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दरभंगा एम्स: छंट गयी अहंकार की धुंध, झूम उठा मिथिलांचल

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विजयशंकर पांडेय
13 नवम्बर 2024
Darbhanga: दरभंगा  में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का शिलान्यास हुआ. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मौजूदगी में बुधवार को शोभन बायपास रोड (Shobhan Bypass Road) में भूमि पूजन के साथ निर्माण की पहली ईंट रखी. इससे उत्तर बिहारवासियों की आंखों में इत्मीनान की चमक छा गयी. नीतीश कुमार इतने अभिभूत हो गये कि सभा मंच पर ही नरेन्द्र मोदी के पांव छूने लग गये.

पत्रों का आदान-प्रदान ही हुआ

उनका इस कदर भावुक होना स्वाभाविक भी था. कारण कि क्षुद्र राजनीति की वजह से करीब नौ वर्षों से दरभंगा एम्स का निर्माण बाधित था. इन वर्षों के दौरान जमीन पर दिखने लायक कुछ नहीं, केन्द्र और राज्य की सरकारों के बीच जमीन के लिए पत्रों का आदान-प्रदान भर हुआ. एक दूसरे पर अड़ंगा डालने के आरोपों का लंबा सिलसिला चला. अंततः जनता के व्यापक हित में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने राज्य सरकार (state government) के प्रस्ताव के अनुरूप शोभन बायपास रोड में एम्स निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी.

शिलान्यास समारोह का एक दृश्य.

नौ वर्षों से था हवा में

बिहार के लिए गौरव की बात है कि यह देश का ऐसा दूसरा राज्य बन गया है जहां दो एम्स होंगे. यहां दूसरा एम्स खोलने की घोषणा 2015-16 के बजट में हुई थी. उस वक्त अरुण जेटली (Arun Jaitley) वित्त मंत्री थे. नरेन्द्र मोदी की सरकार की ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना’ (Prime Minister Health Protection Scheme) के तहत इसका निर्माण होना है. इसके लिए 19 सितम्बर 2019 में 01 हजार 264 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई. दूसरा एम्स कहां खोला जायेगा, बजट भाषण में शायद इसका जिक्र नहीं था. बाद में दरभंगा का चयन हुआ. पर, दुर्भाग्य ऐसा कि राज्य सत्ता की कथित निकृष्ट सोच की वजह से लगभग नौ वर्षों तक यह हवा में ही झूलता रहा, जमीन पर एक ईंट भी नहीं पड़ी. मामला जमीन के जंजाल और सत्ता आधारित अहं के टकराव में इस कदर उलझ गया कि इससे उबर पाना कठिन दिखने लगा.

रुख सकारात्मक नहीं

दरभंगा में एम्स का निर्माण 200 एकड़ भू-भाग में 01 हजार 264 करोड़ रुपये की लागत से होना था. अब यह 187.44 एकड़ जमीन पर खड़ा होगा. लागत की राशि बढ़ सकती है. काम शुरू होने पर निर्माण में तीन साल लगेंगे. निर्माण का कार्य नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (NBCC) की सहायक कंपनी एचएससीसी इंडिया लिमिटेड को मिला है. डिजाइन इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली तैयार करेगा. इसमें 15 से 20 सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट होंगे. एमबीबीएस के लिए सौ सीटें होंगी. बीएससी (नर्सिंग) के लिए साठ सीटें. अस्पताल में 750 बेड होंगे. एक अनुमान के मुताबिक इससे तीन हजार लोगों को रोजी-रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.


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घटिया राजनीति

दुर्भाग्य देखिये, नीतीश कुमार की सरकार का रुख सकारात्मक रहता, तो उत्तर बिहार के लोग एम्स का लाभ उठा रहे होते, पर लगभग नौ वर्षों तक जमीन की ही तलाश होती रही! दरभंगा एम्स से उत्तर बिहार के चंपारण (Champaran) से लेकर मिथिलांचल (mithilanchal), कोशी अंचल (Koshi region) और सीमांचल (Seemanchal) ही नहीं, पश्चिम बंगाल (west bengal) एवं नेपाल (Nepal) के सीमावर्त्ती क्षेत्रों के आठ करोड़ से अधिक की आबादी को गुणवत्तापूर्ण सरल-सहज चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. उस आबादी को,जो अभावग्रस्तता और साल-दर-साल की बाढ़ जनित बीमारियों से जूझती रहती है, पटना (Patna) से दिल्ली (Delhi) तक के अस्पतालों में सुकून तलाशती रहती है.

यह है भूगोल शोभन बायपास का

जिस शोभन में एम्स का निर्माण होगा वह मुजफ्फरपुर-दरभंगा फोर लेन (Muzaffarpur-Darbhanga four lane) सड़क पर मब्बी से थोड़ा पहले बसा एक गांव है. समस्तीपुर- दरभंगा (Samastipur-Darbhanga) सड़क में एकमी से जो बायपास निकला है वह इसी शोभन के समीप फोर लेन से जुड़ जाता है. बायपास सड़क अधवारा समूह की खिरोई नदी के पश्चिमी तटबंध पर बना हुआ है. इसी बायपास में शोभन से तकरीबन 04 किलोमीटर पहले एम्स के लिए जमीन है. उस जमीन का अधिकतर हिस्सा हनुमाननगर एवं बहादुरपुर प्रखंडों में पड़ता है. शोभन दरभंगा सदर प्रखंड की पंचायत है. उस पंचायत की भी कुछ जमीन इसमें है. हनुमाननगर प्रखंड की जलवार, पंचोभ और रामपुरडीह तथा बहादुरपुर प्रखंड की गोरियारी एवं मनियारी पंचायतों की भी.

दरभंगा से है पांच किमी दूर

एम्स की जमीन लगभग एक किलोमीटर की लंबाई एवं आधा किलोमीटर की चौड़ाई वाले भू-भाग में फैली हुई है. निर्माण स्थल दरभंगा शहर से तकरीबन पांच किलोमीटर दूर है. दरभंगा एयर पोर्ट से उसकी दूरी करीब आठ किलोमीटर और प्रस्तावित आमस-दरभंगा सिक्स लेन सड़क से लगभग तीन किलोमीटर है. बहादुरपुर अंचल के बलिया मौजा में स्थित सड़क से 15 से 20 फीट नीचे की इस जमीन का बड़ा हिस्सा बरसात के मौसम में जल प्लावित रहता है.

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