बात शैली सम्राट की: वंशजों को नहीं है कोई लगाव!
अपने बिहार के जिन प्रतिष्ठित साहित्यकारों की सिद्धि और प्रसिद्धि को लोग भूल गये हैं उन्हें पुनर्प्रतिष्ठित करने का यह एक प्रयास है. विशेषकर उन साहित्यकारों , जिनके अवदान पर उपेक्षा की परतें जम गयी हैं. चिंता न सरकार को है और न वंशजों को. ‘शैली सम्राट’ के रूप में चर्चित राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की साहित्यिक विरासत के साथ भी ऐसा ही कुछ प्रतीत होता है. उन पर आधारित किस्तवार आलेख की यह तीसरी कड़ी है:
अश्विनी कुमार आलोक
08 जुलाई 2023
राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह (Raja Radhikaraman Prasad Singh) ने हिन्दी साहित्य (Hindi Sahitya) को स्वाधीन भारत के सुखद भविष्य एवं आदर्श की परिपुष्टि से सुसज्जित अपनी रचनात्मकता समर्पित कर दी. समाज की चिंताओं ने उन्हें सचेत रखा कि वह आगे की वैसी पीढ़ी बनायें जो निष्कलुष और उदार नागरिक बनकर अपनी परंपराओं का मान रखे. जिन दिनों राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह ने अपने राजकाज का प्रभार छोटे भाई राजीव रंजन प्रसाद सिंह को सौंपा, उन्हीं दिनों उन्होंने राजभवन (Rajbhawan) के एक भाग में अपने पिता राज राजेश्वरी प्रसाद सिंह के नाम पर विद्यालय की स्थापना की और वर्षों तक छात्रों को पढ़ाते रहे. राज राजेश्वरी उच्च विद्यालय बाद के वर्षों में बिहार के पांच सबसे अच्छे विद्यालयों में परिगणित हुआ. यहां के छात्रावास और शिक्षा की गुणवत्ता के कारण 10-15 किलोमीटर की दूरी तय कर छात्र पढ़ने आते थे.
राज परिसर में विद्यालय
इन दिनों यह विद्यालय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में प्रोन्नत किया जा चुका है, लेकिन सुविधाओं के दृष्टिकोण से इसकी स्थिति उपयुक्त नहीं कही जायेगी. विद्यालय के शिक्षक मुकेश कुमार बताते हैं कि इसी विद्यालय के एस के सिंह सेना के लेफ्टिनेंट जेनरल के पद तक पहुंचे थे, विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह (Awadhesh Narayan Singh) ने यहीं से शिक्षा अर्जित की थी. यह विद्यालय 1915 से उच्च विद्यालय के रूप में मान्य रहा. इसने स्वतंत्रता संग्राम के अनेक अध्यायों में अपनी भागीदारी निभायी. यहां के शिक्षक जगदीश शुक्ला एवं रामपारस पाठक को राष्ट्रपति पुरस्कार (President Award) प्राप्त हुए. इन दिनों इस विद्यालय में करीब दो हजार छात्र हैं, उनके भविष्य निर्माण का दायित्व मात्र चौबीस शिक्षकों पर हैं. इनमें सात अतिथि शिक्षक हैं.
नहीं रहना चाहते
सूर्यपुरा (Suryapura) की कुल आबादी 75 हजार 938 है, जिसके 4 हजार 879 परिवार खेती पर निर्भर हैं. यहां सर्वाधिक आबादी यादवों की बतायी गयी है. जिस कायस्थ जाति से राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह थे, उस जाति के अब महज दस परिवार रह गये होंगे. इस जाति के लोग सूर्यपुरा में रहना नहीं चाहते. उनकी जीविका के साधन इधर नहीं हैं, इसलिए प्रायः सभी परिवार स्थायी रूप से पलायन कर गये हैं. जमीन-जायदाद बेच ली है और इधर घूमकर आते भी नहीं. सूर्यपुरा में राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के नाम पर किसी चौक-चौराहे का नाम नहीं है.
कार्यक्रम होते हैं
सीमा से लगे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कई जीवित राजनेताओं की प्रतिमाएं हैं. पर, किसी ने राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की एक प्रतिमा स्थापित करना मुनासिब नहीं समझा कि जन्मतिथि-पुण्यतिथि पर पुष्पार्पण की औपचारिकताओं का निर्वाह किया जा सके. राज राजेश्वरी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (Raj Rajeshwari Higher Secondary School) के पास एक तैलचित्र था. राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के वंशजों ने उसे भी मातृभूमि पर नहीं छोड़ा कि मिट्टी अपने लाल की शक्ल-सूरत का दीदार करती रहती. विद्यालय और यहां का साहित्यिक समाज अपने स्तर पर राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की जयंती और पुण्यतिथि पर कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.
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कांग्रेस से था जुड़ाव
जिस प्रकार सूर्यपुरा के कायस्थ परिवार सूर्यपुरा में रहना पसंद नहीं करते, राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के वंशजों को भी यह धरती अनुपयुक्त दिखी. राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह दो भाई हुए – राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह और राजीव रंजन प्रसाद सिंह. राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के भी दो बेटे हुए – राजेन्द्र प्रताप सिंह और उदयराज सिंह. राजेन्द्र प्रताप सिंह (Rajendra Pratap Singh) पांच बार कांग्रेस (Congress) के सांसद हुए. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और उनके परिवार से उनकी घनिष्ठता थी. राजेन्द्र प्रताप सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी थे.
1994 में आये थे दिल्ली
इन दिनों विदेश में रहते हैं. आखिरी बार 1994 में दिल्ली के उपराष्ट्रपति (Vice President) भवन में एक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे, जहां उन्होंने डॉ. शिवनारायण (Dr. Shivnarayan) की पुस्तक ‘चंपारण के स्वतंत्रता सेनानी’ का विमोचन किया था. उदयराज सिंह की तीन बेटियां हुईं – मंजरी जरुहार, रेशमा और निम्मी. मंजरी जरुहार दिल्ली में रहती हैं, आईपीएस अधिकारी थी. उनके पति का नाम राकेश जरुहार है. रेशमा कनाडा (Canada) में और निम्मी अमेरिका (America) मे रहती हैं.
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