अबूझ रहस्य : जान कैसे जाते हैं मन की बात?
बहुचर्चित बागेश्वर बालाजी धाम और पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से संबधित किस्तवार आलेख की यह अंतिम कड़ी है :
राजकिशोर सिंह
26 मई 2023
Bageshwar Dham : पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) की दैवीय शक्ति को अंधश्रद्धा और अंधविश्वास बता उसके खिलाफ अभियान की शुरुआत श्याम मानव (Shyam Manav) ने की. श्याम मानव महाराष्ट्र (Maharashtra) में अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय समन्वयक हैं. मूल रूप से बर्धा जिले के देवली के रहने वाले हैं. सम्मोहन विशेषज्ञ और विचारक की भी पहचान रखते हैं. अंग्रेजी साहित्य से स्नातकोत्तर श्याम मानव अपनी पहल को विश्वसनीयता में लपेटने के लिए तर्क रखते हैं कि वह खुद और उनके परिवार के लोग भी कभी अंधविश्वासों में जीते थे. रूढ़िवादिता की गिरफ्त में तो थे ही, बाबाओं के प्रवचनों का भी उन पर खूब प्रभाव था. बाद के दिनों में विचारक बी. प्रेमानंद (Premanand) से मुलाकात और बात हुई तो उनका दिमाग खुलने लग गया.
अंधविश्वास निर्मूलन समिति
1982 में अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (All India Superstition Eradication Committee) का गठन हुआ. इसमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. इस तरह की एक और ‘सुधारक समिति’ थी-महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति (Maharashtra Superstition Eradication Committee). इसका गठन डा. नरेन्द्र दाभोलकर (Dr. Narendra Dabholkar) ने किया था. कुछ साल पूर्व डा. नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या हो गयी. ऐसा माना जाता है कि मुख्य रूप से इन्हीं दोनों के प्रयास से महाराष्ट्र में अंधविश्वास विरोधी कानून लागू हुआ. भगवान और धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करने, जादू-टोना करने वाले बाबाओं और तांत्रिकों के खिलाफ यह पहला कानून था. इसी कानून के तहत श्याम मानव ने धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ नागपुर में प्राथमिकी दर्ज करायी. लेकिन, वहीं उन्हें मुंह की खानी पड़ गयी. इस रूप में कि नागपुर पुलिस को उनके आरोपों में कोई साक्ष्य-सबूत नहीं मिला.
श्याम मानव की चुनौती
हुआ यह कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने नागपुर (Nagpur) में आयोजित रामकथा (Ramkatha) में अपना ‘दिव्य दरबार’ (divine court) लगाया. रामकथा की शुरुआत 05 जनवरी 2023 को हुई और समापन 13 जनवरी को होना था. यह आयोजन श्याम मानव को नागवार गुजरा. उन्होंने जादू-टोना और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप मढ़ लोगों का दिमाग पढ़ लेने के दावे को सिद्ध करने की धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को चुनौती दे दी. सिद्ध होने पर 30 लाख रुपये का इनाम देने की बात भी कही. उस चुनौती को नजरंदाज कर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री 11 जनवरी 2023 को ही नागपुर छोड़ बागेश्वर धाम लौट गये. दैवीय शक्ति को वहीं सिद्ध करने की बात कर श्याम मानव को वहीं बुलाया. यह श्याम मानव को स्वीकार नहीं हुआ. विवाद वहीं से शुरू हुआ, जो अब भी बना हुआ है. श्याम मानव का दावा जो हो, इससे सनातनियों की आस्था आहत हुई है.
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कर्ण पिशाचिनी विद्या
बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ‘आशीर्वाद’ के लिए ‘दिव्य दरबार’ में पहुंचे श्रद्धालुओं के मन की बात कैसे जान जाते हैं? इस संदर्भ में कई तरह की बातें कही जा रही हैं. पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की मानें, तो यह दैवीय शक्ति (supernatural power) है जो सतत साधना से हासिल होती है. कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो कहते हैं कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जिस ‘दैवीय शक्ति’ से लोगों की समस्याओं का निराकरण करते हैं वह ‘कर्ण पिशाचिनी’ विद्या है. ऐसा कहा जाता है कि ‘कर्ण पिशाचिनी’ (Karna Pishachini) विद्या को जो सिद्ध कर लेता है वह सामने बैठे व्यक्ति के अंतर्मन में पहुंच जाता है. अतीत, वर्तमान और भविष्य सब जान जाता है. एक अलौकिक ताकत हर सवाल का जवाब कान में बता देती है. यह सिर्फ उसी को सुनाई देती है जिसके पास यह विद्या होती है.
सब भ्रम है, और कुछ नहीं
हालांकि, इस विद्या की सिद्धि आसान नहीं है. इसके लिए कठोर तपस्या करनी पड़ती है. सिद्धि प्राप्त व्यक्ति दिव्य शक्ति से जब चाहे बात कर सकता है. कुछ लोग मन की बात बता देने को एक कला मानते हैं. उनके मुताबिक जब कोई कुछ सोचता है तो उसके चेहरे पर उसी तरह के भाव आ जाते हैं. मनोवादी (मेंटेंलिस्ट) उसे पढ़ लेते हैं. सुहानी शाह (suhani shah name) नाम की एक लड़की है जो इस तरह से लोगों के मन की बात जान लेने का दावा करती है. उसका कहना है कि इस कला को कुछ लोग अंधविश्वास से जोड़ लेते हैं तो कुछ दैवीय शक्ति मान बैठते हैं. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं है. सब भ्रम है. परन्तु, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री तो बगैर चेहरा देखे ही सब कुछ पर्ची पर लिख देते हैं, यह क्या है? यही अब अबूझ है.
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