उठी मांग : सीमांचल नहीं, सुरजापुरांचल चाहिये!
अशोक कुमार
15 जुलाई 2024
Purnia: तौसीफ आलम (Tausif Alam) किशनगंज (Kishanganj) जिले के बहादुरगंज (Bahadurganj) से लगातार चार बार विधायक रहे हैं. पहली बार निर्दलीय (independent) और फिर तीन बार कांग्रेस (Congress) के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए हैं. कांग्रेस का उम्मीदवार वह 2020 में भी थे. बुरी तरह मात खा गये थे. 30 हजार 204 मतों के साथ तीसरे स्थान पर अटक गये थे. जीत एमआईएम (mim) के मोहम्मद अंजार नईमी (Mohammad Anzar Naeemi) की हुई थी जो वर्तमान में राजद (RJD) में हैं. इससे लगता है कि 2025 के चुनाव में तौसीफ आलम की कांग्रेस की उम्मीदवारी पर ग्रहण लग जा सकता है.उनके साथ स्थानीय स्तर पर राजनीति (Politics) यह भी हो रही है कि कांग्रेस में उन्हें साजिशन हाशिये की ओर धकेलने की कोशिश हो रही है.
सियासत में सनसनाहट
तौसीफ आलम का आरोप है कि ऐसा किशनगंज के सांसद डा. जावेद आजाद (Dr. Javed Azad) की शह पर हो रहा है. इस कथित साजिश का फलाफल क्या निकलता है यह वक्त के गर्भ में है. फिलहाल पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने भाषा के आधार पर ‘सुरजापुरांचल’ (Surjapuranchal) राज्य के गठन की मांग उठा इस अंचल की सियासत में सनसनाहट भर दी है. उनके मुताबिक चार जिलों का सीमांचल (Simanchal) राज्य नहीं, विकास को तेज गति देने के लिए सुरजापुरी (Surjapuri) भाषी जिलों किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया और सुपौल को मिलाकर ‘सूर्जापुरांचल’ राज्य के गठन की जरूरत है. तौसीफ आलम का कहना है कि सीमांचल में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा सिर्फ झूठ की खेती की जा रही है. झूठे नारों, झूठे वायदों से क्षेत्र की भोली भाली जनता को ठगा जा रहा है.
दे दिया दूसरा रंग
तौसीफ आलम कहते हैं कि नेताओं की इस झूठ की खेती के खिलाफ वह मुहिम चलायेंगे.अलग ‘सूरजापुरांचल’ राज्य के लिए संघर्ष करेंगे. गौर करने वाली बात है कि कभी पूर्व केन्द्रीय मंत्री तसलीम उद्दीन (Tasleem Uddin) किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों को मिलाकर अलग सीमांचल राज्य की मांग उठाते थे. उनके निधन के वर्षों बाद पूर्णिया (Purnia) के नवनिर्वाचित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Rajesh Ranjan alias Pappu Yadav) ने इस मांग को अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया है. लेकिन, इन सबसे इतर ‘सूरजापुरांचल’ राज्य की मांग उठा तौसीफ आलम ने इस मुद्दे को दूसरा रंग दे दिया है. ‘सूरजापुरांचल’ राज्य की आवश्यकता को उन्होंने इस रूप में प्रतिपादित किया है.
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समाधान सिर्फ यही है
भाषाई आधार पर अलग राज्य बन जाने से सुरजापुरी भाषी लोग ही मुख्यमंत्री (Chief Minister) होंगे. क्षेत्र की जनता के दुख दर्द को करीब से महसूस कर उसका निराकरण करेंगे. अभी जो स्थिति है उसमें इन जिलों में प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक पदस्थापित अधिसंख्य अधिकारी सुरजापुरी भाषी लोगों की जुबान को समझ नहीं पाते हैं. क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी जनता के दुख दर्द को सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के समक्ष ढंग से रख नहीं पाते हैं. ऐसे में इसका समाधान सिर्फ अलग ‘सूरजापुरांचल’ राज्य ही हो सकता है, और कुछ नहीं.
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