सहरसा : कायम रह पायेगी मठाधीशी?
तेजस्वी ठाकुर
8 मई 2023
SAHARSA : सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) की समय पूर्व रिहाई से सहरसा की राजनीति का रंग बहुत कुछ बदल रहा है. वैसे तो जेल (Jail) में रहते हुए भी अप्रत्यक्ष रूप से वह हस्तक्षेप करते ही थे, अब उनकी खुली सक्रियता से समीकरण उलट-पलट जा सकते हैं. स्थानीय सत्ता और सियासत पर कायम एकाधिकार टूट जा सकता है. आनंद मोहन की सक्रियता राजनीति (Politics) को किस हद तक प्रभावित करेगी, इसकी झलक सहरसा नगर निगम (Saharsa Nagar Nigam) के चुनाव में दिख जायेगी. चुनाव 9 जून 2023 को होना है. स्थानीय राजनीति की गहराई में जायें, तो सहरसा नगर निगम के महापौर (Mayor) और उपमहापौर (Deputy Mayor) पद के चुनाव का तार बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र और सहरसा जिला परिषद (Saharsa Zila Parishad) के अध्यक्ष पद के चुनावों से भी जुड़ा है. सामान्य धारणा है कि सहरसा की राजनीति और विभिन्न चुनावों के परिणामों के रुख ‘बाबा’ तय करते हैं. यह बाबा कोई और नहीं, स्थानीय लोगों के मुताबिक मधेपुरा (Madhepura) के जदयू सांसद दिनेश चन्द्र यादव (Dinesh Chandra Yadav) हैं. ‘बाबा’ के आगे कुछ और विशेषण भी जुड़ा है. उन्हें ‘बाबा’ की उपाधि किसने दी और क्यों दी, यह नहीं मालूम. हो सकता है मजाक-मजाक में किसी के मुंह से निकल सामान्य जुबां पर आ गया हो!
खुद गच्चा खा गये
जो हुआ हो, वर्तमान में वह क्षेत्रीय राजनीति में ‘मनोकामना सिद्धि’ का आखिरी विकल्प माने जाते हैं. मतलब सब जगह से थक-हार गये हैं तो ‘बाबा तू ही एक सहारा’ का जाप करते दंडवत होइये, पल भर में समाधान! लेकिन, जिला परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव में ‘बाबा’ खुद गच्चा खा गये. अपने स्थापित प्रताप के बल पर जदयू नेता (JDU Leader) अमर यादव (Amar Yadav) की पत्नी मधुलता (Madhulata) को अध्यक्ष पद पर काबिज कराना चाहते थे. जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र यादव (Rajendra Yadav) ने उनकी यह मंशा फलीभूत नहीं होने दी. दिनेश चन्द्र यादव की हर चाल को करीने से काटते हुए उन्होंने अपनी पत्नी किरण देवी (Kiran Devi) को अध्यक्ष बनवा दिया.‘ बाबा’ मुंह देखते रह गये, पर मन ही मन हिसाब बराबर करने का गणित भी बैठाने लगे.
ज्यादा वक्त नहीं लगा
स्थानीय राजनीति की गहन जानकारी रखने वालों के मुताबिक राजेन्द्र यादव की यह अकेले की कामयाबी नहीं थी. इसमें उन्हें भाजपा विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू (Niraj Kumar Bablu), पूर्व विधायक संजीव कुमार झा (Sanjeev Kumar Jha) एवं जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रितेश रंजन (Ritesh Ranjan) का भरपूर साथ मिला. शहर के लोग कहते हैं कि इस रूप में ‘प्रभाव’ को मिली चुनौती से वह अंदरूनी तौर पर विचलित हो उठे. वैसे, इससे उबरने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. कुछ ही माह बाद विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में नीरज कुमार सिंह बबलू की पत्नी नूतन सिंह (Nutan Singh) की पराजय की पृष्ठभूमि बना दी. नूतन सिंह मात खा गयीं. विश्लेषकों का मानना है कि यह सब तो हुआ, अघोषित घात-प्रतिघात की राजनीति (Politics) का विध्वंसक रूप अब सहरसा नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में दिखेगा.
मामला अदालत में
हालांकि, कानूनी विवाद में उलझे रहने के कारण इस पर अनिश्चतिताओं की धुंध छायी हुई है. विवाद कुछ ग्राम पंचायतों को सहरसा नगर निगम में समाहित करने को लेकर है. बात अब सहरसा नगर निगम के चुनाव की. पूर्व में सहरसा नगर परिषद के सभापति पद पर लम्बे समय तक काबिज रहीं सांसद दिनेश चन्द्र यादव की पत्नी रेणु सिन्हा (Renu Sinha) नवगठित सहरसा नगर निगम के महापौर पद के चुनाव में उम्मीदवार होंगी. विरोधी नेताओं का समूह उनकी राह अवरुद्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा, ऐसा विश्लेषकों का मानना है. पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) के खुली हवा में सांस लेने से बदल गये राजनीतिक हालात का सामना वह कैसे और किस रूप में कर पायेंगे, उनके लिए यह भी एक बड़ा सवाल है.
