जानिये, क्या – क्या हुआ नीतीश कुमार के साथ बेंगलुरु के विपक्षी आंगन में… !
विष्णुकांत मिश्र
19 जुलाई 2023
Patna : ‘मेरा सुन्दर सपना बीत गया… बेदर्द जमाना जीत गया…. ‘ मंगलवार की शाम बेंगलुरु से ‘नरेन्द्र मोदी विरोधी कर्मकांड’ निपटा हताश – निराश पटना लौटे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को ‘ दो भाई ‘ फिल्म के इस गाने की उक्त पंक्तियां जेहन में अवश्य घूम गयी होंगी. एक – दो बार नहीं, कई – कई बार ! ऐसा हुआ तो वह स्वाभाविक भी था. गौर कीजिये, कितनी शिद्दत से उन्होंने नरेन्द्र मोदी विरोधी (Narendra Modi) नेताओं की पटना में मजलिस सजायी थी. आरजू – मिन्नत कर कांग्रेस से खार खाये ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल को राहुल गांधी से नेह जोड़वाया था. नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री पद से विदाई का अचूक खाका तैयार करवाया था.
पोस्टर से हुए पानी – पानी !
दुर्भाग्य देखिए, कोशिश कामयाबी की राह बढ़ती उससे पहले महफिल कांग्रेस (Congress) ने लूट ली. नीतीश कुमार मुंह ताकते रह गये. इतना ही नहीं , बेंगलुरु की सड़कों पर ‘ नीतीश कुमार : अस्थिर प्रधानमंत्री उम्मीदवार’ का पोस्टर लगवा पानी भी उतरवा दिया .विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद का ख्वाब लिये बेंगलुरु पहुंचे नीतीश कुमार को कथित रूप से जिस हालात का सामना करना पड़ा, उसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी. हैरान करने वाली बात यह भी रही कि लालू प्रसाद के साथ भी करीब- करीब वैसा ही व्यवहार हुआ. कहीं कोई अपेक्षित मान- सम्मान नहीं. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक़ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajeev Ranjan Singh urf Lalan Singh) को भी ऐसे ही अनुभव से दो – चार होना पड़ा. वैसे, ललन सिंह का कहना रहा कि यह सब फिजूल की बातें हैं. बैठक में सब कुछ सामान्य रहा.
नाम पर थी आपत्ति
सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने गठबंधन के ‘ इडिया ‘ नाम पर आपत्ति जतायी थी. इस नाम से एनडीए (NDA) का भ्रम पैदा होने की बात कही थी. किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. बताया जाता है कि ‘इंडिया’ नाम का प्रस्ताव ममता बनर्जी ने रखा. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने समर्थन किया. ‘ इंडिया’ स्वीकृत हो गया. कहा जाता है कि यह नाम वाम दलों को भी नहीं जंचा. पर, किसी ने विरोध नहीं किया. भाकपा के महासचिव डी राजा (D Raja) के मुताबिक ‘देशभक्त लोकतांत्रिक गठबंधन’ नाम करीब – करीब तय हो गया था. एनडीए के मुकाबले पीडीए! पर, अंतिम क्षण में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) कर दिया गया. निस्संदेह ऐसा कांग्रेस की पहल पर हुआ. बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी कर रही थीं.
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नहीं बन पायी सहमति
पटना की बैठक में लिये गये निर्णयों के मुताबिक बेंगलुरु (Bengaluru) की बैठक में गठबंधन के नाम, संयोजक और सीटों के बंटवारे पर फैसला होना था. नाम तो तय हो गया, पर शेष मामले मुंबई (Mumbai) में होने वाली अगली बैठक के लिए छोड़ दिये गये. उस बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है. सूत्र बताते हैं कि बेंगलुरु में संयोजक पद के लिए अलग – अलग सोनिया गांधी और अरविन्द केजरीवाल का नाम रखा गया . सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के पक्ष में तर्क पेश किया गया कि चूंकि वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अधयक्ष रही हैं इसलिए नये गठबंधन में भी अवसर उन्हें ही मिलना चाहिए. पर, सहमति शायद नहीं बन पायी. अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नाम पर भी नहीं.
किसी ने नहीं रखा नाम
बताया जाता है कि तीसरा नाम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का आया. उन्होंने साफ इनकार कर दिया. फिर ग्यारह सदस्यीय संचालन समिति के गठन पर सहमति बनी. यहां हैरान करने वाली बात यह रही कि संयोजक पद के लिए विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार का नाम किसी ने नहीं लिया. लालू प्रसाद और हेमन्त सोरेन ने भी नहीं. लालू प्रसाद (Lalu Prasad) मौन क्यों रह गये, यह समझ से परे है. उसके बाद जो हुआ वह नीतीश कुमार के स्वभाव के अनुरूप ही था. आगे क्या होगा ,यह वक्त के गर्भ में है. वैसे, मुम्बई की बैठक तक मान – मनौव्वल का दौर चलेगा. सब कुछ ठीक ठाक रहने के दावे किये जायेंगे. लेकिन, होगा वही जो कांग्रेस ने रच रखा है. उस रचना में नीतीश कुमार कहीं नहीं हैं, इसका स्पष्ट संकेत बेंगलुरु की सड़कों पर उनके संदर्भ में लगाये गये पोस्टरों और उनके साथ हुए रूखे – सूखे व्यवहार से मिल जाता है.
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