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हिमालय की गोद में : अरु घाटी और मकई की रोटी !

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सत्येन्द्र मिश्र
16 जुलाई 2024

Pahalgam : अनंतनाग (Anantnag) जिले का चंदनवाड़ी पवित्र अमरनाथ गुफा (Amaranath Gupha) के लिए पैदल यात्रा का प्रस्थान स्थल है. इस दृष्टि से श्रद्धालुओं में इसका काफी महत्व है, आस्था है. लेकिन, सिर्फ घूमने के ख्याल से तकरीबन 16 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर पहलगाम से चंदनवाड़ी (Chandanwadi) पहुंचने वाले पर्यटकों (Tourists) को प्रथम अनुभव में प्रायः निराशा मिलती है. पर, चीड़, देवदार, चिनार आदि के पेड़ों से भरे खूबसूरत जंगलों और हसीन वादियों से गुजरते हुए ऊंचे पहाड़ (Mountain) पर घुमावदार खड़ी चढ़ाई वाली लगभग 30-40 मिनट की रोमांचकारी यात्रा का जो आनंद मिलता है उसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता है.

खूब भाती है खूबसूरती

बात चंदनवाड़ी की तो यह सच है कि वहां अमरनाथ यात्रा  के दौरान भले आध्यात्मिक (Spiritual) चहल-पहल रहती है, सामान्य दिनों में दस-बीस दुकानों और ढाबों के अलावा कुछ भी नहीं रहता है. इसके बाद भी आम पर्यटकों में इसका आकर्षण है तो इस वजह से कि यह जंगलों के बीच में लिद्दर नदी के किनारे स्थित है. समीप में एक झरना है जहां मन लगाया जा सकता है. वैसे, साथ चलने वाली लिद्दर नदी तो है ही. पहलगाम से चंदनवाड़ी की यात्रा में अद्भुत हिमालयी दृश्यों व परिदृश्यों से परिपूर्ण प्राकृतिक खूबसूरती (Natural Beauty) लोगों को खूब भाती है, आकर्षित भी करती है. इतना कि घाटियों की यात्रा के खतरे का तनिक भी भय नहीं रह जाता है.

पहाड़ फिर मुस्कुरा रहे हैं

हां गौर करने वाली बात है कि छह-सात साल पहले तक धरती के इस स्वर्ग की खूबसूरती पर दहशतगर्दी का साया घिरा रहता था. सिहरते-सिसकते पहाड़ों पर मरघटी सन्नाटा पसरा रहता था. लेकिन, वक्त अब बदल गया है. दहशत का वह दौर करीब- करीब खत्म हो गया है. कश्मीर (Kashmir) की खूबसूरती फिर से खिल रही है. भयमुक्त पहाड़ मुस्कुरा रहे हैं, खिलखिला रहे हैं. पर्यटकों का अभिवादन कर रहे हैं. यहां यह जान लेने की भी जरूरत है कि सर्दियों के मौसम में चंदनवाड़ी पर्यटकों के लिए बंद रहता है. दिसंबर से फरवरी तक वहां भारी बर्फबारी होती है. पूरा इलाका बर्फ की मोटी- मोटी परतों से ढक जाता है.

बेताब घाटी का आनंद

पहलगाम और चंदनवाड़ी के बीच में है बेताब घाटी. इस घाटी का नाम पहले हगन घाटी और हगून था.1983 में हिन्दी फिल्म ‘बेताब’ (Betab) की शूटिंग वहां हुई. उसके बाद से लोग इसे बेताब घाटी (Betab Ghati) कहने लग गये. ‘बेताब’ सनी देओल (Sunny deol) और अमृता सिंह (Amrita Singh) की पहली फिल्म थी. खूब चली थी. यह घाटी अल्पाइन जंगलों से भरी हुई है. चीड़, देवदार, विलो, चिनार जैसे चित्ताकर्षक पेड़ और बर्फ से ढंके पहाड़ इसकी खासियत हैं. चंदनवाड़ी से थोड़ा पहले है अरु घाटी (Aru Ghati) . कहते हैं कि प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने इसी अरु घाटी में विश्रामगृह बनवाया था. वह अब भी अस्तित्व में है, पर होटल के रूप में.

अरु घाटी और मकई की रोटी !

इस घाटी में एक जगह कलकल करती अरु नदी की दो धाराएं आपस में मिलती हैं. फिर जल तरंगों से जो संगीत फूटते हैं उसे देख-सुन मन झूम उठता है. चंदनवाड़ी जाने-आने वाले पर्यटक आमतौर पर वहां रुक कर इसका आनंद अवश्य उठाते हैं. अरु नदी के बारे में बताया जाता है कि वह लिद्दर नदी (Lidder River) की उपशाखा है. वैसे, कौन लिद्दर है और कौन अरु, आम पर्यटकों के लिए पहचान पाना मुश्किल है. घाटी में अरु नदी के तट पर सड़क के किनारे झोपड़ीनुमा एक दुकान में मकई की रोटी (Corn bread) और मूली की चटनी (Radish chutney) मिलती है. दुकान एक बूढ़ी औरत चलाती है. मकई की रोटी का स्वाद जानने वाले उस झोपड़ी में जाते हैं और बड़े चाव से खाते हैं. उनके लिए यह वहां की सौगात के समान है.


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अमरनाथ गुफा से जुड़ा है

कश्मीर के पर्यटन स्थलों पर भेंड़ के मेमना के साथ तस्वीर खिंचवाने का प्रचलन आम है. विशेष कर दूसरे राज्यों से आये पर्यटकों में यह शौक अधिक दिखता है. ऐसा संभवतः इसलिए कि ऐसी तस्वीरें उनकी कश्मीर यात्रा का प्रमाण बन जाती हैं. यह तो है, पर अरु घाटी में लोग कबूतरों (Pigeons) के जोड़ा के साथ भी तस्वीर उतरवाते हैं. इसे देख हर दिमाग में सवाल उठ जाता है कि सर्व सुलभ कबूतरों को इतना महत्व क्यों? यह सिर्फ शौक है या इसके पीछे भी कोई धर्म आधारित धारणा है? जिज्ञासा शांत करने के क्रम में इसका प्रसंग भी अमरनाथ गुफा से जुड़ जाता है.

शुभ होता है इसका दर्शन

धर्मग्रंथों (Scriptures) में वर्णित है कि नंदी, चन्द्रमा, शेषनाग, गणेश आदि को रास्ते में छोड़ भगवान शिव गुप्त गुफा में अपने अमरत्व का रहस्य बता रहे थे तभी माता पार्वती को नींद आ गयी. परन्तु, गुफा में मौजूद कबूतरों का जोड़ा उस रहस्य को सुन रहा था और बीच-बीच में आवाज भी निकाल रहा था. इससे भगवान शिव को माता पार्वती के सो जाने का आभास नहीं हो पाया, उन्होंने संपूर्ण रहस्य (Complete Mystery) बता दिया. पार्वती तो नहीं सुन पायीं, कबूतरों के जोड़ा ने सुना और उसे अमरत्व प्राप्त हो गया. बहुत सारे लोगों को इस कथा पर विश्वास नहीं हो सकता है, परन्तु कोई न कोई ऐसी शक्ति तो है ही कि अमरनाथ गुफा में आक्सीजन (Oxygen) नहीं के बराबर रहने और दूर-दूर तक दाने का दरस नहीं होने के बाद भी वहां कबूतर गुटर गूं करते रहते हैं. यही वह सनातनी आधार है कि शिव और शक्ति के प्रतीक अमरनाथ धाम में कबूतरों के जोड़ा का दर्शन शुभ माना जाता है.

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