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कुढ़नी उपचुनाव : मुकेश सहनी हैं महागठबंधन के मोहरा?

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विभेष त्रिवेदी
01 दिसम्बर, 2022

MUZAFFARPUR : कुढ़नी में मल्लाहों की नाराजगी से महागठबंधन (Mahagathbandhan) को हो रही क्षति की भरपाई के प्रयास जारी हैं. इसके लिए जदयू (JDU) ने वीआईपी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी को मोहरा बनाया है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस पूरे आपरेशन की कमान जदयू एमएलसी दिनेश प्रसाद सिंह (Dinesh Prasad Singh) को सौंपी है. यह सर्वविदित है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी ने दिनेश प्रसाद सिंह के माध्यम से ही टिकट वितरण किया था. इसका हिसाब-किताब दिनेश प्रसाद सिंह के पास ही था कि मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) किसे और कैसे वीआईपी टिकट देंगे. वीआईपी के टिकट वितरण के गणित के जानकार दिनेश प्रसाद सिंह ने पर्दे के पीछे रहते हुए नीलाभ कुमार (Nilabh Kumar) को टिकट दिलाया है. नीलाभ कुमार न तो कल तक वीआईपी के प्राथमिक सदस्य थे और न ही उन्हें टिकट के लिए दिनेश प्रसाद सिंह के पास जाना पड़ा है. मनोज कुशवाहा (Manoj Kushwaha) के रास्ते की बाधाएं दूर करने के लिए दिनेश प्रसाद सिंह ने यह काम चुटकी बजाते हुए किया है. दिनेश प्रसाद सिंह और मनोज कुशवाहा में दांत कटी रोटी का संबंध है. पिछली बार भी उन्होंने मनोज कुशवाहा को मीनापुर (Minapur) से टिकट दिलाने का प्रयास किया था. यह बात अलग है कि मनोज कुशवाहा खुद वापस लौट आये.

विधान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह का है सारा खेल
भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजीत कुमार (Ajeet Kumar) को पता है कि पर्दे के पीछे का सारा खेल दिनेश प्रसाद सिंह का है. इससे पहले उन्होंने कांटी में भी राजद (RJD) के इसराइल मंसूरी (Isrial Mansuri) की जीत सुनिश्चित करने के लिए भूमिहार मतों में विभाजन कराया था. विजय सिंह (Vijay Singh) को टिकट दिलाने में लोजपा सांसद वीणा देवी (Veena Devi) व उनके पति दिनेश प्रसाद सिंह की अहम भूमिका रही और अजीत कुमार जीती हुई बाजी हार गये. पुरुषोत्तमपुर पंचायत के पूर्व मुखिया कृष्ण कुमार सिंह (Krishna Kumar Singh) कहते हैं कि भूमिहारों के किसी भी संगठन को नीलाभ कुमार का समर्थन करने से पहले क्षेत्र की जनता की राय लेनी चाहिए. अगर नीलाभ कुमार (Nilabh Kumar) निर्दलीय प्रत्याशी होते तो पहचान बनाने के लिए समर्थन दिया जा सकता था. उन्हें मनोज कुशवाहा ने ही वोट बांटने के लिए दिनेश प्रसाद सिंह के माध्यम से प्रत्याशी बनवाया है. नीलाभ के पिता दिलीप खुद मनोज कुशवाहा के कट्टर समर्थक रहे हैं. नीलाभ को वोट देने का सीधा लाभ जदयू को मिलेगा.

नीतीश कुमार और चिराग पासवान.

