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पार्टी में भी गड़बड़झाला : एक गाड़ी पर डेढ़ ड्राइवर!

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विशेष प्रतिनिधि
06 फरवरी, 2022

PATNA : अच्छे लोग खराब परिस्थिति में भी कुछ अच्छा करने की कोशिश करते हैं. कर भी लेते हैं. यही बात हेराफेरी करने वालों पर भी लागू होती है. वही किस्सा है-चोर चोरी से जाये, हेराफेरी से न जाये. सत्तारूढ़ दल में निजाम बदला तो कई ऐसे किस्से सामने आये हैं, जिनसे स्थापित हुआ कि हेराफेरी करने वाले कभी बाज नहीं आते हैं. नये वाले अध्यक्षजी खर्च का हिसाब-किताब देेख रहे थे. कार्यालय (Office) में कई वेतनभोगी हैं. उन्होंने वेतन का हिसाब देखा. वेतन पाने वाले लोगों के नाम थे. नाम के सामने वह रकम दर्ज थी, जो उन्हें हर महीने वेतन के तौर पर दी जाती थी.

चौंक गये अध्यक्ष जी
अध्यक्षजी ने वेतन पाने वाले एक आदमी का नाम देखा तो चौंक गये. नाम की जगह लिखा था-नया आदमी. खोज हुई. यह नया आदमी कौन है. बताया गया कि वह ड्राइवर (Driver) है. अगली जानकारी और चौंकाने वाली थी. ड्राइवर की पोस्टिंग (Posting) दिल्ली में है. उन्होंने पूछा कि क्या दिल्ली (Delhi) में पार्टी की कोई गाड़ी भी है. रिकार्ड पलट कर देखा गया. जानकारी यह मिली कि दिल्ली में पार्टी की कोई गाड़ी नहीं है. अबतक जो लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए हैं, अपनी गाड़ी का उपयोग करते रहे हैं. उनका ड्राइवर भी अपना ही होता था. उनके ड्राइवर के लिए प्रदेश कार्यालय से वेतन नहीं गया. अधिक पूछने की जरूरत नहीं पड़ी.


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एक और खुलासा
पार्टी का हिसाब देखने वाले सज्जन ने अध्यक्षजी के कान में उस आदमी का नाम बता दिया, जिनकी सेवा में नया आदमी लगा हुआ है. हर महीने पार्टी (Party) कोष से उसे वेतन (Salary) जाता है. आदेश मिला कि नया आदमी को पार्टी कार्यालय (Party Office) में हाजिर किया जाये. पता नहीं, उसकी हाजिरी हुई कि नहीं, लेकिन वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गयी है. यह भी शोध का विषय है कि नया आदमी कौन है. देर-सबेर उस आदमी का भी पता चल ही जायेगा. हेराफेरी से जुड़ा कुछ और नया खुलासा देखिये.

चाय-पानी तक में घोटाला
पार्टी कार्यालय में चार (Four) गाड़ी है. चार गाड़ियों को चलाने के लिए छह (Six) ड्राइवर (Driver) हैं. ऐसा कमाल किसी और पार्टी में नहीं मिलेगा. एक गाड़ी पर डेढ़ ड्राइवर की डयूटी. मतलब यहां भी दो अतिरिक्त ड्राइवर का वेतन जा रहा है. पार्टी के लोग बता रहे हैं कि सघन जांच हुई तो कई और जानकारी मिलेगी. चाय-पानी तक में घोटाले का मामला सामने आ सकता है. हालांकि, अध्यक्षजी को सलाह दी जा रही है कि वे जांच-पड़ताल पर अधिक जोर न दें. क्या पता, हेराफेरी की जद में कई अपने भी आ जायें.

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