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दरभंगा एम्स : हुआ बहुत बड़ा खेल !

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सत्येन्द्र मिश्र

04 अगस्त 2024

Darbhanga: यह कहें कि नौ वर्षों से हवा में झूल रहे दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना के मामले में आखिरकार ‘राजशाही जिद’ की जीत हुई तो वह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. ‘एको अहम द्वितीयो नास्ति’ जैसे अहंकार के समक्ष केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) को जनता के व्यापक हित में झुकना पड़ गया. वैसे, सच यह भी है कि नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की वर्तमान सरकार की कुछ राजनीतिक विवशता भी थी. राज्य सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक एम्स की स्थापना शोभन बायपास रोड (Shobhan Bypass Road) में ही होगी.

पिछड़ गये गोपालजी ठाकुर

यह मामला नौ वर्षों तक अटका क्यों रहा, इसकी बहुत रोचक कहानी है. सामान्य समझ में दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर (Gopalji Thakur) और राज्यसभा सदस्य संजय झा (Sanjay Jha) उस कहानी के दो महत्वपूर्ण पात्र हैं. गोपालजी ठाकुर दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल (Darbhanga Medical College Hospital) परिसर में एम्स की स्थापना के लिए जोर लगा रहे थे तो संजय झा शोभन बायपास रोड में ले जाने के लिए ऊर्जा खपा रहे थे. इस दौड़ में गोपालजी ठाकुर पिछड़ गये. दरभंगा में एम्स के निर्माण की घोषणा 2015-16 में हुई थी. उसके लिए जमीन का मुद्दा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार (Bihar Government) के बीच पत्रों के आदान-प्रदान में उलझा रहा.

जो हो, एम्स जल्दी खुले!

राज्य सरकार की ओर से उपयुक्त जमीन तलाशने की कभी कोई कारगर पहल नहीं हुई. केन्द्र का दबाव बढ़ा तब 2018 में उसने दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर की खाली पड़ी जमीन पर एम्स के निर्माण का प्रस्ताव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दिया. देर सबेर केन्द्र की स्वीकृति मिल गयी. जमीन चिह्न्ति हो गयी. परन्तु, शिलान्यास होता उससे पहले राज्य सरकार (state government) ने उस प्रस्ताव को वापस ले शोभन बायपास रोड में निर्माण का नया प्रस्ताव भेज दिया. तकनीकी तौर पर अनुपयुक्त रहने के बाद भी एम्स का निर्माण अब वहीं होगा. जहां भी बने एम्स जल्दी खुले, उत्तर बिहार (North Bihar) के लोगों की यही चाहत है.


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सवाल यह भी है

पर, यहां गौर करने लायक एक सवाल यह है कि एम्स शोभन बायपास रोड में तो खुलेगा, पर दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में उसके नहीं खुलने का वास्तविक कारण क्या है? राज्य सरकार की ओर से जो बताया गया वही सच है या इसके पीछे कुछ और खेल हुआ है? बातें कई तरह की होती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल के इर्दगिर्द फैले निजी चिकित्सा तंत्र (private medical system) को लाभ पहुंचाने के ख्याल से ऐसा निर्णय लिया गया है. तर्क यह कि एम्स के तीन किलोमीटर के दायरे में निजी चिकित्सा तंत्र का वजूद वर्जित है.

कुछ न कुछ तो किया ही होगा

स्पष्ट है कि दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में एम्स बनता तो तीन किलोमीटर के दायरे के निजी चिकित्सा तंत्र को अपना कारोबार समेट लेना पड़ता. कहते हैं उस तंत्र को बनाये रखने के लिए एम्स को शोभन बायपास रोड में ले जाया गया है. यहां समझने वाली बात है कि जिस किसी ने निजी चिकित्सा तंत्र के हित का ख्याल रखा उसके हित में भी उसने कुछ न कुछ तो किया ही होगा! वैसे, कहा जाता है कि कुछ नहीं, बहुत कुछ किया है. क्या बहुत कुछ किया होगा, इसको खुद समझिये!

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