह इन शब्दों में व्यक्त करते हैं-पिता के नाम पर बाबा सिद्दिकी ने अब्दुल रहीम मेमोरियल ट्रस्ट (Abdul Rahim Memorial Trust) बना रखा था. उसी के जरिये लोक कल्याण के काम कराते थे. क्षेत्र के बच्चों को आधुनिक शिक्षा उनकी प्राथमिकता थी. उद्देश्य प्रतिस्पर्धाओं में उन्हें पिछड़ने नहीं देना था. इसी मकसद से उन्होंने सिर्फ गोपालगंज में ही नहीं, पूरे बिहार में चालीस संस्थान खुलवा रखे थे, जहां गरीब तबके के छात्रों को निःशुल्क शिक्षा और कौशल विकास का प्रशिक्षण मिलता है. क्रिकेट में भी प्रतिभा उभारने पर ध्यान रखते थे.
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वारिसों को नहीं है कोई मतलब
शेख टोली में बाबा सिद्दिकी के रिश्तेदार रहते हैं. उनमें ममेरे भाई मोहम्मद जलालुद्दीन भी हैं. गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि राजनीति और फिल्म जगत में अप्रत्याशित रुतबा-रुआब पाये बाबा सिद्दिकी पहली बार 2018 में शेख टोली आये थे. तब पिता अब्दुल रहीम सिद्दिकी भी साथ में थे. उसके बाद 2018 और 2022 में उनका पदार्पण हुआ. 01 अप्रैल 2022 को मांझा के माधव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अब्दुल रहीम मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने छात्रों के बीच शिक्षा संबंधित सामग्री का वितरण किया था. बाबा सिद्दिकी के परिजनों का कहना जो हो, पैतृक गांव शेख टोली, प्रखंड मांझा, जिला गोपालगंज और राज्य बिहार से उनका लगाव-जुड़ाव बस इतना भर ही रहा. उनके वारिसों को तो शेख टोली से कोई मतलब ही नहीं है.
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