अब्दुल्ला नगर के बाशिंदों में फूट पड़ा गजब का गुस्सा !
अशोक कुमार
01 मार्च 2024
Purnia : यह धधकता दृश्य है अब्बदुल्ला नगर का जिसने राजद के अघोषित सुप्रीमो तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) की राजनीति में सिहरन भर दी है. उन्हें माथा पकड़ने को विवश कर दिया है. अब्बदुल्ला नगर पूर्णिया शहर के पूर्वी हिस्से में आबाद वह बस्ती है जिस पर विस्थापन (Displacement) के रूप में आफत के बादल मंडरा रहे हैं. बस्ती 22 एकड़ 73 डिसमिल के बड़े भूभाग पर बसी है. साढ़े तीन सौ के आसपास कच्चे- पक्के मकान खड़े हैं. विवाद भूमि के स्वामित्व का है. जिनका स्वामित्व सिद्ध हुआ है उनके पक्ष में पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के आदेशानुसार बुलडोजर की कार्रवाई होनी है.
ऐसे उलझ गयी बात
स्थानीय प्रशासन प्रयासरत है, पर प्रबल जन प्रतिरोध के कारण वैसा हो नहीं पा रहा है. कल क्या होगा, नहीं कहा जा सकता. वैसे, चर्चा का यह एक अलग मुद्दा है. तेजस्वी प्रसाद यादव की राजनीति (Politics) कैसे और क्यों इसमें उलझ गयी, बात उसकी करते हैं. तेजस्वी प्रसाद यादव उस दिन सीमांचल में जन विश्वास यात्रा पर थे. सुपौल से अररिया होते हुए कटिहार जा रहे थे. चलते- चलते किसी ने अब्दुल्ला नगर का दर्द सुना दिया तो प्रभावित परिवारों के प्रति सहानुभूति उमड़ आयी. उस सहानुभूति (Sympathy) में राजनीति के स्वाभाविक भाव भी थे. जन विश्वास यात्रा उसी राह बढ़ गयी.
बड़ी भीड़ जुटी थी
वाकया सोमवार 26 फरवरी 2024 की देर रात का है. प्रतिपक्ष के नेता के स्तर से राहत की उम्मीद लिये अब्दुल्ला नगर (Abdullah Nagar) में उनके स्वागत के लिए बड़ी भीड़ जुटी थी. राजद और तेजस्वी प्रसाद यादव के जयकारे गूंज रहे थे. ‘तेजस्वी प्रसाद यादव जिंदाबाद’ के गूंजते गगनभेदी नारों के बीच काफिला पहुंचा, लेकिन वाशिंदों का दर्द सुने बगैर अगले पड़ाव यानी कटिहार की ओर बढ़ गया. सिर्फ ज्ञापन (Memorandum) लिया और आश्वासन (Assurance) दिया, इसके अलावा कुछ नहीं सुना.
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अब्दुल्ला नगर पर मंडरा रहे आफत के बादल
आक्रोशित हो उठे वाशिंदे
वाशिंदों को यह जले पर नमक छिड़कने जैसा महसूस हुआ. फिर तो जिस मुंह से जिंदाबाद के नारे निकल रहे थे उसी से कुछ अधिक तेज आवाज में मुर्दाबाद के नारे निकलने लगे. ‘तेजस्वी प्रसाद यादव मुर्दाबाद…’ जो मुट्ठियां बुलंदी प्रदर्शित कर रही थीं, चेतावनी के मोड में आ गयीं. इतना ही नहीं हुआ तेजस्वी प्रसाद यादव और उनकी जन विश्वास यात्रा (Jan Vishwas Yatra) के स्वागत में जितने बैनर-पोस्टर और झंडे- पताके लगाये-लहराये गये थे, सब को नोंच- फाड़ कर आग के हवाले कर दिया गया. अब्दुल्ला नगर का यह गुस्सा राजद (RJD) के चुनावी हित को कितना प्रभावित करेगा, यह वक्त बतायेगा. फिलहाल तेजस्वी प्रसाद यादव के लिए इसे होम करते हाथ जलने के रूप में देखा और समझा जा सकता है.
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