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राजनीति: सुख भरे दिन बीते रे भैया…!

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विशेष प्रतिनिधि
19 मई 2023
PATNA : सुख भरे दिन समाप्ति की ओर हैं. यह आपके और हमारे दिन नहीं हैं. उन माननीयों के सुख भरे दिन हैं, जो चार साल पहले लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव में जीत के बाद शुरू हुए थे.अगला चुनाव आने वाला है. उम्मीद- नाउम्मीदी के बीच दिन गुजर रहे हैं. सबसे बुरे दिन भाजपा (BJP) के उन सांसदों के हैं, जिनकी उम्र अगले साल तक सत्तर की सीमा पार कर जायेगी. इनमें बड़बोले, कमबोले और बिनबोले-हर तरह के सांसद (Saansad) हैं. सामान्य समझ में बड़बोले की पहचान एक केन्द्रीय मंत्री (union minister) की है.भाजपा के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक उन्हें साफ-साफ बोल भी दिया गया है कि खुद से पारी समाप्ति की घोषणा कर लीजिये. फायदे में रहियेगा. केन्द्र में फिर से सरकार बनी तो किसी छोटे-मोटे प्रदेश की गवर्नरी मिल जायेगी. वैसे भी कामधाम तो करना रहता नहीं है. सिर्फ बोलना रहता है. राजभवन में ही बैठ कर गला साफ करते रहियेगा.

प्रदेश भाजपा कार्यालय में आरसीपी सिंह का अभिनंदन.

कमबोले का है यह हाल
केन्द्रीय मंत्री इसे बकवास बता सकते हैं, पर उनके करीबी कहते हैं कि वह मान गये हैं. न मानेंगे तो करेंगे क्या? पार्टी का आदेश मानना ही होगा. भाजपा के अंदर यह भी चर्चा है कि अफसरशाही से राजनीति में आये कमबोले सांसद केन्द्रीय मंत्री को भी यही इशारा किया गया है कि कोई दूसरी भूमिका देखिये. पर, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है. चुनावी साल में क्षेत्र का दौरा बढ़ा दिया है. एकाध बार अपमानजनक विरोध भी झेल चुके हैं. कई सांसद कमबोले श्रेणी के हैं. उन्हें कुछ भी संकेत मिला हो, वह नहीं बताते. सही बात है. जब बोलने वाली जगह संसद में नहीं बोले तो दूसरी जगह काहे बोलेंगे.


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लड़ेंगे और जरूर लड़ेंगे
इस तरह के सांसद कुछ बोलते नहीं हैं. फिर भी इशारे में बता देते हैं कि सुख भरे दिन जाने वाले हैं. कुछ सांसदों के पेट का पानी संतानों के कारण भी डोल रहा है. राजद (RJD) से आये एक सांसद को भाजपा (BJP) चाहती है कि 2024 में भी उम्मीदवार बना दिया जाये. अपेक्षाकृत साफ छवि है. लोकप्रिय भी हैं. संकट पार्टी की ओर से नहीं है. घर में ही है. राजनीतिक हलकों में जो चर्चा है उसके मुताबिक बेटा अड़ गया है कि लड़ेंगे और जरूर लड़ेंगे. दूसरी कोई पार्टी होती तो संभव भी था.

भाजपा में संभव नहीं
भाजपा में शायद संभव नहीं है कि पिता-पुत्र को एक ही समय में दो अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार बना दिया जाये. वैसे, सावधानी बरतते हुए बेटा ने एनडीए के ही दूसरे घटक दल की सदस्यता ग्रहण कर रखी है. बात अब दूसरे की. आमतौर पर बेटा कुछ लेने के लिए बाप की छाती पर सवार होता है. एक बड़बोले सांसद का बेटा छाती से ऊपर गरदन पर बैठा हुआ है. बेटा कारनामा वाला है. बाप ने बेटे का संदेश ग्रहण कर लिया है. संदेश यही कि लोकसभा जाने की जिद नहीं छोड़े तो पट्ठा परलोक सभा भेज देगा.

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