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खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे!

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विष्णुकांत मिश्र
19 मई 2023

PATNA : खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे! बहुत प्रचलित कहावत है. इसकी खासियत है कि अर्थ समझते हुए भी लोग इसे चरितार्थ करते रहते हैं. दूसरे रूप में कहें, तो थेथरई करते रहते हैं. बिहार (Bihar) की राजनीति में अभी वैसा ही कुछ चल रहा है. बहुचर्चित बागेश्वर बालाजी धाम (Bageshwar Balaji Dham) के आचार्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) बिहार आये थे. पटना के समीप नौबतपुर (Naubatpur) के प्रसिद्ध तरेत पाली मठ (Taret Pali Math) परिसर में उनकी पांच दिवसीय हनुमंत कथा हुई. आवागमन की असुविधा, चिलचिलाती धूप, प्रचंड गर्मी और सामान्य व्यवस्था में भी खामियां ही खामियां… इसके बाद भी प्रति दिन तकरीबन पांच लाख लोग तीन-चार घंटे तक आयोजन स्थल पर जमे रह 25 वर्षीय युवा सनातनी संत को सुनते रहे . यही अखंड आस्था पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का चमत्कार है जिसने बिहार की जाति (Caste) आधारित राजनीति (Politics) की नींव हिला दी है. इसकी अंतिम परिणति क्या होगी, यह वक्त के गर्भ में है.

सिहरन तो भर ही गयी
फिलहाल इसने वर्तमान सत्ता में सिहरन तो भर ही दी है. यह उसकी खिसियाहट-बौखलाहट से साफ झलक रही है. विश्लेषकों की समझ है कि इस खिसियाहट में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ प्रशासन के स्तर से जो कुछ कराये जा रहे हैं उससे आस्था खंडित नहीं होगी, बल्कि विस्तारित ही होगी, जड़ भी मजबूत होगी. प्रशासनिक कार्रवाई की एक बानगी देखिये – कहा जा रहा है कि 13 मई 2023 को पटना एयरपोर्ट (Airport) से एग्जीबिशन रोड (Exhibition Road) स्थित पनाश होटल (Panache Hotel) जाने के क्रम में न तो उनका वाहन चला रहे भाजपा सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने सीट बेल्ट बांध रखी थी और न आगे की सीट पर बैठे पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने ही. इस रूप में दोनों ने यातायात नियम (Traffic Rule) का उल्लंघन किया. वाकई ऐसा हुआ तो कानून अपना काम करे.

पुलिस ने रोका क्यों नहीं?
लेकिन, यहां सवाल उठता है कि जब वह कानून का उल्लंघन कर रहे थे तब यातायात पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका क्यों नहीं? ऐसे उल्लंघनों पर गिद्ध दृष्टि जमाये पुलिसकर्मियों ने उनके खिलाफ सड़क पर ही कार्रवाई क्यों नहीं की? मामले में पुलिस महानिदेशक आर एस भट्टी (R S Bhatti) का हस्तक्षेप, जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) और प्रवक्ता नीरज कुमार (Niraj Kumar) के कटाक्ष भरे बयान क्या दर्शाते हैं? यह आस्था का उत्पीड़न और सनातन की उपेक्षा नहीं तो और क्या है? आस्थावानों में इसकी प्रतिक्रिया कैसी हो सकती है, दूसरे संदर्भ में शिवानन्द तिवारी (Shivanand Tiwari) ने महागठबंधन के रहनुमाओं को आगाह कर दिया है. संविधान को आड़ बना स्पष्ट संकेत दे दिया है कि नहीं चेतने पर आस्था का यह सैलाब सब कुछ बदल दे सकता है.


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भर गये हुंकार भी
जहां तक हनुमंत कथा की बात है, तो सत्ताधारी नेताओं को ऐसा लग रहा था कि आयोजन एक वर्ग विशेष का है. इससे नौबतपुर जैसे देहाती क्षेत्र में लाखों की संख्या में लोग जुट जायेंगे, इसका अंदाज नहीं लगा पाया. भीड़ जुटी और उसमें समाज के सभी वर्गों की समर्पण भाव भरी मौजूदगी दिखी, तो सत्ता के पांव तले की जमीन खिसकने का खतरा महसूस होने लगा. लोगों को हैरानी तब कुछ अधिक हुई कि तीन दिनों तक मौन रहे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का बयान आयोजन के चौथे दिन आया. कयास लगाये जाने लगे कि कहीं बागेश्वर बाबा (Bageshwar Baba) के दिव्य दरबार में शराबबंदी से संबंधित कोई पर्ची-वर्ची तो नहीं निकल गयी थी? वैसे, नीतीश कुमार को आपत्ति पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री द्वारा उठायी गयी ‘हिन्दू राष्ट्र’ की आवाज पर थी. पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने उनकी आपत्ति को नजरंदाज कर न सिर्फ हिन्दू राष्ट्र (Hindu Nation) का मुद्दा उठाया बल्कि इस पर मौजूद लाखों लोगों से हामी भरवा इसकी ज्वाला बिहार से ही उठने का हुंकार भी भर दिया. सत्ता को खिसियाहट इस बात की भी है.

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