तो यह राज है पहली बार नाव पर चढ़ बाढ़ देखने का!
विशेष संवाददाता
01 सितम्बर, 2021
PATNA. हो सकता है पहले भी कभी उन्होंने ऐसा किया हो, लेकिन पत्रकारिता की अब तक याद में यह उनकी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में पहली ‘नाव यात्रा’ थी.
इससे पहले आमतौर पर हवाई सर्वेक्षण ही करते थे. यहां तक कि तकरीबन दो साल पूर्व गया जिले में प्रचंड लू से हुई कई लोगों की मौत के बाद ‘लू की लहर’ देखने भी वह हवाई जहाज से ही गये थे! देखे क्या होंगे, यह बताने की जरूरत नहीं.
साथ में थे जल संसाधन मंत्री
बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM NITISH KUMAR) की है. मंगलवार को वह जल संसाधन मंत्री संजय झा एवं विभागीय अधिकारियों के साथ दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान के बाढ़ प्रभावित इलाकों का मौका मुआयना करने गये थे. उसी क्रम में उन्होंने नाव की सवारी की और बाढ़ग्रस्त इलाकों में भ्रमण किया.
जानकारों के मुताबिक आज तक वह इस मकसद से कभी नाव पर नहीं चढ़े थे. दस-पन्द्रह दिन पहले ही उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ ने कहर ढाया था. उन क्षेत्रों का उन्होंने हवाई सर्वेक्षण किया. कहीं नाव की सवारी नहीं की.
कुशेश्वर स्थान में ही क्यों?
आखिर, कुशेश्वर स्थान में ही नाव पर चढ़ने की आवश्यकता या विवशता क्यों पैदा हो गयी? कहीं केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह के बेगूसराय के कथित हालिया ‘नौका विहार’ का जवाब देने के लिए तो ऐसा नहीं किया? नहीं, कारण यह नहीं था.
भाजपा का ‘भितरघाती रुख’
दरअसल, जदयू (JDU) के विधायक शशिभूषण हजारी का असामयिक निधन हो जाने के कारण कुशेश्वर स्थान में विधानसभा का उपचुनाव होना है. सहयोगी दल भाजपा के ‘भितरघाती रुख’ और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के आक्रामक तेवर ने कुशेश्वर स्थान के उपचुनाव की बाबत उन्हें चिंता में डाल रखा है.
यह उपचुनाव जदयू (JDU)की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ माना जा रहा है. ऐसे में जीत हासिल करने के लिए तो कुछ न कुछ ‘अतिरिक्त’ करना ही होगा. नीतीश कुमार ने वैसा किया.