तन गयी भृकुटि : ललन सिंह दूर-दूर क्यों?
विष्णुकांत मिश्र
14 जुलाई 2024
Patna : जदयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की यह मजबूरी हो सकती है, पर उनके इस निर्णय से लम्बे समय से जुड़े पार्टी के समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल फिर टूट गया . जिन्दगी भर झोला ही ढोते रहने का संताप गहरा गया. गठबंधनों की राजनीति के युग में चुनावों में उम्मीदवारी की संभावना सिमट- सिकुड़ जाने की स्थिति में पार्टी संगठन में ही पद मिलने की उम्मीद रहती है. उसमें भी ऊपर-ऊपर खेल हो जा रहा है. गैर राजनीतिज्ञ को बड़े पद पर काबिज करा दिया जा रहा है. पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष कुमार वर्मा (Manish Kumar Verma) को मिला राष्ट्रीय महासचिव का पद इसका ज्वलंत उदाहरण है.
कुर्मी हैं और नालंदा के हैं
मंगलवार को पार्टी में शामिल कराया गया और गुरुवार को महासचिव (General Secretary) का पद समर्पित कर दिया गया. वैसे तो यह जदयू का आंतरिक मामला है, आम लोगों को इससे कोई खास मतलब नहीं है. पर, किसी गैर राजनीतिक व्यक्ति को बड़े सांगठनिक पद पर आसीन कराने के निर्णय से पार्टी के आम कार्यकर्ताओं और नेताओं को तो मतलब है. परन्तु, वे सब भी चुप हैं. सिर्फ इस वजह से कि मनीष कुमार वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं और उनके गृह जिला नालंदा (Nalanda) के रहने वाले हैं. वैसे भी सत्ता और सियासत में नीतीश कुमार नेताओं और कार्यकर्ताओं की अपेक्षा नौकरशाहों पर ज्यादा भरोसा करते हैं. उस दृष्टि से भी मनीष कुमार वर्मा शत प्रतिशत खरा उतरते हैं.
कौन हैं मनीष कुमार वर्मा ?
पार्टी में पद मिलने के बाद देर-सबेर इन्हें राज्यसभा (Rajya Sabha) की सदस्यता भी दिलायी जा सकती है. बहरहाल, ऐसा लगता है कि जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh alias Lalan Singh) पार्टी नेतृत्व के इस निर्णय से खुश नहीं हैं. हालांकि, इस संदर्भ में उनकी कोई टिप्पणी सामने नहीं आयी है, पर पूरे परिदृश्य से उनके ओझल रहने के आधार पर राजनीति ऐसा कयास लगा रही है. अब यह जानते हैं कि पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष कुमार वर्मा आखिर हैं कौन? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं, यह सर्वविदित है. लेकिन, उनसे उनकी कोई रिश्तेदारी नहीं है. न नजदीक की और न दूर की. आरसीपी सिंह (RCP Singh) से रिश्तेदारी की बात भी हवाबाजी है.
नीतीश कुमार अवधिया कुर्मी हैं
नीतीश कुमार अवधिया कुर्मी हैं तो आरसीपी सिंह सम सवार और मनीष कुमार वर्मा घमैला हैं.मनीष कुमार वर्मा का हाल मुकाम बिहारशरीफ (Biharsharif) है, पर मूल रूप से वह गया (Gaya) जिले के रहने वाले हैं. प्रखंड अतरी, थाना नीमचक बथानी और गांव बरैनी. जानकारों के मुताबिक मनीष कुमार वर्मा के दादा डा. जनार्दन प्रसाद वर्मा (Dr. Janardan Prasad Verma) बिहारशरीफ में डाक्टरी करते थे. पिता डा. अशोक कुमार वर्मा (Dr. Ashok Kumar Verma) भी डाक्टर थे. वह भी वहीं जम गये. डाक्टरी खूब चलती थी. बिहारशरीफ के बारादरी मुहल्ले (Baradari locality) में उनका आलीशान मकान है.
ये भी पढ़ें :
‘माय’ पर एकाधिकार : तब भी रोहिणी गयीं हार… राजद में हाहाकार !
वाल्मीकिनगर: हनक की हार…तेजस्वी जिम्मेवार?
आरसीपी सिंह : मंजिल है कहां… ठिकाना है कहां…?
यही है वह स्थान जहां शिव ने अपनी जटाओं से निकाल दिया था चंद्रमा को!
सातवें नौकरशाह
मनीष कुमार वर्मा का जन्म और लालन-पालन बिहारशरीफ में ही हुआ. प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई. दिल्ली आईआईटी (Delhi IIT) से उन्होंने इंजीनियरिंग की और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) में आ गये. 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद से वह नीतीश कुमार के सलाहकार (Consultant) थे. नीतीश कुमार के नौकरशाहों पर अत्यधिक भरोसा ही है कि मनीष कुमार वर्मा भारतीय सेवा स्तर के सातवें अधिकारी हैं जिन्होंने खुद को जदयू की राजनीति से जोड़ा है.
#tapmanlive