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समस्तीपुर में सजेगा इस बार मामा‌- भांजे का‌ अखाड़ा!

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प्रवीण कुमार सिन्हा
21 मई 2023

Samastipur : लोकसभा (Lok Sabha) का हो या फिर विधानसभा (Vidha Sabha) का , विशिष्ट नेताओं की सीटों को छोड़ ‌ आमतौर पर आरक्षित क्षेत्रों के चुनाव में आम मतदाताओं की ज्यादा दिलचस्पी नहीं रहती. मत‌ प्रतिशत संभवतः इसी ‌वजह से कम रहा करता है. किसी क्षेत्र में अधिक रहता हो‌ , तो वह अलग बात है. समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र (Samastipur Parliamentary Constituency) अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. पहले सामान्य के लिए था तब भी इसका राजनीतिक महत्व था, अब भी है. अतीत की बात फिर कभी. वर्तमान में रालोजपा (RLJP) के प्रिंस पासवान (Prince Paswan) सांसद हैं. 2019 के संसदीय चुनाव में लोजपा (LJP) उम्मीदवार के तौर पर उनके पिता रामचंद्र पासवान (Ramchandra Paswan) की जीत हुई थी. चुनाव के कुछ ही माह बाद उनका निधन हो गया. उपचुनाव में प्रिंस पासवान निर्वाचित हुए.

दो-फाड़ हो गयी लोजपा
2020 के विधानसभा चुनाव के‌ बाद पासवान परिवार में अंदरूनी कलह ऐसा पसरा कि आश्चर्यजनक ढंग से लोजपा  विभाजित हो गयी . पार्टी के पांच सांसद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के साथ ‌हो गये, ‘मालिक’ की तरह पार्टी चलाने का प्रयास कर रहे चिराग‌ पासवान (Chirag Paswan)  अलग -थलग पड़ गये. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की कथित कूटचाल के तहत पशुपति कुमार पारस केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union cabinet) में समायोजित कर लिये गये. खुद को ‘हनुमान’ बता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‌(Prime Minister Narendra Modi) का‌ ‘गदा’ थाम रखे चिराग पासवान इंतजार ही कर रहे हैं! यह सब एक अलग किस्सा है. 2024 के चुनाव में क्या हो सकता है, फिलहाल चर्चा उसी की. प्राथमिकता सांसद प्रिंस पासवान की राजनीति को.

प्रिंस पासवान तो लड़ेंगे ही
परिस्थितियां बदल जाये, तो बात कुछ और होगी, सांसद प्रिंस पासवान समस्तीपुर के चुनाव मैदान में फिर उतरेंगे ही. उम्मीदवार किस पार्टी के होंगे, यह अभी नहीं कहा जा सकता. इसलिए कि जिस रालोजपा के‌ वह सांसद हैं , 2024 के चुनाव के वक्त उसका वजूद  रहेगा इसमें संदेह है. लोजपा (रामविलास) आधिकारिक तौर पर अभी राजग का हिस्सा नहीं है. दोतरफा सहानुभूति – समर्थन भर है. आधिकारिक जुड़ाव के लिए शर्तों का सार्वजनिक ‌होना शेष है. यह स्थापित तथ्य है कि रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की लोकप्रियता की विरासत चिराग पासवान को मिली है. थोड़ा बहुत इधर – उधर के साथ लोजपा के मूल जनाधार का जुड़ाव उन्हीं से है. पासवान समाज में स्वीकार्यता उन्हीं की है, चाचा पशुपति कुमार पारस की नहीं.

चिराग पासवान और प्रिंस पासवान : अब शायद ही आयेगा ऐसा क्षण.

शर्तें मान्य हो या नहीं…
यह स्वीकार्यता राजग से जुड़ाव की शर्तों को बड़ा आकार दे सकती है. विश्लेषकों की मानें, तो चिराग पासवान की पहली और सबसे बड़ी शर्त होगी 2019 में लोजपा द्वारा जीती गयीं सभी छह सीटें तो उन्हें चाहिये ही , उसके अलावा भी कुछ सीटों पर वह दावा जता सकते हैं. शर्तें मान्य हो या नहीं,राजग से जुड़ाव हो या नहीं, समस्तीपुर में प्रिंस पासवान के खिलाफ वह अपना उम्मीदवार उतारेंगे ही. राजनीतिक हलकों में जो चर्चा है उसके मुताबिक वहां किसी और को नहीं, अवसर अपने भांजे को उपलब्ध करायेंगे. रामविलास पासवान की पहली पत्नी की बड़ी बेटी उषा देवी के पुत्र सीमांत मृणाल पासवान को .


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पुत्र पर‌ खेलेंगे दांव
2020 के विधानसभा चुनाव में उषा देवी के पति धनंजय कुमार उर्फ मृणाल (Dhananjay kumaar urph Mrnaal) को वैशाली जिले के राजापाकड़ विधानसभा क्षेत्र (Rajapakad Assembly Constituency) से लोजपा की उम्मीदवारी मिली थी, जीत नहीं पाये थे .पूर्व में भी कई चुनावों में हार ही मिली थी. अपशकुन के इस क्रम को तोड़ने के लिए उन्होंने पुत्र पर दांव खेलने का‌ मन बनाया है, ऐसा उनके निकट के लोगों का कहना है. राजनीति में कब क्या हो जायेगा, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. वर्तमान में जो कुछ दिख रहा है उससे ऐसा माना जा सकता है कि 2024 में समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में मामा और भांजे में मुकाबला हो सकता है. मामा प्रिंस पासवान और भांजा सीमांत मृणाल पासवान.

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