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बाबा सिद्दिकी : ऐसे कायम हुआ रुतबा मुम्बई की राजनीति में

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विष्णुकांत मिश्र
16 नवम्बर 2024

MUMBAI : बाबा सिद्दिकी की इंटरमीडिएट की पढ़ाई 1977 में शुरू हुई. कॉलेज में नामांकन हुआ नहीं कि राजनीति में रूचि जग गयी. कांग्रेस (Congress) के छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) से जुड़ उन्होंने राजनीति (Poltics) में कदम बढ़ा दिया. तब वह मात्र 19 साल के थे. 1980 में इस संगठन के अध्यक्ष का पद पाने का प्रयास किया, सफलता नहीं मिली. तब ‘बाबा सिद्दिकी’ के नाम से खुद का संगठन खड़ा कर दिया. छात्र हित की बात कर यह संगठन पूरे महाराष्ट्र (Maharashtra) में फैल गया. इसी के बैनर तले वह महाराष्ट्र के विभिन्न कॉलेजों में छात्र संघ का चुनाव (Student Union Election) लड़वाने और अपने समर्थकों (Supporters) को जितवाने लगे. उसी दौर में दबंगता (Dominance) स्थापित हुई और वह ‘बाबा सिद्दिकी’ के नाम से चर्चित हो गये. धीरे-धीरे महाराष्ट्र की राजनीति में भी कद बढ़ने लग गया.

मिल गया युवक कांग्रेस का अध्यक्ष पद
अपनी मेहनत से 1980 में बांद्रा युवक कांग्रेस के महासचिव और 1982 में अध्यक्ष का पद पा गये. 1988 में मुंबई युवक कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने का अवसर भी मिल गया.उसके बाद मुंबई नगर निगम की राजनीति में सक्रिय हुए. 1992 और 1997 में निगम पार्षद (Municipal Councillor) निर्वाचित हुए. इस रूप में पांव जम जाने के बाद बांद्रा पश्चिम (Bandra West) से विधानसभा का चुनाव (Assembly Elections) लड़ने लग गये. 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन बार विधायक (MLA) निर्वाचित हुए. विलासराव देशमुख (Vilasrao Deshmukh) के मुख्यमंत्रित्व काल में 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री भी रहे.


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विरासत पुत्र ने संभाल ली
वर्तमान में उनके पुत्र जीशान सिद्दिकी (Zeeshan Siddiqui) बांद्रा पूर्व से विधायक हैं. 1999 में वह कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए थे. मुंबई युवक कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी मिला था. 08 फरवरी 2024 को बाबा सिद्दिकी कांग्रेस से 47 वर्षीय नाता तोड़ 10 फरवरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) में शामिल हो गये. उनके इस निर्णय पर कांग्रेस में तीखी प्रतिक्रिया हुई. जीशान सिद्दिकी को मुंबई युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद से मुक्त कर कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया. बाबा सिद्दिकी के इंतकाल के बाद जीशान सिद्दिकी विधिवत राकांपा (अजीत) में शामिल हो गये हैं. वैसे, उस दिन बाबा सिद्दिकी के साथ जीशान सिद्दिकी की भी हत्या होनी थी. संयोगवश बच गये.

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