वैशाली और राजद : नीतीश कुमार लगायेंगे बेरा पार!
प्रभुनाथ प्रसाद राजा
25 जनवरी 2024
Hajipur : वैशाली संसदीय क्षेत्र (Vaishali Parliamentary Constituency) में राजपूत उम्मीदवारों के बीच दूसरा मुख्य मुकाबला 1996 और 1998 के संसदीय चुनावों से अलग रहीं लवली आनंद और डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के बीच 1999 में हुआ. लवली आनंद पिछड़ गयीं . ऐसी तीसरी भिड़ंत 2014 में हुई. राजद के समाजवादी छवि के धाकड़ नेता डा. रघुवंश प्रसाद सिंह आश्चर्यजनक ढंग से बाहुबली रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह से मात खा गये. 2019 के चुनाव में भी वैसा ही हुआ. रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को दोबारा मैदान में उतरने का मौका तो नहीं मिला, डा. रघुवंश प्रसाद सिंह (Dr. Raghuvansh Prasad Singh) का मुकाबला राजपूत समाज की ही वीणा देवी से हुआ. बाजी वीणा देवी के हाथ लग गयी.
दस चुनावों में हुई जीत
यहां गौर करने वाली बात है कि अब तक के बारह चुनावों में सिर्फ दो बार वृष्णि पटेल (Vrishni Patel) के रूप में कुर्मी जाति के उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में रहे. राजपूत बनाम भूमिहार के रूप में सात बार दोनों ही जातियों के दिग्गज नेताओं में चुनावी मुकाबला (Election Contest) हुआ. भूमिहार जाति के उम्मीदवार दो ही बार – 1977 एवं 1998 में जीत का परचम लहरा पाये. शेष दस चुनावों में राजपूत जाति के उम्मीदवार (Candidate) विजयी हुए. उनमें डाॉ रघुवंश प्रसाद सिंह की लगातार हुईं पांच जीतें शामिल हैं.1994 के उपचुनाव में भी इसी समाज के उम्मीदवार की जीत हुई. उपचुनाव शिवशरण सिंह के असामयिक निधन के कारण हुआ था, जो इसी समाज के थे.
संभावना नहीं दिखती
अब 2024 में उम्मीदवारी की बात. 2019 में राजग (NDA) के घटक लोजपा के उम्मीदवार के तौर पर उत्तर बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता विधान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह की पत्नी वीणा देवी की जीत हुई थी. लोजपा में विभाजन के वक्त वीणा देवी केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के गुट से जुड़ गयीं. 2024 के चुनाव में राजग में यह सीट पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा के कोटे में जायेगी, इसकी किसी भी दृष्टि से कोई संभावना नहीं बनती है. वीणा देवी को भी इसका अहसास है. इसलिए भाजपा (BJP) में तो ठौर वह तलाश ही रही हैं, लोजपा (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान से भी निकटता बढ़ा रही हैं. इधर विधान पार्षद पति दिनेश प्रसाद सिंह के साथ उनकी मुलाकात नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से भी हुई है.
एक चेहरा यह भी
लोजपा (रामविलास) में ईं. रवीन्द्र प्रसाद सिंह की मजबूत दावेदारी है. वह भी क्षत्रिय समाज से हैं. महनार विधानसभा क्षेत्र से इस पार्टी के उम्मीदवार रह चुके हैं. चिराग पासवान (Chirag Paswan) के भरोसेमंद नेताओं में जगह रखते हैं. इन्हें वैशाली से उम्मीदवार बनाने का फायदा पार्टी को हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में मिल सकता है. महनार विधानसभा क्षेत्र उसी ससंदीय क्षेत्र के तहत है. एक खास वर्ग पर इनकी अच्छी पकड़ रहने की बात कही जाती है. इस दृष्टि से भी इन्हें अवसर उपलब्ध कराया जा सकता है.
