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सीतामढ़ी-शिवहर : हो न जाये सब गुड़ गोबर!

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राजेश पाठक
29 अप्रैल 2024

Patna : नीतीश कुमार की लुढ़कती याददाश्त का असर कहां-कहां और किस-किस रूप में पड़ रहा है यह शोध का एक अलग विषय है. विषय बड़ा है, शोध में समय लग सकता है. इसकी चर्चा बाद में कभी. अभी बातें संसदीय चुनाव की. राजनीति (Politics) महसूस कर रही है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की स्मरण शक्ति में कथित ह्रास का सीधा असर एनडीए की सेहत पर पड़ रहा है. जीत की बाबत सत्तारूढ़ नेताओं का दावा जो हो, प्रथम और द्वितीय चरण के मतदान के रूख, जाति की रहनुमाई का दावा करने वाले नेताओं (Leaders) की स्वजातीय समाज पर ढ़ीली पड़ती पकड़ और सहयोगी दलो में आपसी समन्वय के अभाव के मद्देनजर आशंका यह गहरा गयी है कि थोड़ा बहुत उलटफेर के साथ बिहार में एनडीए (NDA) की स्थिति 2004 के संसदीय चुनाव जैसी न हो जाये. 2004 में एनडीए को महज 11 सीटें मिली थीं.

इससे मिल रहा बल
इस आशंका को बल इससे भी मिल रहा है कि ‘मोदी की गारंटी’ अचानक चुनावी परिदृश्य से गुम हो गयी है. राष्ट्रवाद पर आधारित हिन्दुत्व की लहर भी लगभग लुप्त है. बड़ी बेशर्मी से उस भावना को जातिवाद निगल रहा है. इसी क्रम में नीतीश कुमार का खुद का जनाधार भी बिखरता दिख रहा है. विश्लेषकों की नजर में अनायास बदल गये राजनीतिक हालात के लिए भाजपा (BJP) नेतृत्व तो जिम्मेवार है ही, नीतीश कुमार की कमजोर पड़ गयी याददाश्त के बीच जदयू (JDU) द्वारा लिये गये असंतुलित निर्णय ने भी एनडीए का गुड़ गोबर कर दिया है. उदाहरण अनेक हैं. चर्चा फिलहाल जदयू के हिस्से के दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों – सीतामढ़ी (Sitamarhi) और शिवहर (Sheohar) की.


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गडबड़ा गये हैं गणित
विश्लेषकों की समझ में क्षेत्र के राजनीतिक एवं सामाजिक समीकरणों की अनदेखी कर नीतीश कुमार ने जिस ढंग से दोनों क्षेत्रों में उम्मीदवार थोप दिये उससे सिर्फ सीतामढ़ी और शिवहर में ही नहीं, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्रों में भी एनडीए के राजनीतिक-सामाजिक गणित गड़बड़ा गये हैं. हवा कुछ न कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी खराब हो रही है. पूर्व के चुनावों को देखें, तो भाजपा ने सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और वाल्मीकिनगर को ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समाज पर आधारित सामाजिक समीकरण में इस तरह बांध रखा था कि पांच क्षेत्रों में से चार में उसकी आसान जीत हो जाती थी. सीतामढ़ी में सहयोगी दल बाजी मार लेता था.

पलट भी सकती है बाजी
2019 में‌ नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी के अलावा वाल्मीकिनगर (Valmikinagar) में टांग घुसेड़ दिया. जीत एनडीए की‌ तो हो गयी, पर भाजपा‌ का जिताऊ सामाजिक समीकरण गहरे रूप से प्रभावित हो गया. इस बार शिवहर को अपने हिस्से में लेकर उन्होंने जो खेल कर दिया उससे वह छिन्न-भिन्न हो गया सा दिखता है. असर परिणाम पर पड़ना लाजिमी है. वैसे, इन क्षेत्रों में एनडीए (NDA) के हालात बहुत खराब भी नहीं हैं. मतदान में अभी वक्त‌ है. इस बीच एनडीए समर्थक सामाजिक समूहों का असंतोष मिट गया, तो बाजी पलट भी जा सकती है.

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