तब भी रगड़नी होगी नाक जीत के लिए
कृष्णमोहन सिंह
24 अगस्त 2021
लखीसराय. लखीसराय जिला परिषद का निर्वाचन क्षेत्र संख्या दो चुनाव की दृष्टि से कुछ अधिक महत्व रखता है. इसलिए कि जिला परिषद के विस्तारित अध्यक्ष रामशंकर शर्मा उर्फ़ नुनू बाबू इसी क्षेत्र से किस्मत आजमाते हैं. इस बार भी आजमायेंगे. बाढ़ पीड़ितों के बीच उनकी गहन सक्रियता इसकी तसदीक़ करती है. इस निर्वाचन क्षेत्र में पिपरिया प्रखंड का संपूर्ण दियारा आता है. मैदान में वैसे तो कई उम्मीदवार होते थे, पर पिछले चुनावों में मुख्य मुकाबला रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू और बाहुबली पूर्व जिला पार्षद ब्रजनंदन शर्मा उर्फ डिल्लन सिंह में हुआ था. जीत-हार का स्वाद दोनों चख चुके हैं.
हत्या के एक मामले में डिल्लन सिंह के जेल में रहने के कारण इस बार शायद वैसा मुकाबला नहीं हो. लेकिन, उनके वैध-अवैध संसाधनों का इस्तेमाल रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के खिलाफ होने की संभावना को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. वैसे, जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के हस्तक्षेप से संघर्ष का स्वरूप बदल जाये तो वह अलग बात होगी. जानकारों के मुताबिक दोनों उनके ही शागिर्द हैं. क्षेत्र में ढहते जन समर्थन से चिंतित ललन सिंह टकराव टालने के लिए उनमें आपसी समन्वय स्थापित कराने का प्रयास कर सकते हैं. परन्तु, स्थानीय कारणों से इस प्रयास की सफलता संदिग्ध है. जो हो, वर्तमान क्षेत्रीय राजनीतिक हालात में रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर बने रहना ललन सिंह के लिए आवश्यक माना जाता है. इसके लिए वह पूरा जोर लगा सकते हैं. हालांकि, एक चर्चा यह भी है कि सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में जद(यू) की नाकामयाबी के बाद से नुनू बाबू के प्रति ललन सिंह की नजर कुछ टेढ़ी हो गयी है. सच क्या है यह नहीं कहा जा सकता. लेकिन, इस सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि अभी की स्थिति में लखीसराय जिले में रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के अलावा ललन सिंह का अपना कहने-कहलाने वाला शायद कोई नहीं है.
ब्रजनंदन शर्मा उर्फ डिल्लन सिंह पर अपने ही गांव वलीपुर के दबंग प्रतिद्वंद्वी अरुण सिंह की हत्या का आरोप है, लखीसराय में जमीन की खरीद-बिक्री का धंधा करने वाले अरुण सिंह विद्यापीठ चैक के समीप रेहुआ रोड के मेघराय नगर में रहते थे. 11 मार्च 2020 को आवासीय परिसर में घुस कर उनकी हत्या कर दी गयी. हत्यारोपितों में शामिल डिल्लन सिंह फिलहाल मुंगेर जेल में हैं. क्षेत्र में जो चर्चाएं जगह बनाये हुए है उसके मुताबिक ललन सिंह का सुलह का प्रयास सफल नहीं हुआ तब डिल्लन सिंह के आंतरिक संसाधनों का इस्तेमाल रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के खिलाफ मैदान में उतरने वाले पिपरिया प्रखंड के पूर्व प्रमुख रविरंजन कुमार उर्फ टनटन के पक्ष में हो सकता है. इस निर्वाचन क्षेत्र के तहत चार पंचायतें हैं. पिपरिया, वलीपुर, रामचंद्रपुर और मोहनपुर. इनमें वलीपुर, रामचंद्रपुर और मोहनपुर पंचायतें ही मुख्य रूप से उम्मीदवारों की तकदीर गढ़ते हैं. रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू मोहनपुर के हैं. रामचंद्रपुर पंचायत की आबादी बहुत बड़ी है. लोग कहते हैं कि मुख्यतः इसी पंचायत के मतदाताओं के समर्थन से रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू विजय पताका लहराते रहे हैं. इस बार ‘संजीवनीदायनी’ रामचंद्रपुर पंचायत का समीकरण बहुत कुछ बदल गया है. इसी गांव के पूर्व प्रखंड प्रमुख रविरंजन कुमार उर्फ टनटन उनके लिए बड़ी चुनौती बनते दिख रहे हैं. वलीपुर के बाहुबली ब्रजनंदन शर्मा उर्फ डिल्लन सिंह के प्रत्यक्ष रूप से मुकाबले में नहीं रहने की स्थिति में भी इस पंचायत का साथ रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू को शायद ही मिल पायेगा.
कारण यह भी कि उसी पंचायत के रामविलास सिंह ने चुनाव में उतरने की मुकम्मल तैयारी कर रखी है. वह पिपरिया की प्रखंड प्रमुख लुसी देवी के पति हैं. ये तीनों पंचायतें सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के तहत हैं. वहां के परिणाम को प्रभावित करने की हैसियत रखती हैं, यह 2020 के चुनाव में भी साबित हुआ. विश्लेषकों की समझ है कि लोजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद सिंह अशोक की सुनिश्चित जीत को इन्हीं पंचायतों ने अवरुद्ध कर दिया. संभवतः ललन सिंह के दबाव में वैसा हुआ. रामविलास सिंह ही ऐसे शख्स थे जो किसी भी रूप में प्रभावित नहीं हुए. रविशंकर प्रसाद सिंह अशोक के लिए अंतिम क्षण तक पूरी मुस्तैदी से डटे रहे. पश्चाताप कर रहे मतदाताओं के समर्थन के रूप में इसका प्रतिदान उन्हें इस चुनाव में मिल जाय तो वह कोई चैंकने-चैंकाने वाली बात नहीं होगी. वैसे, वलीपुर के संपन्न परिवार के गणेश सिंह, शांति निकेतन में भूगर्भ शास्त्र के प्राध्यापक प्रो. अनिल कुमार उर्फ पप्पू जी प्राणप्रण से रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के लिए जोर लगा सकते हैं. इन सबके बावजूद नुनू बाबू का भविष्य रामचंद्रपुर के मतदाताओं के रूख पर निर्भर करता है. चुनाव मैदान में पिपरिया पंचायत के शंकर यादव भी उम्मीदवार होते हैं, इस बार भी होंगे. वह कुख्यात सरगना हरेराम यादव के पुत्र हैं. हरेराम यादव सूर्यगढ़ा के राजद विधायक प्रहलाद यादव और उनके बाहुबली भाई जीवन यादव के चचेरे भाई हैं. शंकर यादव के प्रति आम धारणा कुछ अलग किस्म की है.