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भाजपा के दो विधायकों को विवाद में उलझाया संस्कृत विश्वविद्यालय ने

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विजयशंकर पांडेय
14 सितम्बर, 2021

Darbhanga. ऐसा सुनियोजित ढंग से हुआ या अनजाने में, यह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय (Kameshwar Singh Darbhanga Sanskrit University) का कोई सक्षम पदाधिकारी ही बता सकता है. पर, सामान्य समझ में यह गलत हुआ है और विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी दबाव में ही ऐसा किया है. दबाव किसका पड़ा, यह कहना कठिन है.

जैसे भी हुआ, यह भाजपा के दो विधायकों के बीच विवाद का एक बड़ा कारण बन गया है. मुद्दा उपशास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, पिण्डारुच के शासी निकाय का जनप्रतिनिधि सदस्य बनने-बनाने से जुड़ा है. इससे संबंधित जो नियम है उसमें क्षेत्रीय सांसद (MP) या विधायक (MLA) को सदस्य के रूप में नामित करने का प्रावधान है . आमतौर पर वही सदस्य शासी निकाय का अध्यक्ष बन जाता है.

कुलपति को है अधिकार
सदस्य नामित करने का अधिकार विश्वविद्यालय के कुलपति को है. उपशास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, पिणडारुच दरभंगा जिले के केवटी विधानसभा क्षेत्र के तहत है. केवटी से डा. मुरारी मोहन झा (Dr. Murari Mohan Jha) भाजपा के विधायक हैं.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने उक्त महाविद्यालय के शासी निकाय का जनप्रतिनिधि सदस्य उन्हें नहीं मनोनीत कर दरभंगा के भाजपा विधायक संजय सरावगी (Sanjay Sarawagi) को यह अवसर उपलब्ध करा दिया है. उसके इस निर्णय से विधायक डा. मुरारी मोहन झा खासे नाराज हैं. कुलपति को पत्र लिखकर उन्होंने इस पर गहरी आपत्ति जतायी है.

अवैध बताया शासी निकाय को
विधायक संजय सरावगी के जनप्रतिनिधि सदस्य वाले शासी निकाय को अवैध बताते हुए उन्होंने इसके द्वारा लिये जाने वाले निर्णयों के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन को आगाह भी कर दिया है.

पत्र में कहा गया है कि शासी निकाय की वैधता के लिए संजय सरावगी के मनोनयन को रद्द कर सदस्य जनप्रतिनिधि के तौर पर उन्हें ( डा. मुरारी मोहन झा ) को मनोनीत किया जाये. डा. मुरारी मोहन झा ने कुलपति को इस आशय का पत्र 10 अगस्त 2021 को लिखा था. माह भर से अधिक बीत जाने के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, ऐसा डा. मुरारी मोहन झा का कहना है.

इसलिए तूल पकड़े हुए है मामला
जानकारों के मुताबिक यह मामला इसलिए कुछ अधिक तूल पकड़े हुए है कि अन्य कुछ महाविद्यालयों की तरह उपशास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, पिण्डारुच में भी नयी नियुक्तियां होने वाली हैं.

ऐसे महाविद्यालयों की नियुक्तियों में क्या सब हुआ करता है, यह बताने की शायद जरूरत नहीं. फिलहाल उपशास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, पिण्डारुच के शासी निकाय के अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी विधायक संजय सरावगी और सचिव की ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलानुशासक डा. अजीत चौधरी (Ajeet Chaudhary) संभाल रहे हैं. डा. अजीत चौधरी कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सिंडिकेट के सदस्य हैं.

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