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राजनीति : यह होंगे ललन सिंह के खिलाफ मुंगेर से भाजपा के उम्मीदवार !

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   संजय वर्मा
21 जुलाई 2023

Patna : राजनीतिक हलकों में यह चर्चा महत्वपूर्ण जगह बनाये हुए है कि जदयू के राष्ट्रीय‌ अध्यक्ष ‘महाबली’ राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajeev Ranjan Singh urf Lalan Singh) के खिलाफ मुंगेर के मैदान में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह उतरेंगे. गिरिराज सिंह अभी बेगूसराय से भाजपा के सांसद हैं. 2019 में बिहार के सबसे बड़े चुनावी मुकाबले में उन्होंने भाकपा (CPI) प्रत्याशी कन्हैया कुमार को शिकस्त दी थी. कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) वर्तमान में कांग्रेस में हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से नजदीकी है. इसके बाद भी 2024 में बेगूसराय से चुनाव लड़ने की संभावना क्षीण है. वैसे, महागठबंधन से अलग उम्मीदवार उतारने की स्थिति बनी‌ तो इन्हें प्राथमिकता मिल सकती है. फिलहाल कांग्रेस (Congress) नेतृत्व ने कन्हैया कुमार को एन एस यू आई‌ का राष्ट्रीय प्रभारी बना रखा है.

भाजपा‌ में अंतर्कलह
भाजपा (BJP) में भी गिरिराज सिंह की उम्मीदवारी के दुहराव पर संशय है. कारण अनेक हैं. सबसे बड़ा कारण बड़ी जीत से उपजी‌ जनता की बड़ी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का‌ अधूरा रह जाना माना जा रहा है. वैसे, इन्हें पूरा करने के गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) और उनके स्थानीय रणनीतिकारों के लम्बे – चौड़े दावे हैं. उन दावों से समर्थक संतुष्ट हैं, पर आम मतदाताओं में संतुष्टि का भाव परिलक्षित नहीं हो रहा है. दूसरी बड़ी मुसीबत यह है कि दावेदारों की बढ़ी संख्या से जिला भाजपा में अंतर्कलह गहरा गया है. 2019 में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति थी. दिवंगत क्षेत्रीय सांसद डा.भोला सिंह (Dr. Bhola Singh) के कई ‘उत्तराधिकारी’ खड़े हो गये थे. विद्रोह से बचने के लिए गिरिराज सिंह को आयातित किया गया था. गिरिराज सिंह उस वक्त नवादा (Nawada) के सांसद थे.

रखा जा सकता है चुनाव से अलग
डम्बना देखिये, भाजपा में उम्मीदवारी के सवाल पर विद्रोह टालने के मकसद से उन्हें नवादा से बेगूसराय (Begusarai) लाया गया था, आज उनको लेकर विद्रोह न हो जाये, उन्हें यहां से दूर करने की बात हो रही है. इसी परिप्रेक्ष्य में मुंगेर से उनकी उम्मीदवारी की चर्चा है. वैसे,‌ पार्टी के सूत्रों का कहना है कि गिरिराज सिंह को दूसरे – दूसरे क्षेत्रों में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और भाजपा का अलख जगाने के लिए इस बार संसदीय चुनाव से अलग रखा जा सकता है. संभवतः इस पर उच्च स्तरीय मंथन भी हो रहा है. अंतिम निर्णय‌‌ वक्त के गर्भ में है.

विवेक ठाकुर और राकेश सिन्हा.

तीन करोड़िया बात
क्या होगा क्या नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता. पर, गिरिराज सिंह के इर्दगिर्द रहने वालों की मानें, तो मुंगेर से उम्मीदवार बनना वह शायद ही चाहेंगे. ‘मार्गदर्शक मंडल’ की सदस्यता भले स्वीकार कर लेंगे , पर ललन सिंह के खिलाफ ताल नहीं ठोकेंगे. इसलिए नहीं कि चुनाव में उनका सामना नहीं कर पायेंगे या फिर उनके कथित विष बुझे बोल का जवाब नहीं दे पायेंगे. उनसे भी अधिक तीखे जवाब देने में वह समर्थ हैं. पर, ‘तीन करोड़िया’ बात है कि वह टकराना नहीं चाहेंगे. ‘अंदरूनी अंतरंगता’ से जुड़ी बहुत बातें हैं. उन बातों में कथित रूप से पटना (Patna) और बेगूसराय के ललन सिंह के अतिकरीबी दो बड़े स्वजातीय ठेकेदारों के ठिकानों पर‌ छापामारियां भी शामिल हैं. ऐसे में भाजपा की जबरिया उम्मीदवारी थोप दी जाती है और गिरिराज सिंह मैदान में उतर भी जाते हैं तो मुकाबले का स्वरूप क्या होगा, इसको आसानी से समझा जा सकता है. यह सब सिर्फ सामान्य चर्चा में ही नहीं है, पार्टी नेतृत्व के भी संज्ञान में है.


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एक दावेदार यह भी
इससे जुड़ी खबर यह भी है कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) ने बेगूसराय से मज़बूत दावेदारी पेश कर रखी है. गिरिराज सिंह को बेदखल करने की अघोषित मुहिम भी उनहोंने चला रखी है. जिला भाजपा में अंतर्कलह गहराने का इसे भी एक कारण माना जा रहा है. राजनीति के गलियारे में चर्चा है कि बेगूसराय में गुंजाइश नहीं बनने पर राकेश सिन्हा को मुंगेर (Munger) में अवसर उपलब्ध कराया जा सकता है. वैसा होता है , तो ललन सिंह का मुकाबला वह कैसे और किस रूप में करेंगे , विवेचना का अलग विषय है. पर, ध्यान देने वाली बात यह अवश्य है कि ब्रह्मर्षि समाज में उनकी एक अलग किस्म की स्वीकार्यता है, जो उन्हें मजबूती देती है. वैसे, उनकी प्रथमिकता बेगूसराय है.

मिल सकता है इन्हें अवसर
इन सबसे अलग एक और नाम की खूब चर्चा है. राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर (Vivek Thakur) की. वह पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सी पी ठाकुर (Dr. C P Thakur) के पुत्र हैं. सरल – सहज स्वभाव के विवेक ठाकुर मुंगेर से चुनाव लड़ने में हर दृष्टि से सक्षम – समर्थ हैं, ऐसा विश्लेषकों का मानना है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके पिता डा.सी पी ठाकुर का ब्रह्मर्षि समाज में जो मान- सम्मान है उसके मद्देनजर ललन सिंह और नीरज कुमार (Niraj Kumar) जैसे बड़े मुंह वाले नेताओं के समक्ष विवेक ठाकुर के खिलाफ व्यक्तिगत टीका – टिप्पणी करने में संयम बरतने की विवशता खड़ी हो जा सकती है. यानी जदयू (JDU) का जो मुख्य हथियार है वह भोथरा पड़ जा सकता है . इन्हीं सब कारणों से भाजपा के अंदर विवेक ठाकुर को बेहतर विकल्प माना जा रहा है. वैसे, निर्णय पार्टी नेतृत्व को करना है. कुछ लोग संभावित के तौर पर बिहट निवासी आईपीएस अधिकारी विकास वैभव (Vikas Vaibhav) का भी नाम लेते हैं. लेकिन, इसका कोई तर्क संगत आधार नहीं दिखता है.

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