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चौंकिये नहीं, सब्जियां भी दिखाती हैं सत्ता की राह!

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विशेष प्रतिनिधि
31 मार्च 2023

PATNA : सब्जियों और खास कर हरी सब्जियों के फायदे के बारे में इन दिनों बड़ी चर्चा हो रही है. एक से एक मांसाहारी व्यक्ति भी उम्र के एक दौर में पहुंच कर हरी सब्जियों के गुण गाने लगे हैं. डाक्टर (Doctor) कहते हैं कि दिल, गुर्दा, दिमाग और शरीर के हरेक अंग के लिए सब्जियां (Vegetables) फायदेमंद हैं. अध्यात्म में तो पहले से सब्जियों के गुण गाये जाते रहे हैं. आप तो जानते ही हैं कि राजनीति (Politics) में भी मेडिकल साइंस की तरह प्रयोग होता रहता है. इधर एक नया प्रयोग सामने आया है. वह यह कि सब्जियों के सहारे बड़ा से बड़ा पद हासिल किया जा सकता है. सफल प्रयोग करने वाले सत्ताधारी दल के एक कुशवाहाजी (Kushwahaji) इसके उदाहरण हैं.

बन गये हैं प्रेरणा के पात्र
उन्होंने सब्जी से सत्ता हासिल करने का जो रास्ता दिखाया है, वह इस तरह के दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा के पात्र बन गये हैं. कुशवाहाजी ने अपने राजनीतिक कैरियर (Political Carrier) की शुरुआत राजद (RJD) सुप्रीमो के दरबार से की थी. वहां कुछ खास लाभ नहीं मिला. इससे वह निराश नहीं हुए. प्रयास जारी रखा. कुछ साल बाद दूसरे दल से सदन के सदस्य बन गये. उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंचने के लिए उन्होंने एक छोटे नेता (Leader) के घर पर सब्जी पहुंचाना शुरू किया. उस छोटे नेता के घर सब्जी पहुंचाते-पहुंचाते एक दिन सब्जी के साथ बड़े नेता के घर पहुंच गये.


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तब भी पहुंच रही हैं सब्जियां
सब्जियों का स्वाद नेताजी को भा गया. अब सब्जी आपूर्ति का सिलसिला चल निकला. यह दूसरी बार टिकट (Ticket) हासिल करने का भी माध्यम बना. चुनाव हारे तो पार्टी में बड़ा पद मिल गया. कुशवाहाजी की कर्मठता देखिए, जिस छोटे नेता के घर नियमित रूप से सब्जी पहुंचाते थे, वह नेता अब उनके अधीन है. फिर भी उनके घर सब्जियां पहुंच रही हैं. कुशवाहाजी ने इन दिनों कुछ और नेताओं के घर सब्जी पहुंचाना शुरू कर दिया है. उन्हें इस पर पूरा भरोसा है. यह भरोसा गलत भी नहीं है. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही मनोनयन के माध्यम से सदन (House) में पहुंच जायेंगे. चाहे तो दूसरे लोग भी सब्जी के माध्यम से अपना राजनीतिक स्वास्थ्य सुधार सकते हैं. यह आसान भी है. राजधानी (Capital) की कई मंडियों में सस्ती सब्जी मिलती है. करना कुछ नहीं है. इन्हीं मंडियों से सब्जी खरीदिये. पैकिंग को देहाती लूक दीजिये. साहब के घर पहुंचाइये. झोला रखने के साथ जोर से बोलिये-अपने खेत की है. गांव (Village) गये थे तो सोचा थोड़ा आपके लिए लेता चलूं. कुछ लोग यही फार्मूला मछली (Fish) पर भी लागू करते हैं. बाजार से मछली खरीद कर कह देते हैं कि अपने तालाब की है. खैर, इस समय तो सब्जियां ही पूर्ण फलदायी साबित हो रही हैं.

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