चर्चा विनीता विजय की भी
लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवारी चाहने वालों में एक नाम विनीता विजय का भी जुड़ गया है. वह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे रघुनाथ पांडेय (Raghunath Pandey) की पुत्रवधू हैं. मुजफ्फरपुर जिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. इन दिनों भाजपा में थीं. 21 जनवरी 2024 को जुड़ाव लोजपा (रामविलास) से हो गया. राजग में यह सीट इस पार्टी के हिस्से में गयी, तो उम्मीदवारी इन्हें मिल सकती है. वैसे, रघुनाथ पांडेय को 1996 में वैशाली से कांग्रेस (Congress) की उम्मीदवारी मिली थी. यह जानकर हैरानी होगी कि वह 39 हज़ार 170 मतों में ही सिमट गये थे.
भाजपा में भी हैं दावेदार
विश्लेषकों का मानना है कि राजग में यह सीट लोजपा (रामविलास) के हिस्से में जा सकती है. उम्मीदवारी वीणा देवी (Veena Devi) को मिलेगी, ऐसा दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है. भाजपा में पारू के विधायक अशोक कुमार सिंह और बरुराज के विधायक अरुण कुमार सिंह की दावेदारी दिख रही है. चाहत साहेबगंज के विधायक राजू कुमार सिंह राजू की भी है. अरुण कुमार सिंह तो नहीं, अशोक कुमार सिंह खुलकर दावेदारी पेश कर रहे हैं. दोनों राजपूत जाति से हैं. उधर, भूमिहार समाज से मुजफ्फरपुर जिला भाजपा के अध्यक्ष रंजन कुमार, पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा और कुछ ही माह पूर्व इस पार्टी में शामिल हुए पूर्व मंत्री ई. अजीत कुमार की महत्वाकांक्षा भी उफान खा रही है. इन सबके अपने-अपने दावे और अपने-अपने तर्क हैं.
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लवली आनंद की संभावना
महागठबंधन में यह सीट किसके कोटे में जायेगी यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. वैसे, ज्यादा संभावना राजद (RJD) के हिस्से में जाने की है. वैसे, यह सीट राजद के कोटे में रहे या जदयू के, उम्मीदवारी के मामले में पूर्व सांसद लवली आनंद को प्राथमिकता मिल सकती है. ऐसा कहा जाता है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से निकलने के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) से इस मुद्दे पर गहन मंत्रणा हुई थी. सहमति भी लगभग बन गयी. बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आनंद मोहन के पैतृक गांव सहरसा के पचगछिया में दो स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं का अनावरण कर इस संभावना को मजबूती दे दी. इधर लवली आनंद (Lovely Anand) के साथ आनंद मोहन ने नीतीश कुमार से मुलाकात भी की है.
मुन्ना शुक्ला की दावेदारी
वैसे, कहा यह जा रहा है कि आनंद मोहन (Anand Mohan) वैशाली की बजाय शिवहर से लवली आनंद को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. आनंद मोहन खुद दो बार वहां से सांसद रह चुके हैं. लवली आनंद भी उस क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं. वर्तमान में उनके पुत्र चेतन आनंद शिवहर विधानसभा क्षेत्र से राजद के विधायक हैं. लवली आनंद को वैशाली से उम्मीदवारी मिलेगी या शिवहर से, यह कहना अभी कठिन है. रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह भी शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. उधर, जदयू (JDU) में विजय कुमार शुक्ल उर्फ मुन्ना शुक्ला भी दावेदारी ठोंक रहे हैं. हर हाल में चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 2004 में वह पार्टी के निर्णय के खिलाफ निर्दलीय (Independent) चुनाव लड़ गये थे. इसके मद्देनजर उनकी उक्त बातों को गंभीरता से लिया जा रहा है. चुनाव में अभी वक्त है. इस बीच परिस्थितियां काफी कुछ बदल जा सकती हैं. (समाप्त)
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