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नहीं टपकेंगी इस बार शरद पूर्णिमा पर अमृत की बूदें!

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तापमान लाइव ब्यूरो
14 अक्तूबर 2023

Patna : सनातन धर्मावलंबियों में शरद पूर्णिमा का भी खास महत्व है. आश्विन मास के पूर्णिमा (Full Moon) को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) के मैथिल ब्राह्मणों एवं कर्ण कायस्थों में उस दिन कोजगरा का उत्सव मनाया जाता है. इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है कि उस दिन चंद्रमा और निशिता काल में मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की शीतल किरणों से अमृत की बूंदें झड़ती हैं. जिन लोगों को इस मान्यता में विश्वास है वे उस रात खीर बना खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रख देते हैं. दूसरे दिन उस अमृतमयी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

अंतिम चन्द्रग्रहण
आश्विन की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मुख्यतः इस वजह से कहा जाता है कि शरद ऋतु यानी ठंड के मौसम की शुरुआत उसी दिन से होती है. जिन लोगों को इसमें आस्था है उनके लिए अच्छी खबर नहीं है. यह कि इस साल यानी 28 अक्तूबर 2023 को शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत की बूंदें नहीं टपक पायेंगी. इस कारण कि उस दिन इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण लग रहा है. यह चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse) इसलिए भी खास है कि 2023 के 4 ग्रहणों में से एकमात्र ऐसा ग्रहण है जो भारत (India) में दिखाई देगा.


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सूतक काल भी होगा
इस दृष्टि से इसका सूतक काल भी मान्य होगा. सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ एवं अन्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं. चंद्रग्रहण की अवधि में चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को हानिकारक और नकारात्मक (Negative) माना जाता है. चंद्र ग्रहण के चलते इस साल शरद पूर्णिमा के पूजा-अनुष्ठान दिन में ही किये जायेंगे. ग्रहण काल में चंद्रमा की रोशनी में खीर नहीं रखी जायेगी. धर्मशास्त्रियों के मुताबिक नौ साल बाद ऐसा संयोग बना है जब शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण पड़ रहा है.

नहीं बनेगी खीर
चंद्रग्रहण 28 और 29 अक्तूबर की मध्यरात्रि (Midnight) में पड़ेगा, लेकिन भारत में इसके दृश्यमान होने के कारण इसका सूतक दोपहर बाद से ही प्रारंभ हो जायेगा. दोपहर के बाद से ही मंदिरों के कपाट बंद हो जायेंगे. इस वजह से शरद पूर्णिमा पर बनने वाली खीर भी मध्यरात्रि में नहीं बनेगी. चंद्रग्रहण का स्पर्श 28-29 अक्तूबर की मध्य रात्रि 1.05 बजे, ग्रहण प्रारंभ मध्य रात्रि 1.44 बजे और ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2.24 बजे होगा. वहीं चंद्र ग्रहण का सूतक दिन में दोपहर 4.05 बजे से शुरू हो जायेगा, जो ग्रहण के मोक्ष (Salvation) यानी समाप्त होने तक रहेगा.

(यह आस्था और विश्वास की बात है. मानना और न मानना आप पर निर्भर है.)
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