पुनौरा धाम : सरकार नहीं चाहती उद्धार!
29 अप्रैल 2023 को है जानकी नवमी. यानी सीता नवमी. इस अवसर पर सीता प्राकट्य स्थल पवित्र पुनौरा धाम में परंपरा के अनुरूप भव्य जानकी उत्सव आयोजित हो रहा है. तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा भी. पुनौरा धाम की धार्मिकता, पवित्रता, ऐतिहासिकता और प्रासंगिकता पर आधारित आलेख की यह चौथी किस्त है:
महेन्द्र दयाल श्रीवास्तव
25 अप्रैल, 2023
SITAMARHI : अयोध्या के भव्य राम मंदिर की तरह पुनौरा धाम (Punaura Dham) में जानकी मंदिर के निर्माण की मांग लंबे समय से उठ रही है. पर, कभी उसे गंभीरता से नहीं लिया गया है. आधार संभवतः यह कि भारतीय (Indian) पुरातत्व सर्वेक्षण को इसके प्राकट्य स्थल होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है. इधर, इलाकाई लोगों की आस्था और विश्वास को देखते हुए केन्द्र (Central) और राज्य (State) की सरकारों का रुख विकास के प्रति कुछ सकारात्मक जरूर हुआ है. इसी का परिणाम है कि ‘रामायण सर्किट’ योजना में इसे भी शामिल किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत भगवान राम (Ram) और वैदेही सीता (Sita) से जुड़े तमाम स्थलों एवं रास्तों को विकसित किया जाना है. ऐसे जगहों को एक दूसरे से जोड़ने के साथ वहां उच्चस्तरीय पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी है. पुनौरा धाम एवं उसके आसपास स्थित जानकी स्थान, हलेश्वर स्थान एवं पंथपाकड़ के भी विकसित होने की उम्मीद बनी हुई है.
रामायण सर्किट में राम-जानकी पथ
केन्द्र सरकार ने अयोध्या (Ayodhaya) को पुनौरा धाम से जोड़ने के लिए सीधी सड़क योजना को मंजूरी दी है. अयोध्या से सीतामढ़ी और भिट्ठामोड़ होते हुए जनकपुर (Janakpur) तक जाने वाली यह सड़क राम-जानकी पथ के रूप में जानी जायेगी.स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार रामशंकर शास्त्री (Ramshankar Shastri) के मुताबिक इस सड़क को सीता प्राकट्य स्थल पुनौरा धाम के बगल से गुजरना चाहिये था. परन्तु, आठ किलोमीटर पहले पमरा से दाहिनी ओर मोड़ दिया गया. वजह तकनीकी रही हो या सियासी साजिश, सामान्य लोग इसे भी मां सीता के दुर्भाग्य से जोड़कर देख व समझ रहे हैं. 2015 में तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस धार्मिक स्थल का स्वरूप संवारने-निखारने की पहल की थी. सरकार (Government) के स्तर से जानकी नवमी (Janaki Navami) पर महोत्सव आयोजित करने की घोषणा की थी. तब से हर वर्ष पुनौरा धाम में जानकी महोत्सव आयोजित होता है. कुछ लोग इसे सीता महोत्सव (Sita Mahotsav) भी कहते हैं. आमतौर पर उस दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, साधु-संतों एवं विद्वतजनों की उपस्थिति होती है. 2017 में तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविन्द (Ramnath Kovind) और 2018 में सतपाल मलिक (Satpal Malik) पहुंचे थे.
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सीताकुंड में बनेगा भव्य जानकी मंदिर
कोरोना (Corona) संक्रमण काल में आयोजन की औपचारिकता भर निभायी गयी. 2018 के जानकी महोत्सव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पधारे थे. उन्होंने पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर (Janki Mandir) के निर्माण एवं सीतामढ़ी को धार्मिक पर्यटन स्थल (Tourist Spot) के रूप में विकसित करने का वचन दिया था. कहा था कि यह देश का सबसे बड़ा मंदिर (Mandir) होगा. इसके लिए 20 एकड़ जमीन भी चिन्ह्ति की गयी. ‘प्रसाद योजना’ के तहत केन्द्र सरकार ने भी 36 करोड़ 86 लाख रुपये स्वीकृत किये हैं. लेकिन, शुरुआती तामझाम के अलावा कुछ खास नहीं हुआ. श्रद्धालुओं के लिए सुकूनदायी सूचना है कि केन्द्र और राज्य की सरकारों की अनिच्छा को देखते हुए पटना (Patna) की महावीर मंदिर (Mahavir Mandir) न्यास समिति ने पुनौरा धाम के सीताकुंड (Sita Kund) में सौ करोड़ रुपये की लागत से भव्य जानकी जन्म स्थान मंदिर बनाने का निर्णय किया है. काम शुरू हो गया है. निर्माण सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir) बनाने वाले परिवार के वास्तुविद ईं. पीयूष सोमपुरा (Piyush Sompura) की देखरेख में होगा. इसमें मकराना (Makrana) के सर्वश्रेष्ठ पत्थरों का इस्तेमाल होगा.
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