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इस गुफा से आती हैं रहस्यमयी आवाजें

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तापमान लाइव ब्यूरो
30 मई 2013

PATNA : उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले के गंगोली-हाट कस्बे में है पाताल भुवनेश्वर गुफा (Patal Bhuvaneshvar Gupha). किवंदती है कि इस गुफा से रहस्यमयी आवाजें आती हैं. वैसे, गुफा में चार खंभे हैं जिन्हें अलग-अलग सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग (Kaliyug) का खंभा कहा जाता है. इनमें पहले तीन खंभों के आकार में सालों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. जबकि कलियुग के खंभे के बारे में कहा जाता है कि सात करोड़ सालों में यह पिंड एक इंच बढ़ा है. इन खंभों के बाद गुफा में वह स्थान है जहां भगवान शिव (Lord Shiva) ने गणेश जी (Lord Ganesha) का सिर काट कर रखा था.

बिना सिर की प्रतिमा
ऐसी मान्यता है कि दुनिया में यह अकेला स्थान है जहां गणेश जी की बिना सिर की प्रतिमा है. गणेश जी की प्रतिमा के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्म कमल है जहां से पानी की बूदें टपकती है. गुफा के चट्टान में नाग (Naag) की आकृति भी नजर आती है. कहा जाता है कि राजा परीक्षित को मिले श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए उनके पुत्र जन्मेजय ने इसी कुंड में सभी नागों को जला डाला था. लेकिन, तक्षक नाग बच निकला जिसने बदला लेते हुए परीक्षित को डस लिया था जिससे उनकी मृत्यु हुई थी.


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आदि शंकराचार्य की खोज
गुफा के कुछ चट्टानों पर ऐरावत हाथी के तराशे हुए पैर नजर आते हैं. जानकारों के मुताबिक स्कंद पुराण के मानस खंड में भी इसका वर्णन है. गुफा के अंदर दीवारों पर विभिन्न आकृतियां नजर आती हैं. कहा जाता है कि पांडवों (Pandavas) ने इस गुफा के पास तपस्या की थी. बाद में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने इस गुफा की खोज की. गुफा में आगे भगवान केदारनाथ नजर आते हैं. उनके बगल में ही बद्रीनाथ विराजमान हैं. ठीक सामने बद्री पंचायत बैठी है. बद्री पंचायत के ऊपर की ओर बाबा अमरनाथ (Baba Amarnath) की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं.

पूरी होती है मनोकामना
गुफा में ही काल भैरव (Kaal Bhairav) की जीभ के दर्शन होते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी मनुष्य काल भैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाता है उसे मोक्ष (Moksh) की प्राप्ति हो जाती है. पास में ब्रह्मा-विष्णु-महेश तथा महेश्वर की प्रतिमाएं हैं. गुफा के अंदर छत से गाय की एक थन की आकृति नजर आती है. इसे कामधेनु (Kamdhenu) गाय का स्तन कहा जाता है. मान्यता है कि इसके बीच बने छेद से धातु की कोई चीज पार करने पर मनोकामना पूरी होती है.

(यह आस्था और विश्वास की बात है. मानना और न मानना आप पर निर्भर है.)

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