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पटना : लल्लू मुखिया की ललकार खेल न दे बिगाड़

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राजेश कुमार
4 फरवरी, 2022

BARH (PATNA) : बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के पटना स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र में मुकाबले के जो आसार बन रहे हैं उसमें अन्य क्षेत्रों की तुलना में वहां की रोचकता कुछ अलग दिख सकती है. आधार अनेक हैं, पर मोकामा (Mokama) के बाहुबली राजद (RJD) विधायक (MLA) अनंत सिंह (Anant Singh) के ‘वर्तमान अतिविश्वसनीय’ और ‘निवर्तमान अतिविश्वनीय’ के बीच टक्कर इसकी मुख्य वजह होगी. दानापुर (Danapur) से विधायक बन गये निवर्तमान विधान पार्षद की भूमिका भी. 2015 में विधान परिषद के इस निर्वाचन क्षेत्र में रीतलाल राय (यादव) की अप्रत्याशित जीत हुई थी.

रीतलाल ने रूला दिया
इस क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधान पार्षद वाल्मीकि सिंह (Balmiki Singh) महागठबंधन (Mahagathbandhan) के जदयू (तब के उसके घटक) समर्थित उम्मीदवार थे. राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) का साथ था. हार की किसी भी रूप में कोई आशंका नहीं थी. पर, होनी ने कुछ और निर्धारित कर रखा था. रीतलाल राय (Ritlal Ray) ने अप्रत्याशित ढंग से उन्हें रूला दिया. ऐसा कि वाल्मीकि सिंह तीसरे स्थान पर लुढ़क गये. रीतलाल राय का मुकाबला भाजपा समर्थित उम्मीदवार भोला सिंह (Bhola Singh) से हुआ. इस बार भोला सिंह चुनावी परिदृश्य से गायब हैं. कहीं उनकी कोई चर्चा नहीं हो रही है.

इस बार भी उतरेंगे
इसमें अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि हर तरह से सक्षम-समर्थ कुर्मी बिरादरी के फतुहा (Fatuha) निवासी वाल्मीकि सिंह इस बार भी चुनाव मैदान में उतरेंगे. राजग (जदयू) का समर्थन उन्हें मिलेगा, इस पर भाजपा (BJP) की दावेदारी को लेकर छायी धुंध अब पूरी तरह छंट गयी है. वैसे चर्चा यह भी थी कि भाजपा के कोटे में भी यह सीट जाती तब भी मौका उन्हें ही मिलता. हालांकि, भाजपा के संभावित उम्मीदवार के तौर पर कभी जेल में बंद मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के बड़े विश्वस्त के रूप में चर्चित रहे बाढ़ के समीपवर्ती नवादा (Nawada) गांव निवासी कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया (Karnveer Singh Yadav urf Lallu Mukhiya) के नाम की चर्चा खूब हो रही थी.

बिगड़ गया महागठबंधन का खेल
इस संपूर्ण इलाके में सर्वजातीय व सर्ववर्गीय मजबूत पैठ रखने वाले कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया 2020 के विधानसभा चुनाव में बाढ़ से राजद की उम्मीदवारी की चाहत रखते थे. उनके करीब के लोगों का मानना है कि अनंत सिंह की कथित अड़ंगेबाजी के कारण उनकी यह कामना पूरी नहीं हो पायी. उधर, राजद नेतृत्व द्वारा नजरंदाज कर दिये जाने से नाराज कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गये. हजार-दो हजार नहीं, 38 हजार 406 मत हासिल कर उन्होंने महागठबंधन के मंसूबों को मिट्टी में मिला दिया. विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन की उम्मीदवारी कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया को मिली होती, तो भारी जनविक्षोभ झेल रहे ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू (Gyanendra Singh Gyanu) को पछाड़ने में उन्हें कोई ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ता.

