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सीवान : क्यों गायब रहे उस आयोजन से ओसामा शहाब?

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वंदना मिश्रा
02 मई, 2023

SIWAN : पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की दूसरी पुण्य तिथि पर सीवान में सोमवार को ‘श्रद्धांजलि सभा’ आयोजित हुई. ‘अपनों’ के इस समारोह का स्वरूप दलीय नहीं, लगभग सर्वदलीय था. स्थानीय उन तमाम नेताओं की मौजूदगी रही जिनकी राजनीति (Politics) को चमक इसी शहाबुद्दीन परिवार (Shahabuddin Family) से मिलती रही है. एक-दो बाहर के भी नेता थे. समारोह में कुछ चौंकने-चौंकाने वाले नजारे दिखे. एकाध ऐसे चेहरे चहक रहे थे जिन्होंने शहाबुद्दीन के जीवन काल में उनसे ‘जानी दुश्मनी’ ठान रखी थी. वैसे, जो भी शामिल हुए सभी जोश से भरे थे. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जिस मकसद से आयोजन को व्यापकता व भव्यता दी गयी थी, वह करीब-करीब पूरा हो गया. उद्देश्य शक्ति प्रदर्शन का था.

अवध बिहारी चौधरी भी नहीं दिखे
राजद नेतृत्व को हीना शहाब (Heena Shahab) की अहमियत और दूसरे दलों को उनकी राजनीतिक ताकत का अहसास कराना था. समर्थकों-प्रशंसकों और स्थानीय नेताओं के भारी जुटान से वैसा हुआ. लेकिन, इन सबके बीच चकित करने वाली बात यह रही कि शहाबुद्दीन परिवार के सबसे बड़े हमदर्द समझे जाने वाले बिहार विधानसभा (Bihar Vidhan Sabha) के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी (Awadh Bihari Choudhary) तो कहीं नजर नहीं ही आये, दिवंगत शहाबुद्दीन के एकलौते पुत्र ओसामा शहाब (Osama Shahab) भी परिदृश्य से ओझल रहे. हजारों आंखें उन्हें तलाशती रहीं. पर, उनकी कहीं कोई झलक नहीं दिखी. अवध बिहारी चौधरी की गैर मौजूदगी का राजनीतिक कारण हो सकता है. ओसामा शहाब अपने पिता की श्रद्धांजलि सभा से क्यों गायब रहे? यह सीवान शहर (Siwan Town) में चर्चा का विषय बना हुआ है.

शहाबुद्दीन की पुण्य तिथि पर सीवान में श्रद्धांजलि सभा.

इनकी रही मौजूदगी
श्रद्धांजलि सभा में राजद (RJD) के कई नेता शामिल हुए. परन्तु, पार्टी ने शहाबुद्दीन की पुण्य तिथि (Death Anniversary) पर अपनी ओर से कोई आयोजन नहीं किया. प्रथम पुण्य तिथि पर भी नहीं किया था. पटना (Patna) के राजद कार्यालय में कोई उनका नाम तक नहीं लिया. तस्वीर (Picture) पर माल्यापर्ण की बात दूर रही. सीवान की श्रद्धांजलि सभा में राजद नेता (Leader) के तौर पर पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम (Shivchandra Ram), रघुनाथपुर के विधायक हरिशंकर यादव (Harishankar Yadav), बड़हरिया के विधायक बच्चा पांडेय (Bachha Pandey), पूर्व विधायक रणधीर कुमार सिंह (Randhir Kumar Singh) एवं विधान पार्षद विनोद कुमार जायसवाल (Vinod Kumar Jaiswal) की उपस्थिति रही. उपस्थिति व्यक्तिगत थी या राजद नेतृत्व निर्देशित, यह नहीं कहा जा सकता. सीवान सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह (Manoj Kumar Singh) की मुखर मौजूदगी ने लोगों को विस्मय में डाल दिया. गोपालगंज (Gopalganj) के बाहुबली सतीश पांडेय (Satish Pandey) के पुत्र मुकेश पांडेय (Mukesh Pandey) भी नजर आये. उनकी उपस्थिति ने भी लोगों का ध्यान खींचा. कई आंखें पूर्व विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय (Tunna Jee Pandey) की तलाश में पथरा गयीं.

भ्रम साबित हुआ
लोग यह अवश्य जानना चाहेंगे कि हीना शहाब को इस तरह से ‘शक्ति प्रदर्शन’ करने की जरूरत क्यों पड़ गयी? विश्लेषकों की मानें, तो पार्टी (Party) के प्रति समर्पण को सम्मान नहीं मिलने, उपेक्षा की दृष्टि से देखने से पैदा हुए विक्षोभ ने उन्हें ऐसा करने को बाध्य कर दिया. इस रूप में विक्षोभ गहराने का खास कारण रहा. शहाबुद्दीन के परिजन एवं समर्थक-प्रशंसक सीवान (Siwan) में तीन संसदीय चुनावों में लगातार पराजय झेलने वालीं हीना शहाब को राज्यसभा (Rajya Sabha) के 2022 के द्विवार्षिक चुनाव में अवसर मिलने को लेकर आशान्वित थे. लेकिन, यह भ्रम साबित हुआ. कोरोना (Corona) संक्रमण काल में शहाबुद्दीन के अल्लाह को प्यारे हो जाने के बाद लालू-राबड़ी (Lalu-Rabri) परिवार एवं राजद के प्रभावशाली नेताओं के दूरी बनाये रखने के बावजूद अवध बिहारी चौधरी की कायम रही निकटता से ‘प्रतिदान’ की ‘आश्वस्ति’ बनी हुई थी.


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भंगिमा नहीं बदली तब…
राजद नेतृत्व ने हीना शहाब की तुलना में मधुबनी के डा. फैयाज अहमद (Dr. Faiyaj Ahmad) को पार्टी के लिए ज्यादा उपयोगी माना और उन्हें अवसर उपलब्ध करा दिया. शहाबुद्दीन परिवार के प्रति उसकी बेरुखी की इस पराकाष्ठा पर समर्थकों का आक्रोश उबलना स्वाभाविक था. इसका असर गोपालगंज (Gopalganj) और कुढ़नी (Kurhani) के उपचुनावों पर पड़ा. शहाबुद्दीन केे समर्थकों ने महागठबंधन के उम्मीदवारों का विरोध किया. उनका अघोषित साथ एआईएमआईएम (AIMIM) के उम्मीदवारों को मिला. ऐसा माना गया कि मुख्यतः इसी वजह से गोपालगंज में राजद और कुढ़नी में जदयू (JDU) के उम्मीदवार मुंह की खा गये. विश्लेषकों की समझ है कि इस शक्ति प्रदर्शन के बाद भी राजद नेतृत्व की भंगिमा नहीं बदली तब राज्य के दूसरे हिस्सों में इसका विस्तार हो सकता है. जहां तक ओसामा शहाब (Osama Shahab) के अनुपस्थित रहने की बात है तो यह रहस्य अभी खुला नहीं है. वैसे, उस दिन उनके दिल्ली (Delhi) में रहने की बात कही जा रही है.

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