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रीगा चीनी मिल की कब्र खोद रहा गन्ना विकास विभाग!

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विशेष प्रतिनिधि
29 अगस्त, 2021

पटना. उद्योगों के कब्रगाह की बदनामी ओढ़ रखे बिहार में एक और औद्योगिक इकाई की कब्र खोदने की तैयारी चल रही है. किसी और की ओर से नहीं, उछल रहे आरोपों के मुताबिक राज्य सरकार का गन्ना विकास विभाग खुद इसकी पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है.

यह बात अटपटी लग सकती है, बाहियात भी. भला जो राज्य वर्तमान में औद्योगिक निवेश के लिए पलक पांवड़े बिछा रखा है, इच्छुक उद्यमियों के स्वागत में माला लिये खड़ा है , वह वर्षों से स्थापित-संचालित औद्योगिक इकाई की कब्र खोदने की तैयारी क्यों और कैसे कर सकता है! इसके मद्देनज़र जन सामान्य को चकित करने वाली यह बात सहजता से गले नहीं उतरती है. पर, गले उतरे या नहीं, अंतिम सांसें गिन रही संबद्ध औद्योगिक इकाई के प्रबंधन का ऐसा ही कुछ रोना है.

मामला रीगा चीनी मिल का है. भारत की सबसे पुरानी चीनी मिलों में शामिल उस रीगा चीनी मिल का जिसका स्वर्णिम इतिहास रहा है. इसकी स्थापना अंग्रेजी शासन में 1933 में हुई थी. 1950 से सीतामढ़ी की यह धरोहर धानुका समूह के स्वामित्व में है. वर्तमान में ओमप्रकाश धानुका रीगा सुगर कंपनी लि. के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक हैं. चार-पांच साल पहले तक यह मिल इलाकाई खुशहाली की वाहक थी.

कारण जो रहा हो, बाद के दिनों में उसकी चिमनियों से दुर्दिन का धुआं फैलने लगा. तमाम तरह की आशंकाएं गहराने लगीं. क्या होगा भविष्य, प्रबंधन को इसकी कोई चिंता नहीं है. कुछ है भी तो बड़ी होशियारी से उसने उसे सरकार के सिर पर डाल दिया है. बेफिक्री भरी उसकी इस कुटिल चाल से चिंतित गन्ना किसान बेहाल हैं. गन्ना विकास विभाग को भी मिल प्रबंधन की तरह किसानों के हित-अहित से ज्यादा मतलब नहीं है.

गन्ना विकास मंत्री प्रमोद कुमार और विभागीय अधिकारी, खासकर संयुक्त गन्ना आयुक्त जयप्रकाश सिंह की बातें किसान और मजदूर पक्षीय अवश्य होती हैं, पर व्यावहारिकता से उसका उतना जुड़ाव नहीं रहता है. तकरीबन दो वर्षों से धुक-धुक कर रही चीनी मिल में नयी जान डालने की उनकी कोई कारगर कोशिश नहीं होती. किसानों एवं मजदूरों के बकाये के भुगतान के लिए चीनी मिल को नीलाम कर देने, मिल मालिक को जेल भिजवा देने की ही बात करते रहते हैं. मिल चालू कैसे होगी, गन्ना उत्पादक किसान दुश्चचिंताओं से कैसे उबरेंगे, मजदूरों का रोजगार कैसे बचा रहेगा, इस बाबत न कभी कोई बात करते हैं और न सकारात्मक पहल. उनका यही रवैया रीगा चीनी मिल की कब्र खोदने की तैयारी संबंधित जन धारणा को मजबूत बनाता है.

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