गाथा गहलौर की: संवेदनहीनता दिखायी कांग्रेस की सरकार ने
दीपक कोचगवे
04 जुलाई 2023
Gaya : बात सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की ही नहीं है, ‘माउंटेन मैन’ के ‘प्रणम्य श्रम’ को केन्द्र की सरकार ने भी गंभीरता से नहीं लिया, महत्व नहीं दिया. स्थानीय जनप्रतिनिधि स्वार्थसिद्धि में ही मशगूल रहे. 1960 से लेकर 1982 तक यानी 22 वर्षों तक दशरथ मांझी (Dashrath Manjhi) का संकल्पबद्ध हथौड़ा अपनी रफ्तार में चलता रहा. लक्ष्यभेदी छेनी पहाड़ का सीना छेदती रही. बिहार और केन्द्र की सरकारें अनजान बनी रहीं. बाद के वर्षों में जब मामला सुर्खियों में आया तब भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी.
पैदल पहुंच गये थे दिल्ली
उस कालखंड में कांग्रेस सत्तासीन थी. केन्द्र में भी और बिहार (Bihar) में भी. उसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिल अपनी मेहनत को ‘सरकारी मान्यता’ दिलाने की ख्वाहिश लिये दशरथ मांझी रेलवे लाइन पकड़ गया से दिल्ली पहुंच गये. यात्रा दो माह में पूरी हुई. शर्म की बात कि लाख कोशिशों के बाद भी इंदिरा गांधी से मुलाकात नहीं हो पायी. इस खुन्नस में उन्होंने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की वह तस्वीर फाड़कर वहीं फेंक दी जिसे गया से गर्दन में लटकाये दिल्ली पहुंचे थे.
यह भी एक प्रमाण
दशरथ मांझी के प्रति कांग्रेस (Congress) की बेरुखी का एक और प्रमाण है पद्मश्री नहीं मिलना. 2006 में नीतीश कुमार की सरकार ने जब ऐसा प्रस्ताव भेजा था तब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी. बड़ीे निर्लज्जता से उसने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. यहां इस बात का उल्लेख करना भी जरूरी है कि कुछ समय के लिए जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह चाहते तो दशरथ मांझी के परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर सकती थी. लेकिन, उन्होंने कोई पहल नहीं की. अवसर मिला तो पुत्र को विधान परिषद की सदस्यता दिला मंत्री बनवा दिया. हालांकि, बाद में जीतनराम मांझी का विवेक कुछ-कुछ जग गया.
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हथौड़ा चलता रहा छेनी मचलती रही…
दायरा सीमित था.
जीतनराम मांझी का दायरा सीमित था. उनकी तुलना में नीतीश कुमार का बहुत बड़ा है. दशरथ मांझी के परिवार के किसी योग्य सदस्य को वह सत्ता और सियासत का सुख दिला बदहाली दूर करा सकते थे. लेकिन, उन्होंनेे भी वैसा कुछ नहीं किया. सिर्फ भावनात्मक बातों में ही बहलाते रहे. इधर के राजनीतिक घटनाक्रम में भागीरथ मांझी (Bhagirath Manjhi) और मिथुन मांझी (Mithun Manjhi) को जदयू (JDU) में लाया गया.
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