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खूब मुनाफा दे रही है यह गोशाला

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तापमान लाइफ ब्यूरो
06 जून 2023

Patna : पंजाब (Punjab) और हरियाणा  (Haryana) में अनुमानतः एक लाख से अधिक लावारिस पशु (stray animal) हैं. इन्हें पालेगा कौन? यह बड़ा सवाल बना हुआ था. लेकिन, हरियाणा के लाडवा (Ladwa) में कुछ लोगों ने लावारिस पशुओं को विशुद्ध व्यापार के नजरिये से देखा और मिसाल कायम कर दी. इसका अनुकरण सही मायने में लावारिस देशी गायों (unclaimed country cows) को बचाने की सार्थक पहल हो सकती है. इन राज्यों में आयातित नस्लों की गायों पर खड़े करीब 10 हजार करोड़ के जमे-जमाये दुग्ध व्यवसाय के बीच लाडवा के संबद्ध लोगों का यह साहसिक निर्णय वाकई चौंकाने वाली है. उन सब ने पैसा कमाने के लिए उन गायों को चुना जिन्हें दूध न दे पाने के कारण लावारिस छोड़ दिया गया था. वैसी गायें कई तरह की बीमारियों के कारण सड़कों पर पड़ी रहती थीं. उन सबको एक-एक कर गोशाला में लाकर सबका इलाज किया गया. वे दूध नहीं देतीं. बावजूद इसके गोशाला (Cow shed) का साल का मुनाफा साढ़े तीन करोड़ रुपये पार कर गया. पूरा व्यापार गोबर और गोमूत्र का है.


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गोशाला के प्रधान  के मुताबिक गाय को जब तक आस्था या राजनीति से जोड़कर रखा जायेगा तब तक उनकी हालत नहीं सुधरेगी. गोपालन शुद्ध व्यवसाय है. इस गोशाला में गाय के गोबर से बायोगैस (Biogas) बनता है. बायोगैस से निकले वेस्ट से जैविक खाद (organic fertilizer), गाय के मूत्र से कीटनाशक के अलावा अर्क (Ark) भी बनता है. जो विभिन्न दवाओं में प्रयोग होता है. इसकी सही मार्केटिंग से मुनाफा कमाया जा रहा है. गोशाला में एक गाय औसतन 10 किलो गोबर (Cow dung) व 10 लीटर मूत्र देती है. 10 किलो गोबर से 7 किलो खाद बनती है, जो 35 रुपये में बिकती है. 10 लीटर मूत्र से 10 लीटर अलग-अलग उत्पाद बनते हैं, जो सौ रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचे जाते हैं. इस तरह से गोशाला से हर रोज 11 लाख से ज्यादा की आमदनी है. लावारिस गाय खरीदनी नहीं पड़ती. चारे पर 50 रुपये प्रति गाय खर्च आता है.

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