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जीतन सहनी प्रकरण : सच यही है!

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विकास कुमार

18 जुलाई 2024

Darbhanga : विकासशील इंसान पार्टी (Vikassheel Insaan Party) के अध्यक्ष पूर्व मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के पिता जीतन सहनी (Jeetan Sahani) की नृशंस हत्या के मामले का दरभंगा पुलिस (Darbhanga Police) ने उद्भेदन कर दिया है. पर, क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) तक की संवेदनाओं को झकझोर देने वाली इस नृशंसता का सच यही है? अनुसंधान में कहीं कोई घालमेल तो नहीं कर दिया गया है? दरभंगा से लेकर राजधानी पटना (Patna) तक यह सवाल तैर रहा है. जीतन सहनी की हत्या 15 -16 जुलाई 2024 की मध्य रात में हुई. आस-पड़ोस के लोगों को जानकारी 16 जुलाई 2024 को सुबह में मिली.

अकेले रहते थे मकान में

बिरौल (Biraul) नगर पंचायत के खेवा में है मुकेश सहनी का पैतृक घर. दरभंगा जिले के विरौल और घनश्यामपुर (Ghanshyampur) थाना क्षेत्रों की सीमा पर है यह गांव. जीतन सहनी इस घर में नहीं रहते थे. पुश्तैनी घर (Ancestral Home) से लगभग 150 मीटर दूर घनश्यामपुर थाना क्षेत्र के जिरात गांव में निर्माणाधीन दोमंजिला मकान में अकेले रहते थे. उस सुबह उसी मकान के एक कमरे में उनका क्षत-विक्षत शव मिला. गांव वालों के मुताबिक आतताइयों ने क्रूरता की हद पार कर धारदार हथियार से उनके शरीर पर इतने प्रहार किये जितना वे कर सकते थे. थक गये तब तड़पते छोड़ भाग निकले. नफरत इतनी कि हथियार घुसा कर पेट भी फाड़ दिया . आंत बाहर निकल आयी. हर अंग पर निर्मम प्रहार! ऐसा कि मानवता (Humanity) भी सिहर उठी.

सीसीटीवी फुटेज से खुला रहस्य

किस बहशी ने ऐसी जघन्यता की, खोज निकालने की जिम्मेवारी दरभंगा की ग्रामीण पुलिस अधीक्षक काम्या मिश्रा (Kamya Mishra) को सौंपी गयी. पुलिस का प्रारंभिक अनुसंधान चोरी के प्रतिरोध के क्रम में हत्या के शक से शुरू हुआ. परन्तु, वह इस तर्क पर टिक नहीं पाया कि जीतन सहनी के बिना दरवाजा वाले घर में ऐसा कोई कीमती सामान नहीं था जिसे उठा ले जाने के लिए उनकी हत्या कर दी जाती. अनुसंधान ठहर गया. यह सच है कि उनके घर में कीमती सामान नहीं थे, पर कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कागजात (Important Documents) थे जो हत्या का कारण बन गये. कागजात जमीन के थे. ब्याज पर दिये गये पैसों के एवज में बंधक रखे गये थे. जीतन सहनी के घर के सामने नुक्कड़ पर दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगालने पर यह रहस्य खुला और अनुसंधान की दिशा बदल गयी.

मकसद कागजात हासिल करना था

सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में उस रात साढे़ दस बजे के आसपास चार लोग जीतन सहनी के घर में घुसते और ग्यारह बजे के आसपास निकलते दिखे. वही फुटेज पुलिस के अनुसंधान (Research) का मुख्य आधार बन गया. काम्या मिश्रा के नेतृत्व वाली एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी (Jagunath Reddy Jalareddy) ने इस तथ्य को सार्वजनिक किया कि जीतन सहनी की हत्या घनश्यामपुर थाना क्षेत्र के सुपौल बाजार (Supaul Market) के अफजला टोला निवासी शफीक अंसारी (Shafiq Ansari) के पुत्र काजिम अंसारी (Kazim Ansari) ने की. मकसद सूदभरना से संबद्ध कागजात हासिल करना था.


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बात नहीं बनी तब हत्या

काजिम अंसारी ने जमीन बंधक रख जीतन सहनी से चार रुपये प्रति सैकड़ा मासिक ब्याज पर तीन किस्तों में डेढ़ लाख रुपये लिये थे. आर्थिक तंगी की वजह से वह कर्ज चुकता नहीं कर पा रहा था. पर, सूदमाफी के साथ जमीन के कागजात लौटने के लिए उन पर दबाव बना रहा था. जीतन सहनी बगैर रुपया लिये कागजात लौटाने को तैयार नहीं थे. इसी को लेकर झगड़ा हुआ. बात नहीं बनी तब काजिम अंसारी ने 15-16 जुलाई 2024 की रात डेढ़ बजे के आसपास तीन अन्य लोगों के साथ घर में घुस कर जीतन सहनी को मौत के घाट उतार दिया. हो सकता है दरभंगा पुलिस का ही उद्भेदन (Exposure) सच हो, पर कातिलों के बहशीपना को देखते हुए संदेह पैदा होना स्वाभाविक है कि वजह जो हो, पुलिस कुछ छिपा रही है.

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