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शिवहर : वैश्यों ने ही बिछा दी हार की बिसात!

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मदन मोहन ठाकुर

2 जून 2024

Sitamarhi : साहिब लखनवी का एक मशहूर शेर है- बागबां ने आग दी जब आशियाने को मेरे, जिनपे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे. शिवहर (Sheohar) संसदीय क्षेत्र में राजद प्रत्याशी रितु जायसवाल (Ritu Jaiswal) के साथ ऐसा ही कुछ हुआ दिखता है. जीत और हार का फैसला 04 जून 2024 को होगा. फिलहाल मतदान (Voating) के रूझान में उन्हें सुकून नहीं मिल रहा है. मतगणना में मिल जाये तो वह अलग बात होगी. सीतामढ़ी में तेली जाति के सुनील कुमार पिंटू (Sunil Kumar Pintu) और शिवहर में कलवार जाति की रमा देवी (Rama Devi) को हाशिये पर डाल सवर्ण उम्मीदवार उतार दिये जाने से वैश्य समाज में एनडीए (NDA) के खिलाफ जो गुस्सा उफनाया था उससे दोनों क्षेत्रों में उसकी जमीन हिल गयी थी.

कुल्हाड़ी मार ली पांव में

एनडीए की परेशानी इस वजह से भी बढ़ गयी थी कि वैश्य-असंतोष के बीच सीतामढ़ी में राजद (RJD) प्रत्याशी अर्जुन राय (Arjun Ray) और शिवहर में रितु जायसवाल ने संघर्ष को अगड़ा बनाम पिछड़ा का रूप देने की भरदम कोशिश की. रितु जायसवाल ने ‘ठाकुर का कुआं’ (Thakur Ka Kuan) को बार-बार उछाल दलितों एवं अत्यंत पिछड़ों को भी मोहित करने का प्रयास किया. शुरुआती रुझान से ऐसा लगा कि शिवहर में एनडीए की जदयू प्रत्याशी लवली आनंद (Lovely Anand) मुकाबले में कहीं रह ही नहीं जायेंगी. पीले पत्ते की तरह हवा हो जायेंगी. पर, अंतिम दौर में रितु जायसवाल ने एक विवादित बयान से खुद अपने पांव में कुल्हाड़ी मार ली. बाकी काम प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की चुनावी सभाओं ने पूरा कर दिया.

शुरू हो गयी उल्टी गिनती

‘ठाकुर का कुआं’ का असर गैर राजपूत (Rajput) सवर्णोंं पर उतना नहीं था. रितु जायसवाल ने सार्वजनिक रूप से जब यह कहा कि ‘टाइटल वालों से जीतने पर बिना टाइटल वाले हिसाब करेंगे’, तब उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गयी. शिवहर संसदीय क्षेत्र में लगभग चार लाख सवर्ण मतदाता हैं. कहते हैं कि रितु जायसवाल के इस कुबोल ने इन मतों को करीब-करीब एकजुट कर दिया. उधर, वैश्य समाज में एनडीए के खिलाफ जो गुस्सा उफना रहा था वह नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की चुनावी सभाओं के बाद प्रायः शांत पड़ गया.

योगी अखिलेश्वर दास

उन सभाओं में नरेन्द्र मोदी को अतिपिछड़ा वर्ग के वैश्य समाज के बेटा के तौर पर पेश किया गया. असर ऐसा हुआ कि वैश्यों के एक तबके को छोड़ सभी एनडीए के पक्ष में हो गये. वैसे, इसमें प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष सांसद धर्मशीला गुप्ता (Dharmshila Gupta), विधायक पवन जायसवाल (Pawan Jaiswal) आदि की भी बड़ी भूमिका रही. शिवहर में वैश्य मतों की संख्या चार लाख के आसपास है. एक अनुमान के मुताबिक इनके साठ प्रतिशत मत मोदी के नाम पर जदयू प्रत्याशी लवली आनंद के पक्ष में गये हैं. शेष चालीस प्रतिशत में एक हिस्सेदार शिवहर निवासी योगी अखिलेश्वर दास (Yogi Akhileshwar Das) भी हैं. निर्दलीय मैदान में उतरे तेली जाति के योगी अखिलेश्वर दास का क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है. कहा जाता है कि मत भी अच्छी संख्या में मिले हैं.

ज्यादा बिखराव नहीं

भाजपा (BJP) नेता पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह (Rana Randhir Singh) के भाई राणा रणजीत सिंह (Rana Ranjeet Singh) एमआईएम (MIM) के उम्मीदवार हैं. स्वजातीय समाज के छोटे से हिस्से के साथ असदुद्दीन ओवैसी (Asduddin Owaisi) समर्थक मुस्लिम (Muslim) मत भी उन्हें मिले हैं. लेकिन, परिणाम को प्रभावित करने लायक नहीं. रितु जायसवाल को यादव (Yadav) और मुस्लिम मतों के अलावा वैश्यों और मल्लाहों के मत अच्छी संख्या में मिले हैं. रविदास (Ravidas) समाज के भी. अन्य जातियों में उन्हीं मतों का साथ मिला है जो लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के मुरीद हैं. जदयू (JDU) प्रत्याशी लवली आनंद को सवर्णों के अलावा वैश्य समाज के बड़े हिस्से का समर्थन मिला है. उनके लिए राहत की बात यह रही कि पासवान (Paswan) बिरादरी का मुकम्मल साथ तो मिला ही, एनडीए समर्थक सामाजिक समूहों में ज्यादा बिखराव नहीं हुआ. कुर्मी- कुशवाहा (Kurmi-Kushwaha) भी एकजुट दिखे.


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नहीं था कोई दूसरा मुद्दा

इससे शुरुआती दौर में एकतरफा दिख रहा मुकाबला कांटे का हो गया. मतदान के रूझान में रितू जायसवाल की सारी मेहनत ‘ठाकुर का कुआं’ में जाती दिखी. वैसे भी 2019 में राजद के फैसल अली (Faisal Ali) भाजपा प्रत्याशी रमा देवी से 03 लाख 40 हजार 360 मतों के विशाल अंतर से मात खा गये थे. रमा देवी को 06 लाख 08 हजार 678 मत मिले थे तो फैसल अली को 02 लाख 68 हजार 328 मत. हार के इतने बड़े अंतर को पाटने के लिए रितु जायसवाल के पास ‘ठाकुर का कुआं’ के अलावा शायद कोई बड़ा मुद्दा नहीं था.

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