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उम्मीदवारी मिली, तो संसदीय चुनाव में गुल खिला दे सकते हैं संजीव मिश्रा !

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तापमान लाइव ब्यूरो
02 मार्च 2024

Purnia : संजीव मिश्रा रियल एस्टेट के क्षेत्र के पूर्णिया के बहुचर्चित संस्थान पनोरमा ग्रुप (Panorama Group) के ऊर्जावान अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक हैं. ‘सन आफ मिथिला’ के नाम से सीमांचल और मिथिलांचल में समान रूप से ख्यात इस बड़ी शख्सियत की पहचान और सम्मान रियल एस्टेट के क्षेत्र में कम आय वालों को कम मुनाफा पर आवास एवं भूखंड उपलब्ध कराने के साथ – साथ शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समाजसेवा के कार्यों के प्रति गहरी रुचि और अखंड समर्पण को लेकर है. बिहार के इन दोनो अंचलों के लोग उनके उद्यम और उपलब्धियों की निरंतरता को उल्लेखनीय, अनुकरणीय और अतुलनीय मानते हैं. साल-दो साल से नहीं, तकरीबन आठ वर्षों से वह इस कार्य में अहर्निश लगे हैं और तनिक भी नहीं थके हैं. अपने कार्य क्षेत्र में हर वक्त नयी बुलंदियां पाने की धुन में रमे रहते हैं.

पनोरमा अस्पताल भी
पूर्णिया में तो संजीव मिश्रा (Sanjeev Mishra) का रियल एस्टेट का कारोबार बड़ा आकार लिये हुए है ही, सुपौल के छातापुर में पनोरमा पब्लिक स्कूल को शिक्षा के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयां देने के साथ उन्होंने वहां आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाओं से सज्जित-व्यवस्थित पनोरमा अस्पताल भी खोला है. अस्पताल का उद्घाटन इसी चार फरवरी को हुआ. इस अवसर पर लोजपा (रामविलास) के सुप्रीमो सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए. स्वास्थ्य सेवा के मामले में पनोरमा अस्पताल क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है, ऐसा इलाकाई प्रबुद्धजनों के साथ-साथ सामान्य लोगों का भी मानना है.

पूर्णिया या फिर सुपौल
स्थानीय राजनीति (Local Politics) की समझ है कि समाज सेवा के क्षेत्र में ऐसे ही बहुउपयोगी कार्यों से संजीव मिश्रा को वर्णनातीत जनप्रियता मिली हुई है. चुनावों में उम्मीदवारी के लिए आमतौर पर लोग दलीय नेतृत्व के यहां सिर नवाते हैं, दरबार लगाते हैं अधिकतर मामलों में तब भी मुराद पूरी नहीं हो पाती है. संजीव मिश्रा के लिए उम्मीदवारी उनके दरवाजे पर दस्तक देने पहुंच जाती है. उनके करीब रहने वाले लोगों की मानें, तो आसन्न संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) के लिए भी प्रायः सभी बड़े राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारी की पेशकश की जा रही है. पूर्णिया या सुपौल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए आग्रह किया जा रहा है, दबाव बनाया जा रहा है. 2019 में इन दोनों क्षेत्रों में राजग (NDA) के घटक दल जदयू (JDU) की जीत हुई थी. महागठबंधन में दोनों कांग्रेस (Congress) के कोटे में थे. इस बार भी वैसी ही कुछ संभावना बनती दिख रही है.

चुनाव लड़ने पर अभी निर्णय नहीं
राजनीति के विश्लेषकों का मानना है कि इन दोनों संसदीय क्षेत्रों का सामाजिक समीकरण (Social Equation) जो हो, संजीव मिश्रा की लोकप्रियता (Popularity) सब पर भारी दिख रही है. बड़े राजनीतिक दलों के इनके प्रति आकर्षण के पीछे मुख्यतः यही समझदारी है. यह सब तो है, लेकिन ऐसी अनुकूलता के बावजूद संजीव मिश्रा ने संसदीय चुनाव लड़ने पर अभी कोई निर्णय नहीं किया है. उनका कहना है कि राजनीति और चुनाव उनके लिए कोई विशेष महत्व नहीं रखता है. प्राथमिकता उनकी छातापुर और सुपौल को विकसित करना – कराना और वहां के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना है. छातापुर संजीव मिश्रा की जन्मभूमि है. जन्मभूमि के लिए विशेष लगाव रहना स्वभाविक है. गौर करने वाली बात यह भी है कि वर्तमान दौर में अपनी जन्मभूमि के प्रति ऐसी आसक्ति शायद ही किसी में दिखती होगी. इस दृष्टि से भी संजीव मिश्रा को प्रेरणा का स्रोत माना जा सकता है.

राज्यस्तरीय पहचान
रियल एस्टेट का उनका कारोबार छातापुर और सुपौल में भी विस्तृत है. यह कहा जाये कि रियल एस्टेट के क्षेत्र में उनकी राज्यस्तरीय पहचान बन गयी है , तो वह कोई अतिश्योक्ति (Exaggeration) नहीं होगी. इसे इस रूप में भी समझा जा सकता है कि उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता को दृष्टिगत रख अटल भारत फाउंडेशन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को समर्पित ‘अटल मिथिला सम्मान’ से नवाजा था. इससे सीमांचल और मिथिलांचल, दोनों ने खुद को गौरवान्वित महसूस किया था. राजनीतिक चर्चाओं में लोग ऐसी बातें भी करते हैं कि संसदीय चुनाव में जो दल इन्हें उम्मीदवार बनायेगा, विधानसभा (Assembly) के चुनाव में पूर्णिया और कोसी प्रमंडलों के दर्जन भर से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में ब्राह्मण मतदाताओं के समर्थन के रूप में उसे लाभ मिल जायेगा.


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उठाते हैं आवाज 
ऐसा इसलिए कि संजीव मिश्रा राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा से गहरे रूप से जुड़े हैं और चुनावों में ब्राह्मणों की बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में इस जाति की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जोरदार आवाज उठाते हैं. संजीव मिश्रा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अयोध्या (Ayodhya) के राम मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन्हें भी आमंत्रित किया था. वहां गये भी थे. इन सबके मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि किसी बड़े राजनीतिक दल की पेशकश को स्वीकार कर संजीव मिश्रा संसदीय चुनाव में उतरते हैं, तो परिणाम उनके अनुकूल आ सकता है. वैसे, राजनीति में दावे के साथ कुछ कहना मुनासिब नहीं होगा. सब कुछ वक्त तय करता है.

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