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बाबा सिद्दिकी : लगाते थे कभी फास्ट फूड का ठेला

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विष्णुकांत मिश्र
07 नवम्बर 2024

Mumbai : पैतृक गांव शेख टोली के लोगों के मुताबिक वारिसों के लिए कथित रूप से करोड़ों का आर्थिक साम्राज्य छोड़ गये बाबा सिद्दिकी (Baba Siddiki) का जन्म एक वैसे निर्धन परिवार में हुआ था जो बड़ी मशक्कत से दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाता था. आर्थिक विपन्नता की इसी विवशता से उबरने का ख्वाब लिये बाबा सिद्दिकी के अब्बा अब्दुल रहीम सिद्दिकी लगभग 10 वर्ष की उम्र में कोलकाता चले गये. उस कालखंड मंें बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को कोलकाता में ही सहजता से रोजगार उपलब्ध हो पाता था. अब्दुल रहीम सिद्दिकी को एक रिश्तेदार के यहां ठांव मिल गया. वहां उन्हांेने ताला-चाभी बनाने का काम शुरू कर दिया. शहर की तंग गलियों में फेरी लगा किस्मत संवारने का अथक प्रयास करने लगे.

कोलकाता से पहुंच गये मुम्बई
लेकिन, मेहनत के अनुरूप कमाई नहीं होने की वजह से इस काम में मन नहीं रमा. बोरिया-बिस्तर समेट मुंबई पहुंच गये. वहां दूर के रिश्तेदार असरार सिद्दिकी का सहारा मिला. शांताक्रूज में किराये का मकान लेकर रहने लगे. काम ताला-चाभी बनाने का ही शुरू किया. पर, कुछ समय बाद घड़ीसाज बन गये. ‘रेड वाच एण्ड रेडियो रिपयेरिंग हाउस’ के नाम से दुकान खोल ली. खाने-पीने लायक कमाई होने लगी. उम्र बढ़ी तो शादी हो गयी-रजिया सिद्दिकी से. फिर 13 सितंबर 1958 को पुत्र भी पैदा हुआ. नाम जियाउद्दीन सिद्दिकी रखा. पुत्र के पैदा होते ही अब्दुल रहीम सिद्दिकी की किस्मत के बंद द्वार खुल गये.


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वहीं पड़ गयी बुलंदियों की बुनियाद
अब्दुल रहीम सिद्दिकी मुंबई में अकेले रहते थे. पुत्र जियाउद्दीन सिद्दिकी पांच साल का हुआ तब परिवार को भी साथ रखने लगे. परिवार को मुंबई लाने से पहले उन्होंने बांद्रा पश्चिम में 550 वर्गफीट का अपना मकान ले लिया. वही बांद्रा पश्चिम, जहां अधिकतर फिल्मी हस्तियां रहती हैं. सलमान खान, शाहरूख खान, आमिर खान आदि अनेक अभिनेता-अभिनेत्रियां, निर्माता-निर्देशक सभी. जियाउद्दीन सिद्दिकी में दुनियादारी की समझ पैदा हुई तब वह पढ़ाई के साथ-साथ पिता के काम में हाथ बंटाने लग गये. इसके साथ सड़क किनारे चाईनीज फास्ट फूड का ठेला लगा अतिरिक्त उपार्जन भी करने लगे. यह सब करते हुए उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली. फिर जो कुछ हुआ उसने उनकी बुलंदियों की बुनियाद डाल दी.

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