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पटना उच्च न्यायालय की तल्ख टिप्पणी : भटक गयी शराबबंदी …

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तापमान लाइव ब्यूरो
16 नवम्बर 2024

PATNA : शराबबंदी कानून बिहार (Bihar) में गरीबों के लिए मुसीबत बन गया है. शराब (Liquor) और अन्य अवैध सामान की तस्करी को बढ़ावा दे रहा है. राज्य सरकार (State Goverment) ने नागरिकों के जीवन स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य (Health) को सुधारने के उद्देश्य से 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था, लेकिन कई कारणों से यह इतिहास की गलत दिशा में बढ़ गया है. पुलिस, उत्पाद, वाणिज्य कर और परिवहन विभागों के अधिकारियों की अनुचित कमाई का जरिया बन गया है. इस दृष्टिकोण से अति शख्त शराबबंदी कानून (Prohibition law) की आलोचना होती ही रहती है, पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने हाल के अपने एक फैसले में उक्त टिप्पणी कर इसकी सार्थकता पर बहुत गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है.

इस मामले में आया फैसला
पटना उच्च न्यायालय का यह फैसला पटना बायपास के थानाध्यक्ष रहे मुकेश कुमार पासवान की याचिका पर आया है. राज्य सरकार का एक सामान्य आदेश है कि जिस पुलिस अधिकारी के क्षेत्राधिकार में शराब की बरामदगी होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. यह आदेश 24 नवंबर 2020 से लागू है. इसी आदेश के तहत थानाध्यक्ष मुकेश कुमार पासवान के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी. उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने बायपास थाना से पांच सौ मीटर दूर छापा मार कर अंग्रेजी शराब बरामद की थी.

निलंबन आदेश रद्द
इस आधार पर मुकेश कुमार पासवान को पदावनत कर निलंबित कर दिया गया था. विभागीय जांच (Departmental Inquiry) के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताय, पर. वहां उनकी नहीं सुनी गयी. तब वह पटना उच्च न्यायालय की शरण में गये. उच्च न्यायालय ने पाया कि सजा पहले से निर्धारित थी. इससे पूरी विभागीय प्रक्रिया औपचारिकता बन कर रह गयी. अदालत ने पदावनति और निलंबन के आदेश को तो रद्द कर ही दिया, याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई को भी समाप्त कर दिया.


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गरीबों के लिए मुसीबत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह द्वारा 29 अक्बतूर 2024 को सुनाया गया था. 13 नवंबर 2024 को पटना उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर इसे अपलोड किया गया. न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने अपने फैसले में कहा कि शराब तस्करी में शामिल बड़े व्यक्तियों या सिंडिकेट संचालकों के खिलाफ बहुत कम मामले दर्ज होते हैं. शराब पीने वाले गरीबों या नकली शराब (Fake liquor) के शिकार हुए लोगों के खिलाफ अधिक मामले दर्ज किये जाते हैं. इस रूप में यह कानून राज्य के गरीब लोगों के लिए मुसीबत (Trouble) बन गया है.

तस्करों से मिलीभगत
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए सुविधाजनक उपकरण बन गयी हैं. पुलिस की तस्करों (Smugglers) से मिलीभगत (Collusion) रहती है. कानून से बचने के लिए नये तरीके विकसित किये गये हैं.

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