राजद : आयेंगे, अभी और आयेंगे!
विशेष प्रतिनिधि
02 जून 2024
पटना : वह गाना है न…बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है. पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad YadV) की धड़कनों को पढ़ने और समझने वालों की बातों में यदि सच्चाई है तो उनके दिल में यह गाना लगातार गूंज रहा है. लोकलाज की वजह से वह इसे जोर से गा नहीं पा रहे हैं. गुनगुनाने का भी साहस नहीं जुटा पा रहे हैं. फिर भी दिल है कि मानता नहीं…राजनीति (Poltix) देख- सुन रही है कि इस गाने को बार-बार गाये जा रहे हैं. ऐसा संभवतः इसलिए कि लोकसभा (Loksabha) चुनाव (Election) में और इससे पहले महागठबंधन की सरकार (Goverment) में बापू यानी उनके पिता लालू प्रसाद (Lalu Prasad) ने कथित रूप से जो कुछ किया, वह उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं रहा.
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उठाना पड़ा भारी नुकसान
तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi Prasad Yadav) के करीब रहने वालों के मुताबिक उसका उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. थोड़ा पीछे चलें तो स्थिति और स्पष्ट हो जायेगी. 2020 के विधानसभा (Vidhansabha) चुनाव (Election) में लालू प्रसाद की सेहत खराब थी. उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक के सारे काम तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने दम पर किया. अप्रत्याशित परिणाम आया. सत्ता थोड़ी ही दूरी पर ठहर गयी. उसके बाद का हाल जानिये. पांच विधानसभा उपचुनावों में लालू प्रसाद की सेहत दुरुस्त हो गयी थी. तारापुर (Tarapur), कुशेश्वरस्थान (Kusheshwar Asthan), कुढ़नी (Kudhani) और गोपालगंज (Gopalgang) में पार्टी हार गयी. बोचहां (Bochaha) में उनका दखल नहीं था. पार्टी जीत गयी.
अचानक हो गयी आमद
थोड़े समय बाद नीतीश कुमार (Nitis Kumar) के राजग (NDA) से पलटी मार लेने से महगठबंधन की सरकार अस्तित्व में आ गयी. सब ठीक चल रहा था. उपमुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी प्रसाद यादव ईमानदारी से काम कर रहे थे. यश मिल रहा था. अचानक बापू की आमद हो गयी. आरोप उछलने लगे, ट्रांसफर-पोस्टिंग (Transfar-Posting) का पुराना कारोबार शुरू होने की बात कही जाने लगी. चर्चा यह भी हुई कि राजद (RJD) कोटे के मंत्रियों के चयन में भी उन्होंने अपने लोगों को पद देने के लिए दबाव बनाया था. कथित रूप से उन्हीं मंत्रियों के कारण तेजस्वी प्रसाद यादव की बदनामी हुई. सरकार निबट गयी.
दायरा बढ़ायेंगे पार्टी का
तब लोकसभा के चुनाव में बापू का खतरनाक खेल चालू हो गया. बापू ने तय किया कि पार्टी का दायरा बड़ा करेंगे. माय समीकरण की प्रचलित धारणा से अलग कुछ और नयी जातियों को जोड़ेंगे. इसके अलावा पुराने लोगों को भी उम्मीदवार बनाया जायेगा. वैसे पुराने लोगों को जो तेजस्वी प्रसाद यादव की सख्त छवि के कारण इधर-उधर छिटक गये थे, पार्टी की मुख्यधारा में लौटने लगे. वैसे ही पुराने लोगों में 27 वर्षों से बिछुड़े लालू प्रसाद के ‘बालसखा’ डा. रंजन प्रसाद यादव भी हैं, जिनकी 09 मई 2024 को ‘घर वापसी’ हुई है. राजद परिवार के सदस्यों की संख्या अभी और बढ़ने के आसार हैं. ऐसी हालत में तेजस्वी प्रसाद यादव के पास इसके अलावा कोई उपाय नहीं है कि जोर से गायें…बापू सेहत के लिए… !
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