देवघर : अनेक दुुकानों के एक ही नाम का है यह रहस्य
देवव्रत राय
04 अगस्त 2023
Deoghar: घोरमारा (Ghormara) को पेड़ा से बड़ी पहचान दिलाने वाले सुखाड़ी मंडल चार भाई थे. पेड़ा की उनकी दुकान चल गयी तो शेष तीनों भाइयों ने भी उसी व्यवसाय को अपना लिया. घोरमारा में करमन पेड़ा, सुन्दर पेड़ा, शिव पेड़ा और सुखाड़ी मंडल (Sukhari Mandal) पेड़ा के नाम से चारो भाइयों की अलग-अलग दुकानें हैं. सुखाड़ी मंडल के भी चार पुत्र थे. जलधर मंडल, भवेन्द्र मंडल, बलराम मंडल और रोहित मंडल. भवेन्द्र मंडल स्वर्गीय हो चुके हैं. इन सब ने भी इस पुश्तैनी व्यवसाय से खुद को जोड़ लिया है. तीन भाइयों ने सुखाड़ी मंडल पेड़ा भंडार के नाम से अलग-अलग दुकान खोल रखी है. एक भाई को जमीन का जुगाड़ नहीं हो पाया. परिणामतः व्यवसाय में वह पिछड़ गये हैं.
मूल दुकान की हिस्सेदारी
2003 में सुखाड़ी मंडल का निधन हो गया. उसके बाद उनकी मूल दुकान को सभी भाई तीन-तीन माह के हिसाब से बारी-बारी से चलाते हैं. इस दुकान में अब भी खरीदारों की कतार लगी रहती है. एक अनुमान के अनुसार इसका सालाना कारोबार तीन करोड़ से अधिक का है. छोटे भाई रोहित मंडल का जुड़ाव राजनीति से है.इस कारण उनके व्यवसाय का आकार- प्रकार अन्य की तुलना में बहुत बड़ा है. पहले वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की राजनीति करते थे. जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवारी की चाहत रखते थे. मंशा फलीभूत नहीं हुई तो भाजपा (BJP) से जुड़ गये. पिछली बार जरमुंडी से भाजपा की उम्मीदवारी मिलने की संभावना बन गयी थी. अंतिम क्षण में पूर्व विधायक देवेन्द्र कुंवर (Devendra Kunwar) को अवसर उपलब्ध हो गया. लेकिन, वह जीत नहीं पाये.
बना रखा है ‘पेड़ा मॉल’
भवेन्द्र मंडल (Bhavendra Mandal) की पत्नी रेखा कुमारी (Rekha Kumari) गृह पंचायत बांक की मुखिया हैं, जो रोहित मंडल की भाभी हैं. उन्होंने पेड़ा (Peda) के कारोबार से इतर के व्यवसाय में भी अपना पांव फैलाया है. घोरमारा में उन्होंने 450 कट्ठा (साढ़े बाईस बीघा) का एक बड़ा भूखंड लीज पर ले रखा है. वहां ‘पेड़ा मॉल’ बनाया है. उसी परिसर में आवासीय होटल और रेस्टूरेंट भी है. सुखाड़ी मंडल नेशनल स्कूल के नाम से वहीं आधुनिकतम आवासीय विद्यालय भी है.हाल की बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) – बासुकीनाथ धाम (Basukinath Dham) की यात्रा के क्रम में रोहित मंडल से उनके ‘पेड़ा मॉल’ में मुलाकात हुई. उन्होंने ही उक्त जानकारी उपलब्ध करायी.
तब विस्तार मिलेगा
पेड़ा व्यवसाय के फैलाव और उसके समक्ष संकट के बारे में भी रोहित मंडल (Rohit Mandal) ने बताया. उनका कहना रहा कि सरकार उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मथुरा की तरह देवघर में भी पेड़ा को आधिकारिक प्रसाद घोषित कर दे तो जीएसटी के दायरे से यह मुक्त हो जायेगा. इससे व्यवसाय को और अधिक विस्तार मिलेगा. कीमत कम हो जाने से उपभोक्ताओं को भी आफियत होगी. यहां गौर करने वाली बात है कि इस व्यवसाय को सुकून पहुंचाने के लिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने 2015 में घोरमारा का पेड़ा थोक में खरीद कर प्रसाद के तौर पर बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने और पर्यटन सूचना केन्द्र एवं अन्य सुविधा केन्द्रों के जरिये उचित मूल्य पर श्रद्धालुओं को बेचने की योजना बनायी थी. संचिकाओं में ही उसका दम निकल गया.
‘बाबाजी मैं हूं’
घोरमारा की ‘पेड़ा नगरी’ की एक दुकान के अंदर साधुनुमा एक व्यक्ति की बड़ी तस्वीर के ऊपर मोटे अक्षरों में लिखा है ‘बाबाजी मैं हूं’. वह बाबाजी पेड़ा दुकान है. घोरमारा के ही सुरेश प्रसाद मंडल (Suresh Prasad Mandal) ने यह दुकान खोली थी. सुखाड़ी मंडल के बाद वहां यह दूसरी दुकान खुली थी. स्थानीय लोगों ने बताया कि सुरेश प्रसाद मंडल की छवि समाज में अपचनीय थी इसलिए उन्होंने साधु का वेष धारण कर लिया था और लोग उन्हें बाबाजी कहने लग गये थे. ‘बाबाजी’ नाम का असर कहें या शुद्धता पर अखंड विश्वास, यह दुकान भी खूब चलती थी. शुरुआती दौर में चाय के अलावा दही-चूड़ा और खोआ-पेड़ा बिकते थे. बड़े चाव से लोग खरीदते-खाते थे.
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इस रूप में बंटी है विरासत
बाबाजी अब परलोक में हैं. दुकान उनके दो पुत्र – मुरली मंडल और जनार्दन मंडल चलाते हैं. दोनों भाइयों में बंटवारा इस रूप में हुआ है कि एक साल एक भाई चलाते हैं, तो दूसरे साल दूसरे भाई. घोरमारा और देवघर में प्रसिद्धि प्राप्त पेड़ा दुकानों की विरासत आमतौर पर इसी रूप में बंटी है. बाबाजी की पेड़ा दुकान के थोड़ा बगल में भोला पेड़ा भंडार है. इसकी मिल्कियत भोलानाथ मंडल की है. वह व्यवसाय के साथ सूरी समाज की राजनीति में भी रुचि रखते हैं. पंचानन मंडल का सुप्रिया पेड़ा भंडार, प्रणय मंडल का उमा पेड़ा भंडार, सदानंद मंडल का मारवाड़ी पेड़ा भंडार, सुभाष मंडल का मां तारा पेड़ा भंडार आदि अनेक दुकानें हैं घोरमारा में.
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