आनंद मोहन भी दिखायेंगे रुचि
ऐसा इसलिए कि कोशी अंचल, विशेष कर सहरसा में अंदरूनी तौर पर दोनों की शह और मात पर आधारित राजनीति है. यह लगभग तय है कि हालात अनुकूल रहने पर आनंद मोहन इस चुनाव में रुचि दिखायेंगे. अपना प्रत्यक्ष ‘प्रभुत्व’ कायम करने का प्रयास करेंगे. महापौर पद के चुनाव में दिवंगत पूर्व विधायक संजीव कुमार झा की पत्नी बेन प्रिया (Ben Priya) उम्मीदवार होंगी, ऐसा उनके निकट के लोगों का कहना है. वैसे, इन्हें मैदान में उतारने की तैयारी दिवंगत विधायक ने ही कर रखी थी. इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि उस तैयारी को वह अंजाम तक नहीं ले जा सके. बेन प्रिया महापौर पद का चुनाव लड़ती हैं तो पति संजीव कुमार झा की लोकप्रियता का लाभ तो उन्हें मिलेगा ही, समाज की सहानुभूति भी साथ रहेगी. संभावना जतायी जा रही है कि इनके चुनाव अभियान को पूर्व सांसद आनंद मोहन का भी सहयोग-समर्थन मिल सकता है.
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ख्वाहिश प्रियंका किशोर की भी थी
वैसे, ठेकेदारी के धंधे से जुड़े जितेन्द्र सिंह चौहान (Jitendra Singh Chauhan) भी आनंद मोहन के समर्थन की उम्मीद लगाये बैठे हैं. उन्हें महिषी (Mahisi) विधानसभा क्षेत्र से राजद (RJD) के प्रत्याशी रहे गौतम कृष्ण (Gautam Krishna) का साथ मिल सकता है. महापौर पद पर आसीन होने की ख्वाहिश पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना (Kishor Kumar Munna) की पत्नी प्रियंका किशोर (Priyanka Kishor) की भी थी. कई चुनावों में लगातार पराजय का मुंह देखने वाले किशोर कुमार मुन्ना की रुठी किस्मत के इसी के जरिये जग जाने की संभावना बन रही थी. किशोर कुमार मुन्ना कभी आनंद मोहन के दायें-बायें रहा करते थे. आनंद मोहन के सजायफ्ता होने पर उनसे दूर हो गये. खुद की पहचान स्थापित करने लगे. थोड़ी बहुत कामयाबी मिली भी,पर मुकम्मल रूप में पांव नहीं जम पाया. चित की चंचलता भी एक कारण रहा. पत्नी प्रियंका किशोर की चुनावी सफलता इनकी किस्मत के अवरुद्ध द्वार को खोल दे सकती थी. पर, इसी बीच उन्हें (प्रियंका किशोर) प्राध्यापक बनने का अवसर उपलब्ध हो गया. महापौर पद का चुनाव अब शायद ही वह लड़ पायेंगी.
चौंक गयी थी राजनीति
संजय सिंह (Sanjay Singh) की पत्नी रंजना सिंह (Ranjana Singh) सहरसा नगर परिषद की उपाध्यक्ष रही हैं. इस बार महापौर पद का चुनाव लड़ेंगी. सहरसा नगर परिषद के उपाध्यक्ष रहे उमेश यादव (Umesh Yadav) की महापौर पद का चुनाव लड़ने की तैयारी ने स्थानीय राजनीति को हैरान कर रखी थी. अनेक प्रकार के धंधों-गोरखधंधों से जुड़े उमेश यादव को सांसद दिनेश चन्द्र यादव का करीबी माना जाता रहा है. अब संभवतः वह महापौर पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. वैश्य बिरादरी से मोहन साव (Mohan Saw) का नाम खूब चर्चा में है. भाजपा (BJP) के विधायक पूर्व मंत्री आलोक रंजन (Alok Ranjan) की किसी भी रूप में कोई भूमिका दृष्टिगोचर नहीं हो रही है. पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) जाप के सहरसा जिला अध्यक्ष रंजन यादव (Ranjan Yadav) के लिए जोर लगा सकते हैं, यदि वह उम्मीदवार होते हैं तब. इसी पार्टी से जुड़े रहे शिवेन्द्र कुमार सिंह जीशू (Shivendra Singh Jishu) के छोटे भाई नितेन्द्र प्रताप सिंह नन्हें (Nitendra Pratap Singh Nanhe) ने भी जोरदार तैयारी कर रखी है. पटुआहा पंचायत का चार बार मुखिया रहे मुकेेश झा (Mukesh Jha) भी महापौर पद का चुनाव लड़ेंगे, ऐसा उनका खुद का कहना है.
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