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दरभंगा : क्या करेंगे अब अली अशरफ फातमी?

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विजयशंकर पाण्डेय
11 फरवरी, 2022

DARBHANGA : 2019 के संसदीय चुनाव (Parliament Election) में खुद और 2020 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में पुत्र डा. फराज फातमी (Dr. Faraz Fatami) के पराजय के बाद से पूर्व मंत्री अली अशरफ फातमी (Ali Ashraf Fatami) राजनीति की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़े हैं. पुत्र डा. फराज फातमी की संभावनाओं को संवारने के ख्याल से संसदीय चुनाव के बाद जदयू (JDU) में शामिल हुए थे.

फिर गया उम्मीदों पर पानी
डा. फराज फातमी केवटी (Kewati) से राजद (RJD) के विधायक (MLA) थे. सिटिंग रहने के बावजूद वहां उन्हें जदयू की उम्मीदवारी नहीं मिली. दरभंगा (Darbhanga) ग्रामीण से मिली. ललित यादव (Lalit Yadav) राजद के उम्मीदवार थे. उनसे पार नहीं पा सके, हार गये. राजद की दरभंगा की राजनीति में अली अशरफ फातमी और ललित यादव के बीच अंदरुनी तौर पर छत्तीस का आंकड़ा था. अली अशरफ फातमी को उम्मीद थी कि दरभंगा ग्रामीण में हार के बाद जदयू नेतृत्व पिता-पुत्र में से किसी एक का ‘उद्धार’ अवश्य करेगा. परन्तु, वैसा हुआ नहीं. सांगठनिक पद देकर छोड़ दिया गया.


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अवसर की ताक में
अली अशरफ फातमी को जदयू (JDU) का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डा. फराज फातमी को प्रदेश महासचिव का पद मिला. करीब के लोग बताते हैं कि अली अशरफ फातमी और डा. फराज फातमी दोनों ‘सांगठनिक झुनझुना’ से संतुष्ट नहीं हैं. जदयू में घुटन महसूस कर रहे हैं. राजद (RJD) में वापसी के अवसर की ताक में हैं. अली अशरफ फातमी ने 2014 के संसदीय चुनाव में हार के बाद भी ऐसा ही कुछ किया था. विश्लेषकों की समझ है कि खुद के लिए राज्यसभा की सदस्यता और दरभंगा स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से पुत्र डाॉ फराज फातमी की उम्मीदवारी के आश्वासन पर वह राजद में लौट जा सकते थे.

खेड़िया भी हुए निराश
राजद में विधान परिषद के चुनाव में डा. फराज फातमी को तो अवसर नहीं ही मिला, अली अशरफ फातमी के लिए राज्यसभा की सदस्यता भी संभव नहीं दिखती. मरहूम पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन (Sahabuddin) की पत्नी हिना शहाब (Heena Sahab) इसके लिए पहले से आस लगाये बैठी हैं. वोट के लिहाज से अली अशरफ फातमी की तुलना में वह अधिक उपयुक्त समझी जाती हैं. पार्टी के प्रति अखंड निष्ठा भी मायने रखती है. जहां तक विधान परिषद के चुनाव की बात है तो राजद में दरभंगा नगर निगम के पूर्व महापौर ओमप्रकाश खेड़िया (Omprakash Khediya) भी उम्मीदवारी की बाबत मूंछ पर ताव दिये फिर रहे थे. अभी उनकी पत्नी बैजयंती खेड़िया (Baijyanti Khediya) दरभंगा नगर निगम की महापौर हैं. ओमप्रकाश खेड़िया हर दृष्टि से इस चुनाव के लायक माने जाते हैं.

नहीं चली सिद्दिकी की और ललित की
चर्चा में एक नाम संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह (Sanjay Singh urf Pappu Singh) का भी था. बताया जाता है कि दरभंगा ग्रामीण के राजद विधायक ललित कुमार यादव (Lalit Kumar Yadav) उनके लिए जोर लगा रहे थे. संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह 2020 के विधानसभा चुनाव में अलीनगर (Alinagar) से राजद की उम्मीदवारी चाहते थे. उम्मीदवारी पाली घनश्यामपुर (Ghanshyampur) के विनोद मिश्र (Vinod Mishra) को मिल गयी. संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह जन अधिकार पार्टी (जाप) का उम्मीदवार बन गये. इसको लेकर कई तरह की बातें हुईं. दरभंगा नगर निगम (Darbhanga Nagar Nigam) के वार्ड पार्षद सोहन यादव (Sohan Yadav) की चाहत को पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दिकी (Abdulbari Sidiki) का समर्थन मिला हुआ था.

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