तब जोर लगाते रामकृपाल
हालांकि, यह कोई खास मायने नहीं रखता. तब भी कयासों में बात अवश्य थी कि विधान परिषद के चुनाव में भाजपा को उम्मीदवार उतारने का अवसर मिलता तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांसद रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) अपने समधियाने से आने वाले कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया के लिए जोर लगाते. परन्तु वैसा नहीं हुआ. अब कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया के निर्दलीय ताल ठोंकने पर उनकी (रामकृपाल यादव) भूमिका क्या होगी, लोगों की नजर इस पर रहेगी. महागबंधन में राजद का समर्थन कार्तिक मास्टर (Kartik Master) के नाम से ज्यादा चर्चित बाहुबली विधायक अनंत सिंह (Anant Singh) के खासमखास कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह (Kartikey Kumar urf Kartik Singh) को मिलने जा रहा है. वैसा होता है तो कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया और कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह के बीच ही कड़ी टक्कर होने की संभावना प्रबल हो जा सकती है.

बनी है सघन सक्रियता
विधान परिषद चुनाव की बाबत कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया और कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह की सघन सक्रियता बनी हुई है. इस चुनाव के लिए निर्धारित मतदाताओं से वे सिर्फ संपर्क ही स्थापित नहीं कर रहे हैं, बल्कि सार्वजनिक रूप से उन्हें सम्मानित भी कर रहे हैं. कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया को किसी दल का समर्थन मिले या नहीं, चुनाव में वह जरूर उतरेंगे. कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह को राजद का समर्थन करीब-करीब तय माना जा रहा है. तब भी किसी कारणवश निराशा मिलने की स्थिति में वह क्या करेंगे यह अभी अस्पष्ट है.

अड़े हैं रीतलाल राय
कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह की राजद की उम्मीदवारी पर एक संकट यह मंडरा रहा है कि दानापुर क्षेत्र से विधायक बन गये निवर्तमान विधान पार्षद रीतलाल राय अपने किसी परिजन के जरिये इस पर कब्जा बनाये रखने पर अड़े हैं. राजद (RJD) के समर्थन की उम्मीद बांध रखे हैं. रीतलाल राय के करीब के लोगों का कहना है कि उनकी योजना अपनी पत्नी पिंकी यादव (Pinki Yadav) या छोटे भाई पिंकू कुमार यादव (Pinku Kumar Yadav) को चुनाव मैदान में उतारने की है. विश्लेषकों की समझ है कि इस प्रयास में नाकामयाबी मिलने की स्थिति में उनके (रीतलाल राय) समर्थकों का प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष साथ कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया को मिल जा सकता है. भाजपा के उस तबके का भी जो राजग में इस क्षेत्र के जदयू (JDU) के कोटे में जाने से खिन्न है. रीतलाल राय के समर्थकों का साथ मिलने का एक आधार यह भी माना जा रहा है कि 2015 के चुनाव में कर्णवीर सिंह यादव उर्फ लल्लू मुखिया ने उनकी जीत में अहम भूमिका निभायी थी. क्या होता है क्या नहीं, यह भविष्य की बात है.


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लटक गये विवेका पहलवान
बहरहाल, दिलचस्प बात यह कि अनंत सिंह (Anant Singh) से सुलह कर 2020 के विधानसभा चुनाव में मोकामा क्षेत्र में उनकी राह आसान बनाने वाले बाहुबली विवेका पहलवान (Viveka Pahalwan) की इस चुनाव में किसी भी रूप में कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है. न तो वह खुद सक्रिय हैं और न उनकी सक्रियता के लिए अनंत सिंह ही कोई पहल कर रहे हैं. विवेका पहलवान के समर्थकों को यह खूब खल रहा है कि इस मामले में राजद में अनंत सिंह को महत्व मिला तो वह अपने करीबी कार्तिकेय कुमार उर्फ कार्तिक सिंह का हित साधने लगे. जबकि प्राथमिकता विवेका पहलवान को मिलनी चाहिये थी. इस दृष्टि से लोग विधान परिषद के चुनाव में विवेका पहलवान की भूमिका पर भी नजर रखे हुए हैं.

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