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विजय भइया ने डूबो दी तेजस्वी की लुटिया!

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मुकेश कुमार
21 अप्रैल 2024
Jamui : प्रसिद्ध गजलगो महताब राय ताबां का एक काफी चर्चित शेर है – दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से, इस घर को आग लग गयी घर के चराग़ से. जमुई संसदीय क्षेत्र (Jamui parliamentary constituency) में मुख्य मुकाबले के जिस किसी प्रत्याशी की हार होगी, वह और उनके रणनीतिकार 04 जून 2024 के बाद इसी शेर को गुनगुना अपना गम गलत करेंगे. इस शेर का उल्लेख यहां क्यों किया गया है, उसकी व्याख्या की जा रही है. कुछ लोगों को अटपटा लग सकता है, पर इसे आधारहीन नहीं कहा जा सकता कि जमुई की राजनीति का चरित्र घात – भितरघात से भरा रहा है. अब भी वैसा ही है. इसे सिद्ध करने के लिए कोई प्रमाण तलाशने की जरूरत नहीं है.

आखिर, ऐसा क्यों है?
हाल के वर्षों के राजनीतिक घटनाक्रमों से यह स्वतः सिद्ध है. लोगों के मन में यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा कि आखिर जमुई की राजनीति का चरित्र ऐसा क्यों है? इस क्यों का जवाब हैरान कर दे सकता है. और बातें तो अपनी जगह हैं ही, विश्लेषकों के मुताबिक किसी भी सूरत में जिले में तीसरी राजनीतिक ताकत उभरने नहीं देना इसके मूल में है. इसको इस रूप में समझिये. जमुई जिले की सत्ता और सियासत पर तकरीबन 35 वर्षोंं से दो राजनीतिक घराना काबिज हैं. कब्जा बनाये रखने के लिए इनमें घोर प्रतिद्वंद्विता है.

उदाहरण हैं चिराग पासवान
एक घराना दिवंगत पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह (Former minister Narendra Singh) का है, तो दूसरा पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव (Former MP Jaiprakash Narayan Yadav) का. नरेन्द्र सिंह के घराने में उनके दो पुत्र- पूर्व विधायक अजय प्रताप सिंह (Former MLA Ajay Pratap Singh) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह (Science and Technology Minister Sumit Kumar Singh) हैं. जयप्रकाश नारायण यादव के घराने में उनकी पुत्री दिव्य प्रकाश, भाई पूर्व मंत्री विजयप्रकाश यादव, भावज विनीता प्रकाश हैं. सामान्य समझ है कि प्रभुत्व बनाये रखने के लिए नरेन्द्र सिंह का घराना एनडीए में तीसरी ताकत नहीं उभरने देता है, तो जयप्रकाश नारायण यादव का घराना महागठबंधन, विशेष कर राजद में. उदाहरण के तौर पर चिराग पासवान (Chirag Paswan) को देखा जा सकता है.

तेजस्वी प्रसाद यादव, मुकेश यादव और अर्चना रविदास.

खूब हुआ घात-भितरघात
इसमें दो मत नहीं कि चिराग पासवान अपने कारणों से जमुई की राजनीति में तीसरी बड़ी ताकत के तौर पर स्थापित नहीं हो पाये. उन्हें स्थापित नहीं होने देने में नरेन्द्र सिंह के घराने की भी प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष भूमिका रही है. हालांकि, राजनीति के लिए यह कोई चौंकाऊ बात नहीं है. अपना प्रभुत्व कोई क्यों ढहने देना चाहेगा? जमुई संसदीय क्षेत्र में इस बार चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती (Arun Bharti) एनडीए (NDA) से लोजपा -आर (LJP-R) के उम्मीदवार हैं. ऊपर से जो दिखा हो, चुनाव अभियान पर गहन नजर रखने वालों के मुताबिक एनडीए में जमे चिराग पासवान के विरोधियों ने घात – भितरघात खूब किया. असर क्या और कितना पड़ा, यह परिणाम बतायेगा.


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उदाहरण एक नहीं, अनेक हैं
जहां तक महागठबंधन (grand alliance) की बात है, तो राजद (RJD) के लोग ही चर्चा करते हैं कि जयप्रकाश नारायण यादव और उनके भाई विजयप्रकाश यादव राजद में वैसे किसी भी स्वजातीय नेता का पांव नहीं जमने देते हैं जिसकी पहुंच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद (RJD supremo Lalu Prasad) के दरबार तक होती है या पहुंच कायम होने की संभावना दिखती है. लोग इसके एक नहीं, अनेक उदाहरण गिनाते हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि उसी मानसिकता के तहत संसदीय चुनाव में राजद प्रत्याशी अर्चना रविदास (Archana Ravidas) के साथ राजनीति हो गयी. तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) की चुनावी सभा में चिराग पासवान को गंदी – गंदी गाली दिलायी गयी. मकसद और कुछ नहीं, अर्चना रविदास का वोट खराब कर देना था, बहुत हद तक खराब हो गया.

असर बांका पर भी
विश्लेषकों की मानें, तो जमुई में जो होना था, हो गया, इसका दोहरा असर अब बांका संसदीय क्षेत्र में  ( Banka parliamentary constituency) जयप्रकाश नारायण यादव की चुनावी सेहत पर पड़ जा सकता है. विजयप्रकाश यादव के बड़े भाई जयप्रकाश नारायण यादव बांका से राजद के उम्मीदवार हैं. गाली प्रकरण में विजयप्रकाश यादव की कोई भूमिका थी या नहीं, यह एक अलग मुद्दा है. वैसे, गाली बकने वाला जिस ढंग से ‘विजय भइया, विजय भइया’ बोल रहा था और विजयप्रकाश यादव उन्हें रोकने का प्रयास कर रहे थे उससे संदेह के दायरे में तो वह आ ही जाते हैं. इसी समझ के तहत पासवान बिरादरी के लोग गाली का गुस्सा तो उतारेंगे ही, रविदास समाज के लोग भी जमुई का हिसाब बांका में बराबर कर दे सकते हैं.

ऐसी राजनीति क्यों ?
अब सवाल है कि अर्चना रविदास के साथ ऐसी राजनीति क्यों की गयी? इस क्यों का बहुत सहज व सरल जवाब है. वह है सांसद बन जाने पर जमुई में बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभर जाना. कथित तौर पर अर्चना रविदास के खिलाफ राजनीति करने वालों की ऐसी आशंका आधारहीन नहीं है, उसमें काफी दम है. अर्चना रविदास का खुद का प्रभाव तो है ही, मुंगेर निवासी उनके पति अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव की भी राजद में अच्छी हैसियत है. लोग बताते हैं कि राजद के अघोषित सुप्रीमो तेजस्वी प्रसाद यादव से उनकी निकटता भी है. ऐसे में अर्चना रविदास जमुई से सांसद निर्वाचित हो जाती हैं, तो स्वाभाविक रूप से राजद की स्थानीय राजनीति में उनका और उनके पति अविनाश कुमार विद्यार्थी उर्फ मुकेश यादव का सिक्का जम जायेगा. सामान्य समझ की बात है कि राजद की राजनीति पर पहले से काबिज ताकत को यह कदापि बर्दाश्त नहीं होगा. तेजस्वी प्रसाद यादव की चुनावी सभा में चिराग पासवान को गाली बकने के मामले को इस नजरिये से भी देखा जा रहा है. सच क्या है यह जांच के बाद ही पता चल पायेगा. आगे – आगे देखिये होता है क्या!

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