पुनौरा धाम: तेरे हालात पे रोना आया…
29 अप्रैल 2023 को है जानकी नवमी. यानी सीता नवमी. इस अवसर पर सीता प्राकट्य स्थल पवित्र पुनौरा धाम में परंपरा के अनुरूप भव्य जानकी उत्सव आयोजित हो रहा है. तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा भी. पुनौरा धाम की धार्मिकता, पवित्रता, ऐतिहासिकता और प्रासंगिकता पर आधारित आलेख की यह अंतिम किस्त है:
महेन्द्र दयाल श्रीवास्तव
26 अप्रैल, 2023
SITAMARHI : सीता प्राकट्य भूमि पुनौरा धाम के महंत हैं कौशल किशोर दास (Kaushal Kishor Das). मुख्यमंत्री द्वारा घोषित योजनाओं के कार्यान्वयन में अनावश्यक विलंब से वह खासे क्षुब्ध हैं. ऐसा स्वाभाविक भी है. शिलान्यास तो वहां 48 करोड़ 53 लाख की लागत वाली दर्जन भर योजनाओं का हुआ, पर काम मुख्य रूप स तीन-कथा भवन, पर्यटन भवन एवं प्रवेश द्वार पर ही हुआ. यात्री निवास की मरम्मत हुई. पर्यटन भवन एवं यात्री निवास दो साल से बनकर तैयार हैं. पर्यटन विभाग उन्हें अपने अधीन नहीं कर रहा है. इन कार्यों के अलावा उर्विजा कुंड (Urvija Kund) का सौन्दर्यीकरण, लाईट एवं साउंड और मंदिर तक टू लेन सड़क, परिक्रमा पथ आदि का निर्माण होना है.
किसी को कोई चिंता नहीं
इन तमाम कार्यों को दो साल में पूरा कर लिया जाना था. उर्विजा कुंड के सौन्दर्यीकरण, परिक्रमा पथ एवं चहारदिवारी के निर्माण के लिए जनवरी 2020 में ही टेंडर निकलने की बात कही गयी थी. लेकिन, अब तक उसका कोई अता-पता नहीं है. पुनौरा धाम 14 बिगहा से अधिक भू-भाग में फैला हुआ है. उसकी वर्तमान दशा अत्यंत दयनीय है. जानकी मंदिर (Janaki Mandir) का सारा काम दान पर निर्भर है. किसी को इसकी कोई चिंता नहीं है.
नहीं पलटा भाग्य
महंत कौशल किशार दास इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि इतना महत्वपूर्ण और निर्विवाद धार्मिक स्थल होने के बाद भी पुनौरा धाम (Punaura Dham) पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है. इस कारण पर्यटक भी बहुत कम संख्या में आते हैं. यह स्थिति तब है जब सीतामढ़ी से भाजपा के विधायक रहे सांसद सुनील कुमार पिंटू (Sunil Kumr Pintu) पर्यटन विभाग के मंत्री भी रहे हैं. अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर के लिए भूमि-पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा ‘जय श्रीराम’ की जगह ‘जय सियाराम’ के उद्घोष से मिथिलांचल के लोगों में पुनौरा धाम के उत्थान की उम्मीदें हरी हुई थीं. अब वह भी मुरझा गयी हैं. सीतामढ़ी के वरिष्ठ पत्रकार रामशंकर शास्त्री (Ramshankar Shastri) पटना की महावीर मंदिर न्यास समिति की ओर से पुनौरा धाम में संचालित ‘सीता रसोई’ के मुख्य कर्त्ता-धर्त्ता हैं. उनके मुताबिक पुनौरा धाम और आसपास के इलाके में सीता से जुड़े और भी महत्वपूर्ण स्थान हैं.
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सीता सर्किट की मांग
हलेष्ठी यज्ञ स्थल और वहां का शिव मंदिर, पंथ पाकड़, जहां अयोध्या जाने के दौरान मां जानकी का प्रथम डोली विश्राम हुआ था, बाबा अद्भुत नाथ महादेव मंदिर, उर्विजा कुंड, लक्ष्मणा नदी से तीन ओर से घिरी मुठिया बाबा कुटिया आदि कई ऐसे धार्मिक केन्द्र हैं जिन्हें विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है. वर्तमान में सुविधाओं के अभाव में प्रायः सब के सब बदहाल हैं. रामशंकर शास्त्री की तरह स्थानीय प्रबुद्ध वर्ग का मानना है कि उन सबको जोड़ने के लिए बुद्ध सर्किट के अनुरूप सीता सर्किट बनाने की जरूरत है. इससे राज्य में पर्यटन का विकास होगा, राजस्व की प्राप्ति भी होगी. उपेक्षित पवित्र धार्मिक स्थलों का भी कायाकल्प हो जायेगा. (समाप्त)
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