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समस्तीपुर : क्या होगा उफनती महत्वाकांक्षा का?

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प्रवीण कुमार सिन्हा
10 जुलाई 2023
Samastipur : 2024 के संसदीय चुनाव में समस्तीपुर के लिए उम्मीदवार का चयन महागठबंधन (grand alliance) के लिए सिरदर्द बन जा सकता है. इसलिए कि स्थिति ‘एक अनार सौ बीमार’ जैसी है. इस क्षेत्र पर कांग्रेस (Congress) और जदयू (JDU) की दावेदारी तो है ही, राजद (RJD) ने भी चुनाव की अंदरुनी तैयारी कर रखी है. पहले जदयू की दावेदारी की बात. पार्टी की ओर से अभी खुल कर कोई दावा नहीं किया जा रहा है. पर, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी (Maheshwar Hazari) अपनी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश करते नजर अवश्य आ रहे हैं.

पासवान परिवार से नजदीकी
कांग्रेस और राजद की दावेदारी के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय राजनीति में एक और चौंकाऊ उलटफेर होता दिख रहा है. महेश्वर हजारी की रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) के परिवार से लंबे अरसे बाद बढ़ रही नजदीकी कुछ नया गुल खिलने का संकेत दे रही है.16 मई 2023 को समस्तीपुर में महेश्वर हजारी की पौत्री और खानपुर के प्रखण्ड प्रमुख सन्नी हजारी की पुत्री अनन्या हजारी के जन्म दिन पर आयोजित समारोह में चिराग पासवान (Chirag Paswan) की मौजूदगी को इसी नजरिये से देखा जा रहा है. कुछ लोग इसे महेश्वर हजारी का ‘पासवान परिवार’ के समक्ष ‘समर्पण’ मान रहे हैं.


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मिल सकती है उम्मीदवारी
राजनीति में रुचि रखने वाला हर कोई महसूस करता है कि समस्तीपुर से एक बार सांसद रह चुके महेश्वर हजारी की फिर से यह सुख पाने की महत्वाकांक्षा उफनाती रहती है. ‘समर्पण’ से लोजपा (रामविलास) पिघल गयी तब 2024 में जदयू की उम्मीदवारी नहीं मिलने की स्थिति में उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है. वर्तमान में महेश्वर हजारी कल्याणपुर से जदयू के विधायक हैं. इसी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में 2009 और 2014 में समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. 2009 में जीत और 2014 में हार हुई थी. 2009 में जीत इस वजह से हुई कि जदयू तब राजग का हिस्सा था. 2019 में गठबंधन धर्म की विवशता ने महेश्वर हजारी को ‘दर्शक दीर्घा’ में बैठने को मजबूर कर दिया था. विश्लेषकों की समझ में 2024 में भी वैसी ही कुछ स्थिति बन सकती है. जदयू फिलहाल महागठबंधन का हिस्सा है.

भाजपा कहीं नहीं
राजनीति संभावनाओं का खेल है. कब क्या हो जायेगा, यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. जो आसार बन रहे हैं उसमें रालोजपा (RLJP) और लोजपा (रामविलास)  (LJP (Ramvilas)) में से किसी एक का भाजपा से संबंध विच्छेद होना तय है. ज्यादा संभावना रालोजपा का साथ छूटने की है. दोनों में जो भी पार्टी राजग से जुड़ी रहेगी, समस्तीपुर की सीट उसी के कोटे में जायेगी, यह तय है. ऐसे में भाजपा को उम्मीदवार उतारने का अवसर शायद ही मिल पायेगा. किसी कारणवश उम्मीदवार उतारना पड़ा तो रोसड़ा के विधायक वीरेन्द्र पासवान (Virendra Paswan) के अलावा उसके पास कोई दूसरा ठोस विकल्प नहीं है.
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