सुरसंड : अबू दोजाना…खोजना होगा नया ठिकाना!
मदनमोहन ठाकुर
05 दिसम्बर 2024
Sitamarhi : सीतामढ़ी जिले के सुरसंड (Sursand) विधानसभा क्षेत्र में स्थानीयता का मुद्दा महागठबंधन (Grand Alliance) के बड़े घटक राजद (RJD) में भी सुलग रहा है. आशंका गहरा रही है कि कहीं यह मुद्दा इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक अबू दोजाना (Abu Dojana) के मंसूबों पर पानी न फेर दे. वैसे इस आशंका की एक जबर्दस्त काट भी है. अबू दोजाना का लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) परिवार से गहरा संबंध है. इतना गहरा कि उन्हें नजरंदाज करना राजद नेतृत्व के लिए कठिन होगा. लेकिन, स्थानीयता का मुद्दा जिस ढंग से जोर पकड़ रहा है उसको देखते हुए राजद नेतृत्व को इस पर सोचने को बाध्य हो जाना पड़ सकता है.
रहते हैं पटना में
स्थानीयता का मुद्दा कुछ इस रूप में है. अबू दोजाना पटना (Patna) के रहने वाले हैं. वैसे, स्थानीयता पर सवाल से बचने के लिए उन्होंने पुपरी (Pupari) के मौलानगर में जमीन खरीद अपना भव्य भवन बना लिया है. परन्तु, आमतौर पर उस भवन का द्वार तभी खुलता है जब कोई राजनीतिक बैठक बगैरह होती है. उस घर में उनके स्थायी रूप से नहीं रहने के कारण आम लोगों की धारणा में वह ‘बाहरी’ ही हैं. ‘बाहरी विधायक’ से क्षेत्र की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती हैं, ऐसा आम लोगों का मानना है.
संभावना को मिल रहा विस्तार
राजनीति के पंडितों की समझ है कि अबू दोजाना के ‘बाहरी’ होने का मुद्दा जिस ढंग से रंग पकड़ रहा है उससे राजद में पुपरी के पूर्व मुखिया इसरारूल हक पप्पू (Israrul Haq Pappu) की उम्मीदवारी की संभावना को विस्तार मिल रहा है. इस विस्तार का मजबूत आधार भी है. यह कि इसरारूल हक पप्पू की मुस्लिम और हिंदू, दोनों समाज में गहरी पैठ है. समाज सेवा के कार्यों से भी वह गहरे रूप से जुड़े हैं. वैसे कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. सबसे बड़ी बात यह कि उन्हें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) का आशीर्वाद प्राप्त है. तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) भी इनके वजूद को महसूस करते हैं, तरजीह देते हैं.
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यह गणित है किला फतह का
गोपनीय बैठक हो या सार्वजनिक बैठक, इसरारूल हक पप्पू की उपस्थिति से इसकी पुष्टि हो जाती है. तेजस्वी प्रसाद यादव दलहित में इनकी सलाह को महत्व भी देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इसरारूल हक पप्पू ने इस बार सुरसंड से चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत करा दिया है. उनका गणित है कि 2025 में राजद की उम्मीदवारी मिली तो ‘माय’ समीकरण में अपने क्षेत्रीय जनाधार को जोड़ वह किला फतह कर ले सकते हैं. चुनाव में अभी वक्त है. उम्मीदवारी के मामले में राजद नेतृत्व दलहित में निर्णय करता है या व्यक्ति विशेष के हित में, देखना दिलचस्प होगा.
इसलिए पिछड़ गये थे अबु दोजाना
सुरसंड अभी जदयू (JDU) के कब्जे में है. दिलीप राय (Dilip Rai) उसके विधायक हैं. 2020 में उन्होंने राजद के दमदार प्रत्याशी पूर्व विधायक अबू दोजाना को शिकस्त दी थी. 2015 में 23 हजार 232 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले अबू दोजाना 2020 में 08 हजार 876 मतों से पिछड़ गये. 2015 में उनकी जीत एनडीए (NDA) समर्थक समाजिक समूहों के मतों में भारी बिखराव और माय समीकरण के मुकम्मल समर्थन की वजह से हुई थी. जदयू तब राजद के साथ महागठबंधन में था. शाहिद अली खान (shahid Ali Khan) एनडीए के उम्मीदवार थे.13 हजार 954 मतों में सिमट गये थे. 2020 में ‘माय’ बिखर गया, अबू दोजाना मात खा गये.
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