नज़र लागी… : कत्याल बंधुओं की करामात !
विष्णुकांत मिश्र
05 अगस्त 2023
Patna : दूसरी कंपनी – एके इंफोसिस्टम की कहानी भी लालू-राबड़ी परिवार को कटघरे में लाती है. शुरुआत वर्ष 2002 से होती है. राबड़ी देवी (Rabri Devi) तब बिहार की मुख्यमंत्री थीं. उन्हीं दिनों कारोबारी ओमप्रकाश कत्याल और अमित कत्याल को बिहटा (Bihta) में बीयर फैक्ट्री खोलने का लाइसेंस मिला. सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का कहना है कि यह काम सरलता से नहीं हुआ, इसमें सौदेबाजी हुई. उसी के अनुरूप कत्याल परिवार ने 28 दिसम्बर 2006 को एके इंफोसिस्टम (AK Infosystems) नाम से कंपनी बनायी. अमित कत्याल और राजेश कत्याल उसके डायरेक्टर बने. तकरीबन आठ साल बाद जून 2014 में अमित कत्याल और राजेश कत्याल ने कंपनी के अपने तमाम शेयर राबड़ी देवी के नाम कर दिये. तेजस्वी प्रसाद यादव, तेजप्रताप यादव, चंदा यादव (Chanda Yadav) और रागिनी लालू (Ragini Lalu) को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया गया.
85 प्रतिशत राबड़ी देवी के
2015 में बिहार (Bihar) में महागठबंधन की सरकार बनने से पूर्व तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) और तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने डायरेक्टर का पद त्याग दिया. कंपनी के 85 प्रतिशत शेयर राबड़ी देवी के नाम हैं तो 15 प्रतिशत तेजस्वी प्रसाद यादव के नाम. एके इंफोसिस्टम कंपनी ने क्या कारोबार किया यह किसी को नहीं मालूम. पर, पटना और आसपास के क्षेत्रों में इसके नाम से जमीन जायदाद की खरीदारी की खूब चर्चा हुई. यहां तक कि इस कंपनी ने तेजप्रताप यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव को मामा प्रभुनाथ यादव और नाना शिवप्रसाद चौधरी से उपहार स्वरूप मिली जमीन भी भारी कीमतों में खरीदी.
जमीन की खरीदारी
लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के रेल मंत्री रहते इसी कंपनी के नाम से कई जगहों पर जमीन की खरीदारी की गयी. सुशील कुमार मोदी ने एके इंफोसिस्टम के एक और कारनामे को उजागर किया. उनके मुताबिक 2011 में लालू परिवार को भारत पेट्रोलियम (Bharat Petroleum) का एक पेट्रोल पंप आवंटित हुआ था. न्यू बाईपास (बेऊर) के लिए तेजप्रताप यादव के नाम पर. उस वक्त तेजप्रताप यादव के नाम अपनी या लीज पर ली गयी कोई जमीन नहीं थी. इसके लिए तेजस्वी प्रसाद यादव ने एके इंफोसिस्टम से 32 साल के पट्टे पर 136 डिसमिल का एक भूखंड लिया. तेजस्वी प्रसाद यादव की पट्टे की इसी जमीन के कागजात पर तेजप्रताप यादव को पेट्रोल पंप आवंटित कर दिया गया, जो स्पष्ट तौर पर फर्जीवाड़ा था.
समय लगभग समान
जितना पुराना रेलवे का होटल घोटाला (Hotel Scam) है, उतना ही पुराना रेलवे में नौकरी के बदले जमीन का मामला है. दोनों गोरखधंधों का समय लगभग एक ही है. 2004 से 2009 के बीच का समय. आरोप है कि उस कालखंड में लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते रेलवे में नौकरी के बदले लाभान्वितों से करीबी रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के माध्यम से जमीन ली गयी थी. ‘उपहार’ के रूप में या बाजार दर से काफी कम कीमत पर. उसी आरोप के सिलसिले में सीबीआई (CBI) ने 28 मई 2022 को लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती (Misa Bharti) और हेमा यादव (Hema Yadav) समेत 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. आरोपितों के 17 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गयी थी.
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ऐसे हुई अनियमितता
प्राथमिकी में वर्णित है कि लालू प्रसाद रेल मंत्री थे, तो नियमों-परिनियमों, निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं को ताक पर रख ग्रुप डी में किसी एवजी की आवश्यकता के बिना ही पहले अस्थायी नियुक्ति कराते थे. इसके लिए विज्ञापन (Advertisement) या अन्य कोई सूचना सार्वजनिक नहीं होती थी. जमीन की रजिस्ट्री होते ही नौकरी स्थायी हो जाती थी. नौकरी के बदले जमीन (Land for Job) के मामले में सीबीआई ने एक-दो बार पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास को भी खंगाला. लालू प्रसाद के खासमखास पूर्व विधायक भोला यादव (Bhola Yadav) को गिरफ्तार किया. कई माह बाद उन्हें जमानत मिली. राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि भोला यादव की गिरफ्तारी के बाद ही जांच अभियान को गति मिली. भोला यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. इसी के तहत आयकर विभाग (Income Tax Department) ने उनके आवास पर छापा मारा और सीबीआई ने गिरफ्तार किया.
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