तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आंकड़ों से झांकती भयावह तस्वीर!

शेयर करें:

अविनाश चन्द्र मिश्र

06 जुलाई 2024

PATNA : लोकसभा के हालिया संपन्न चुनाव में वाल्मीकिनगर (Valmikinagar) से सीतामढ़ी (Sitamarhi) तक के पांच क्षेत्रों में एनडीए की जीत हुई. पर, सुकून इतना ही मिला कि जीत कैसी भी हो, जीत जीत होती है. सुकून के इस हिस्से को छोड़ दें तो चुनाव के आंकड़ों से एनडीए को सकते में डालने वाली भयावह तस्वीर उभरती है. ऐसी कि भविष्य की चिंता में जीत का सुकून करीब-करीब लुप्त हो गया है. 2025 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की बाबत गहराती आशंकाओं ने होश फाख्ता कर रखा है. क्यों और कैसे, यहां उसी की पड़ताल की जा रही है. सरसरी तौर पर देखें तो समर्थक मतों में गिरावट एनडीए की सबसे‌ बड़ी परेशानी बनी हुई है.

साथ छोड़ दिया एनडीए का

मसलन पांच संसदीय क्षेत्रों- वाल्मीकिनगर, पश्चिमी चम्पारण (West Champaran), पूर्वी चम्पारण (East Champaran), शिवहर (Sheohar) और सीतामढ़ी में एनडीए (NDA) को 2019 में कुल 29 लाख 56 हजार 963 मत मिले थे. पांच वर्षों के दौरान मतदाताओं की कुल संख्या में हुई बढ़ोतरी के मद्देनजर 2024 में एनडीए को मिले मतों की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए थी तो वह घट कर 26 लाख 38 हजार 367 पर आ गयी. यानी 03 लाख 18 हजार मतदाताओं ने सीधे तौर पर एनडीए का साथ छोड़ दिया. इतना‌ भर ही होता तो वह कोई खास बात नहीं होती, चैन इस कारण उड़ा हुआ है कि उन मतों का ध्रुवीकरण महागठबंधन (Mahagathbandhan) के पक्ष में हो गया है.

कम बड़ी बात नहीं

इसको इस रूप में सहजता से समझा जा सकता है. 2019 में इन पांच क्षेत्रों में महागठबंधन को कुल 14 लाख 24 हजार 868 मत मिले थे. इस बार यह आंकड़ा 22 लाख 34 हजार 336 पर पहुंच गया. यानी 08 लाख 09 हजार 468 मत अधिक मिले. ‘मोदी की गारंटी’ को चीर कर इतनी संख्या में मतदाताओं को खुद से जोड़ लेना महागठबंधन के लिए कम बड़ी बात नहीं है. परन्तु, यह उसका दुर्भाग्य रहा कि मतों में इस भारी उछाल के बावजूद एक भी क्षेत्र में उसे जीत नसीब नहीं हो पायी. इतना जरूर हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में मत बटोर कर उसने एनडीए की जीत के मतों के अंतर को काफी कम कर दिया. आंकड़े बताते हैं कि 2019 मेें जीत का कुल अंतर 15 लाख 32 हजार 095 मतों का था. 2024 में सिर्फ 04 लाख 05 हजार 029 मतों का रह गया. यानी 11 लाख 27 हजार मत 066 मत कम हो गये.

एनडीए की भूल होगी

विश्लेषकों का मानना है कि इसका असर संसदीय चुनाव (Parliamentary Electio) के परिणाम पर भले नहीं पड़ा, विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में गहरे रूप में दिख सकता है. फिलहाल ऊपरी तौर पर आंकड़े एनडीए के अनुकूल अवश्य नजर आ रहे हैं, पर 2025 के विधानसभा चुनाव में हालात ऐसे ही रहेंगे, ऐसा मानना एनडीए की भूल होगी. इन संसदीय क्षेत्रों के तहत कुल 30 विधानसभा क्षेत्र हैं. 2020 में 23 पर एनडीए की जीत हुई थी.19 पर भाजपा (BJP) और 04 पर जदयू (JDU) की. एनडीए की सत्ता में वापसी में इन 23 सीटों का बड़ा महत्व था. दूसरी ओर महागठबंधन महज 07 सीटों पर विजयी हुआ था. 06 पर राजद और एक पर भाकपा-माले के उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे.


ये भी पढ़ें :

नागार्जुन और तरौनी : याद आते कमल, कुमुदिनी और ताल मखान

ऐसे नहीं मिल रहे … पुरस्कार-दर-पुरस्कार !

उपेन्द्र कुशवाहा पुंग गये… ! अब दूसरा कौन?

रूपौली का दंगल : असली पहलवान तो ये हैं…!


तो वह अलग बात होगी

इस बार के संसदीय चुनाव में 30 में से 28 सीटों पर एनडीए को बढ़त मिली है. सात उन विधानसभा क्षेत्रों में भी जिन पर महागठबंधन काबिज है. इससे संतुष्टि मिली होगी. लेकिन, उसके लिए यह सदमा दायक बात भी है कि महागठबंधन को जिन दो-हरसिद्धि (Harsiddhi) और ढाका (Dhaka) विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली है वे भाजपा के कब्जे वाले हैं. हरसिद्धि से कृष्णानंद पासवान विधायक हैं तो ढाका से पवन जायसवाल. वैसे तो लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के मुद्दे भिन्न होते हैं, चरित्र अलग-अलग होते हैं. एक के परिणाम में दूसरे के संभावित परिणाम की थाह शायद ही कभी मिल पाती है. तब भी उम्मीद तो कुछ बनती ही है. मगर समर्थक मतों की संख्या और जीत के मतों के अंतर में भारी गिरावट के मद्देनजर 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में वैसी भी कोई उम्मीद बनती नहीं दिख रही है. वैसे, संसदीय चुनाव में विधानसभा क्षेत्र वार मिली बढ़त का दुहराव हो जाये तो वह अलग बात होगी.

#tapmanlive

अपनी राय दें