बोचहां और कुढ़नी में अंतर
कई मामलों में बोचहां और कुढ़नी उपचुनावों की तस्वीरें अलग-अलग हैं. बोचहां (Bochahan) के मल्लाह वोटर भाजपा उम्मीदवार से इसलिए नाराज थे कि मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) को मंत्री पद से हटाया गया. कुढ़नी में मल्लाह वोटर महागठबंधन और खासकर राजद से नाराज़ हैं. निवर्तमान विधायक अनिल कुमार सहनी (Anil Kumar Sahani) की जगह किसी मल्लाह को उम्मीदवार नहीं बनाये से नाराज़ मल्लाह वीआईपी की ओर रुख कर सकते हैं. भाजपा सांसद अजय निषाद (Ajay Nishad) की यहां फिर अग्निपरीक्षा होने वाली है. देखना यह है कि वह मल्लाहों के कितने वोट भाजपा में ट्रांसफर करा पाते हैं. बोचहां में तो वह मल्लाहों के दरवाजे पर जाकर वोट मांगने की स्थिति में नहीं थे. वर्षों से उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत प्रदेश राजद (RJD) के पूर्व सचिव शेखर सहनी (Shekhar Sahani) पार्टी से अलग हो गये हैं.


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शेखर सहनी हैं महागठबंधन के लिए चुनौती
इतना ही नहीं, शेखर सहनी ने निर्दलीय प्रत्याशी बन राजद के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. मल्लाह मतों को वीआईपी के उम्मीदवार नीलाभ कुमार की झोली में डालना मुकेश सहनी के लिए भी आसान नहीं होगा. भूमिहार (Bhumihar) समाज के लोग अपने वोट बर्बाद करने का खतरा नहीं उठायेंगे. गौर करने वाली बात यह भी कि निषाद संघर्ष मोर्चा ने राजद का खुला विरोध करते हुए शेखर सहनी के प्रचार की कमान संभाल ली है. मुकेश सहनी की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी है. मल्लाह अगर सीधे भाजपा (BJP) में चले गये तो महागठबंधन की हार तय है. इसे रोकने के लिए वीआईपी ने प्रत्याशी खड़ा कर दिया है. मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) को साबित करना होगा कि वह अब भी ‘सन ऑफ मल्लाह’ (मल्लाहों के नेता) हैं. दूसरा अंतर यह है कि बोचहां के वोटर भाजपा उम्मीदवार से नाराज़ थे, जबकि कुढ़नी के वोटर जदयू उम्मीदवार से नाराज हैं. तीसरा अंतर यह है कि पासवान (Paswan) समाज बोचहां में स्वजातीय राजद उम्मीदवार के साथ थे. कुढ़नी में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का नाम नहीं सुनना चाह रहे हैं.

मुखर हैं अनुसूचित जाति के मतदाता
सभी दलों के नेता और राजनीतिक विश्लेषक भले ही दबंग जातियों के रुझान पर हार जीत का आकलन कर रहे हैं, परन्तु यहां अनुसूचित जाति के वोटर पासा पलट सकते हैं. सोनबरसा से मनियारी तक, केरमा से छाजन तुर्की तक अनुसूचित जाति के वोटर सर्वाधिक मुखर हैं. उनकी शिकायत है कि पुलिस पैसे लेकर शराब का धंधा चलवा रही है और ताड़ी पीने वाले गरीबों पर जुर्म ढा रही है. रोजाना गांवों में ताड़ी पीने वाले गरीबों की गिरफ्तारी की जा रही है. पुलिस (Police) उन गरीबों से हजारों की वसूली कर रही है. नीतीश कुमार द्वारा तैनात आला अधिकारी शराब माफिया के संपर्क में हैं. हर थाना क्षेत्र में अपराधियों और शराब माफिया का पुलिस से गठजोड़ है. सब की जुबान पर है कि शराब सिंडिकेट में कौन-कौन शामिल हैं, जबकि गरीबों की गिरफ्तारी कर पुलिस खानापूर्ति कर रही है. पासवान वोटरों में चिराग पासवान (Chirag Paswan) के सवाल पर भी बड़ी नाराजगी है. वे खुलकर बोल रहे हैं कि नीतीश कुमार ने ही चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (LJP) को दो फाड़ कराया. अनाज और गैस चूल्हे की चर्चा करते हुए वे भाजपा (BJP) को वोट देने की खुली घोषणा कर रहे हैं. मतलब साफ है कि राज्यस्तरीय नेताओं में भले कोई खास दम नहीं दिख रहा हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और भाजपा का प्रभाव बना हुआ है.

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