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यह भी कोई मुलाकात हुई जिसकी कोई बात नहीं करे!

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राजनीतिक विश्लेषक

22 अगस्त 2021

 

पटना. आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यकर्ताओं के एक हिस्से की आशंका पर मुहर लगा ही दी कि वह केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के आरसीपी सिंह के निर्णय से नाराज हैं. कार्यकर्ताओं तक इसका संदेश पहुंच गया है. प्रतिफल आरसीपी सिंह की अगली यात्राओं में नजर आयेगा. जब जद(यू) के कार्यकर्ता कटेंगे. भाजपा के कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे. भीड़ फिर भी रहेगी. लेकिन, उसमें वे लोग नहीं रहेंगे, जो मान रहे थे कि मुख्यमंत्री के कहने पर ही आरसीपी सिंह भ्रमण कर रहे हैं. पार्टी को मजबूत कर रहे हैं. संदेश यह जाने लगा कि आरसीपी सिंह जद(यू) पर कब्जा जमाने के इरादे से अभियान चला रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कैसे दिया संदेश

शनिवार की शाम आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने एक अणे मार्ग पहुंचे. दिल्ली से पटना आगमन के छठे दिन वह मुलाकात करने पहुंचे थे. इसलिए कि रविवार को मुख्यमंत्री का दिल्ली जाने का कार्यक्रम पहले से तय था. सोमवार तक नीतीश कुमार दिल्ली में ही रहेंगे. अगर शनिवार को मुलाकात नहीं होती तो मामला अगले दो-तीन दिनों तक टल सकता था. इधर कार्यकर्ता इस रहस्य को जानने को व्याकुल हो रहे थे कि आरसीपी सिंह क्यों नहीं अबतक मुख्यमंत्री से मिल पाये हैं.इस मुलाकात को लेकर कौन अनिच्छुक हैं? मुख्यमंत्री या आरसीपी सिंह? एक तरह से कार्यकर्ताओं के दबाव में आरसीपी सिंह एक अणे मार्ग पहुंचे. लेकिन, घोर आश्चर्य का विषय यह है कि इस मुलाकात का जिक्र किसी ने नहीं किया. आम तौर पर कोई केंद्रीय मंत्री या वीआईपी की मुख्यमंत्री से मुलाकात होती है तो उसका विवरण मीडिया को दिया जाता है. ताजा उदाहरण जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से मुलाकात का है. इस मुलाकात की तस्वीर मुख्यमंत्री आवास से जारी की गयी थी. आरसीपी सिंह के मामले में इस परम्परा को जारी नहीं रखा गया. साफ है कि बिना मुख्यमंत्री की सहमति के यह संभव नहीं हुआ होगा. कार्यकर्ता व्याख्या कर सकते हैं कि ऐसा क्यों हुआ. यह तो जद(यू) के नेता-कार्यकर्ता अच्छी तरह जानते ही हैं कि नीतीश कुमार कम बोलते हैं. ज्यादा संदेश संकेतों-प्रतीकों के माध्यम से देते हैं.

आरसीपी सिंह ने भी नहीं की चर्चा

घोर आश्चर्य का विषय यह है कि आरसीपी सिंह ने भी इस मुलाकात की कहीं चर्चा नहीं की. रविवार को उनके फेसबुुक पर कई पोस्ट किये गये. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह को देखने सगुना मोड़ के निजी अस्पताल में गये. उससे पहले पेड़ों को राखी बांधी. इससे इतर कई जानकारी इनके फेसबुक पर है. 23 अगस्त के भ्रमण कार्यक्रम का विवरण है. लेकिन, केंद्र में मंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री से पहली मुलाकात का कोई विवरण नहीं होना संदेह पैदा करता है कि बातचीत आकर्षक, सुखदायी और उत्साहजनक नहीं रही. लगता है कि मुख्यमंत्री ने सुनने से अधिक सुना दिया.

कार्यकर्ता नहीं मान रहे हैं तर्क

आरसीपी सिंह अपनी यात्रा में यह कहना एकदम से नहीं भूलते कि मुख्यमंत्री की मर्जी से ही केंद्र में मंत्री बने. क्योंकि 23 साल के साथ में उन्होंने मुख्यमंत्री से बिना पूछे कोई काम नहीं किया. समझदार कार्यकर्ता इन 23 वर्षों के साथ की व्याख्या कर रहे हैं. इनमें से 22 साल वह नीतीश कुमार के मातहत रहे. आप्त सचिव, ओएसडी और प्रधान सचिव की यह हैसियत नहीं होती कि बॉस की मर्जी के बिना कोई काम कर ले. राज्यसभा सदस्य और संगठन के महासचिव के पद पर भी उनकी यह हैसियत नहीं बन पायी कि नीतीश कुमार की इजाजत के बिना कोई फैसला कर लें. राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का एक फैसला किया. अब उसमें नीतीश कुमार की इजाजत ली गयी या नहीं, इसका रहस्योद्घाटन खुद मुख्यमंत्री ही कभी करेंगे. वैसे, मुख्यमंत्री बार-बार यही कहते रहे हैं कि संगठन के अध्यक्ष के नाते आरसीपी सिंह उस समय स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए अधिकृत थे.

 

 

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